koo App: महज डेढ़ सालों में Koo के सब्सक्राइबर्स की संख्या 15 मिलियन को पार कर चुकी है. आने वाले समय भारतीय भाषाओं के जरिये अपने विचार उपलब्ध कराने का विकल्प उपलब्ध कराकर Koo ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ने का लक्ष्य रखता है. Koo की इस खासियत के चलते ज्यादा लोग इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ भी रहे हैं. 


कैसे है Koo और Twitter में फर्क


Twitter और  Koo की तुलना करने पर अनकट से बात करते हुये Koo के को-फाउंडर Mayank Bidawatka ने  कहा है कि ट्विटर और Koo के दृष्टिकोण में बहुत फर्क है. ट्विटर अमेरिका में पैदा हुआ जहां सभी लोग अग्रेजी में बात करते हैं  लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहां हजारों भाषाएं बोली जाती है. 100 करोड़ लोग अंग्रेजी में बात नहीं कर सकते, अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकते हैं. ऐसे लोगों को  Koo अपनी भाषा में अपनी विचार रखने का प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जिससे लोग अपनी स्थानीय भाषा में बात करने वाले के साथ विचारों का आदान प्रदान कर सकें. 


मंयक बिदावातका ने बताया कि Koo वैसे टूल्स हैं जो आपसे पूछेगा किस भाषा में बात करना चाहते हैं. जिस भाषा में बात करना चाहते हैं वो Keyboard उपलब्ध होगा, जहां टाईप कर सकते हैं. यदि टाईप नहीं करना चाहते हैं तो ऑडियो वीडियो का विकल्प भी मौजूद है. इस प्रकार Koo पर अपनी भाषा में जुड़ा जा सकता है.  



चुनावी राज्यों पर Koo की नजर


चुनावी राज्यों में नेताओं के Koo के इस्तेमाल पर मंयक बिदावातका ने बताया कि नेताओं को पसंद करने वाले लोग उन्हें  Koo पर फॉलो करते हैं. और इसके जरिये उन्हें अपने नेता का हर अपडेट मिल रहा होता है. नेताओं के कमेंट के लाईक और उनके फॉलोअर्स की बढ़ती संख्या से कनेक्ट का पता लगता है. उन्होंने बताया कि Koo के साथ कई क्रिकेटर भी जुड़ रहे हैं. हाल ही में टी 20 वर्ल्डकप के दौरान Koo पर वीरेंद्र सहवाग, वसीम अकरम और अजहरूद्दीन जैसे दिग्गज क्रिकेटरों ने अपने विचार रखे. Koo की कोशिश है कि जाने माने लोग इस प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ें.  


यूजर को बैन करने के पक्ष में नहीं Koo


ट्विटर द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर किसी यूजर द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट करने के बाद उसे बैन करने पर मंयक बिदावातका ने कहा कि वे इसके पक्ष में नहीं है. कोई भी यूजर कुछ भी गलत पोस्ट करता है तो उसे सही किया जा सकता है जब तक कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ नहीं हो. अमेरिकी चीनी सोच को भारतीय पर थोपा नहीं जा सकता. उन्होंने बताया कि Koo दुनिया के अन्य देशों तक अपना विस्तार करेगा जहां अग्रेजी के अलावा अन्य भाषाएं बोली जाती है. 


Koo है सुरक्षित


मंयक बिदावातका ने आश्वस्त किया है कि Koo के डेटा हैकिंग का सवाल ही नहीं उठता है क्योंकि सिक्योरिटी बहुत मजबूत है और लगातार Koo Ethical Hackers के साथ काम कर रहा है.


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