राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया गया. इसमें दुनियाभर के सभी देशों के ऊपर ये टैरिफ लगाया गया है, जिसमें भारत भी शामिल है. लेकिन टैरिफ की दरें अलग-अलग है. भारत पर 27 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया जबकि चीन पर 54 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, थाईलैंड पर 36 प्रतिशत जबकि वियतनाम पर 46 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया.

हालांकि, इसके बाद लगातार दुनियाभर के देशों से जरूर ट्रंप के इस फैसले की आलोचना हो रही है. लेकिन लोगों के मन में लगातार ये सवाल उठ रहा है कि जो अलग-अलग टैरिफ की दरें दुनियाभर के देशों पर अलग-अलग लगाई गई, वो कैसे तय की गई हैं. इसको लेकर इंटरनेट पर एक फॉर्मूला लगातार वायरल हो रहा और ऐसा कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन ने इसी बेससि पर रेसिप्रोकल टैरिफ के रेट्स तय किए हैं.

दरअसल, सीएनएन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से जो टैरिफ लगाया गया, उसका कैलकुलेशन रेसिप्रोकल नहीं बल्कि काफी जटिलता के साथ उस पर विचार कर अलग-अलज चार्ज तय किए गए हैं.

अमेरिकी प्रशासन की तरफ से जिस आधार पर कैलकुलेशन किया गया है, उसके हिसाब से किस देश के व्यापार घाटे को अमेरिका में उस देश के निर्यात से डिवाइड कर फिर मिलने वाली संख्या में 2 से भाग देना.

सीएनएन की रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया है कि सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पत्रकार जेम्स सुरोवेकी ने की थी. वॉल स्ट्रीट के जानकारों ने भी इसका समर्थन किया और बाद में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भी ये माना कि टैरिफ के रेट्स तय करने के लिए इसी कैलकुलेशन का इस्तेमाल किया गया था.

इधर, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का लगभग 60 देशों पर लगाया गया जवाबी शुल्क का दांव ‘उल्टा पड़ेगा’. उन्होंने कहा कि इसका भारत पर इसका प्रभाव ‘कम’ होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर 10 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त मूल्य-आधारित शुल्क लगाने की घोषणा की है.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करत हुए कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अल्पावधि में, इसका सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. यह ‘सेल्फ गोल’ (खुद को नुकसान पहुंचाने) है. अन्य देशों पर पड़ने वाले प्रभावों की बात करें तो भारत के निर्यात पर किसी भी शुल्क का सीधा प्रभाव यह होगा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी, इससे उनकी मांग कम होगी और फलस्वरूप भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी.’’