Success Story: भारत और अमेरिका के रिश्तों में टैरिफ को लेकर तनाव बना हुआ है. ऐसे में जॉब और करियर को लेकर अनिश्चितता का माहौल है. कब किसी की नौकरी चली जाए या कारोबार ठप्प हो जाए, ये कोई नहीं बता सकता. अब आप सिलसिले में हर्षिल तोमर को ही ले लीजिए, जो भारत से ही अमेरिका की एक कंपनी में 'वर्क फ्रॉम होम' कर रहे थे.
इसके एवज में हर्षिल को मोटी पगार भी मिल रही थी, लेकिन हर्षिल की जिंदगी एकाएक तब बदल गई जब उन्हें अचानक से नौकरी से निकाल दिए जाने की खबर मिली. इस बीच हर्षिल अपने एक स्टार्टअप पर भी काम कर रहे थे. नौकरी से निकाल दिए जाने से हर्षिल को झटका जरूर लगा, लेकिन उन्होंने सूझबूझ से काम लेते हुए अगले छह महीनों में कुछ ऐसा कर दिखाया जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था.
कंपनी ने अचानक काम से निकाला
हर्षिल Dreamlaunch के नाम से एक स्टार्टअप कंपनी के को-फाउंडर भी हैं. हर्षिल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फर्श से अर्श तक के अपने सफर के बारे में बताया है. हर्षिल ने बताया कि ठीक छह महीने पहले उन्हें अमेरिका की एक कंपनी ने उन्हें अपने रिमोट जॉब से निकाल दिया था.
वह 13 मार्च को सुबह 7 बजे सुबह की मीटिंग में शामिल हुए और अपने काम के बारे में अपडेट किया. हर्षिल ने देखा कि उनके टीम लीडर कुछ बुझे-बुझे से लग रहे थे. हर्षिल ने इसका कारण जानना चाहा, तो उन्होंने बताया, अब हमें अपने रास्ते अलग करने होंगे. वजह बस इतनी सी थी कि हर्षिल बीते कुछ दिनों से अपने स्टार्टअप पर ज्यादा फोकस कर रहे थे. हर्षिल ने उन्हें एक और मौका देने की बात कही, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई.
स्टार्टअप को आगे बढ़ाने का लिया फैसला
उस दौरान हर्षिल ड्रीमलॉन्च से हर महीने मुश्किल से 1,000 डॉलर कमा रहे थे. यह रकम इतनी ज्यादा नहीं थी कि इससे घर भी चल रहे और उनका स्टार्टअप का चलता रहे. अगले 10-15 दिनों तक हर्षिल ने बहुत सोचा. फिर हिम्मत से काम लेते हुए अपने स्टार्टअप को ही आगे बढ़ाने का फैसला लिया. इस बीच, हर्षिल ने फ्रीलांस काम करने के बारे में भी सोचा ताकि बाकी के खर्चे पूरी हो सके. हर्षिल ने सोचा कि जिस काम की वजह से उनकी नौकरी गई है क्यों न उस पर ही अपना सबकुछ दांव पर लगाया जाए. आज हर्षिल अपने स्टार्टअप ड्रीमलॉन्च से हर महीने 50 हजार डॉलर यानी करीब 43.5 लाख रुपये कमा रहे हैं.
आखिरकार रंग लाई हर्षिल की मेहनत
दिलचस्प बात यह है कि हर्षिल के माता-पिता के आज तक नहीं पता है कि उनके बेटे की नौकरी चली गई है. हर्षिल की इस मुश्किल घड़ी में उनके स्टार्टअप के को-फाउंडर वसीम ने भी उनका खूब साथ दिया. शुरुआती कुछ महीने में ड्रीमलॉन्च के पास कोई क्लाइंट नहीं था, लेकिन हर्षिल पीछे नहीं हटे और मजबूती से डटे रहे. आखिरकार मेहनत रंग लाने लगी. धीरे-धीरे ड्रीमलॉन्च को स्पॉन्सरशिप, रेजीडेंसी प्रोग्राम के लिए चुना जाने लगा. आलम यह है कि बीते छह महीनों में ड्रीमलॉन्च ने 50,000 डॉलर के रेवेन्यू को पार कर लिया है. अब हर्षिल दो लोगों की अपनी टीम को बढ़ाकर दस करने के बारे में सोच रहे हैं. अब हर्षिल का सुझाव बस इतना ही है कि काम इतना करो कि असफल होना नामुमकिन लगने लगे.
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