Fine on IKEA: दिग्गज होम फर्निशिंग कंपनी आईकिया (IKEA) को जबरदस्ती बैग बेचने के चक्कर में कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. उपभोक्ता अदालत ने स्वीडन की फर्नीचर रिटेल कंपनी आईकिया 20 रुपये का बैग बेचने के बदले में कंज्यूमर को 3000 रुपये वापस करने का आदेश सुनाया है. इसमें 1000 रुपये हर्जाना और 2000 रुपये न्यायिक खर्च के बदले भुगतान करने को कहा गया है. 


आईकिया को देने होंगे 3000 रुपये 


दरअसल, संगीता बोहरा नाम की एक कस्टमर ने आईकिया से 6 अक्टूबर, 2022 को कुछ सामान खरीदा था. बिलिंग काउंटर पर उन्हें कंपनी ने एक 20 रुपये का बैग भी चार्ज कर दिया. संगीता यह मामला लेकर बेंगलुरु के कंज्यूमर कोर्ट चली गईं. इस मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि आईकिया को उपभोक्ता को ब्याज सहित 20 रुपये लौटाने होंगे. साथ ही 3000 रुपये क्षतिपूर्ती के तौर पर भी देने होंगे. कंज्यूमर कोर्ट ने कहा कि आईकिया (IKEA India) ने जो बैग कस्टमर को दिया, उस पर कंपनी का लोगो था. अदालत ने इसे कारोबार करने का गलत तरीका करार दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हमें इन बड़ी कंपनियों और मॉल द्वारा दी जा रही सेवाओं को लेकर आश्चर्य होता है. इस मामले में कंपनी ने सेवा देने में कोताही बरती है. इसलिए उपभोक्ता को हर्जाना मिलना चाहिए. 


कस्टमर को अपने बैग नहीं ले जाने देती है कंपनी 


इस मामले में आईकिया ने अदालत से कहा कि वह कारोबार करने के लिए किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं है. कंपनी किसी तरह के छिपे हुए चार्ज भी नहीं लेती है. हमें सभी प्रोडक्ट और बैग से जुड़ी जानकारियां अपने स्टोर्स में कई जगह लिखी हुई हैं. इन्हें बिलिंग के टाइम छिपाकर नहीं जोड़ा जाता है. हालांकि, अदालत ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि हर तरह के प्रोडक्ट को डिलीवर करने की कॉस्ट विक्रेता को ही वहन करनी पड़ेगी. इसलिए आईकिया की ओर से दिए जा रहे तर्क स्वीकार नहीं किए जा सकते. अदालत ने यह भी कहा कि आईकिया उपभोक्ताओं को अपने बैग भी नहीं ले जाने देती है. यह सही नहीं है.


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