नई दिल्लीः 1 जुलाई से टैक्स सिस्टम में अब तक का सबसे बड़ा सुधार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है. तीन हफ्ते बाद यानी 1 जुलाई से वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने जा रहा है, लेकिन इसके लिए आईटी सिस्टम अभी तक तैयार नहीं हो पाया है.

टे ली सॉल्यूशंस के कार्यकारी निदेशक तेजस गोयनका ने बताया, "अभी सारे नियमों का नोटिफिकेशन होना बाकी हैं. एक बार नियमों को आखिरी रूप दे दिया जाएगा, तभी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) तैयार हो पाएगा. उसके बाद ही जीएसटी सुविधा प्रदाता (जीएसपी) तैयार हो पाएंगे."

जीएसपी का गठन बड़े व्यापार को जीएसटी शासन के तहत जटिल आंतरिक प्रक्रियाओं में मदद के लिए किया गया है. शुक्रवार को जीएसटीएन अधिकारियों और सुविधा प्रदाताओं के बीच एक बैठक का आयोजन किया गया. साइगनेट इंफोटेक के फाउंडर और डायरेक्टर नीरज हुथीसिंह ने कहा कि जैसे-जैसे इसे लागू करने का समय करीब आ रहा है, बाजार का सबसे बड़ा डर सच होनेवाला है और वो है आईटी तैयारियों में कमी. पहली जुलाई की डेडलाइन व्यावहारिक नहीं है." इसे कैसे पूरा किया जाएगा इसको लेकर अभी काफी असमंजस है.

क्या है GST लागू करने की राह में आईटी कंपनियों की दिक्कतें?

सभी जीएसपी का चुनाव और रजिस्ट्रेशन जीएसटीएन ने किया है. वे जीएसटी सेवा प्रदान करने के लिए जीएसटीएन नेटवर्क के एप्लिकेबल प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) पर निर्भर हैं. अभी तक कुल 34 जीएसपी का चयन किया गया है.

जीएसपी एकांउटिंग सॉफ्टवेयर, एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सॉफ्टवेयर, फाइलिंग सॉफ्टवेयर और बिलिंग सॉफ्टवेयर के एपीआई का प्रयोग करेंगे, जो व्यवसायों को नए अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के अनुपालन में मदद करेंगे.

जानकारों का कहना है कि 1 जुलाई से जीएसटी को लागू करना कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि अब केवल 20 दिन बाकी है और चीजें तय नहीं हुई हैं. यह सर्विस प्रोवाइडर्स की परीक्षण आवश्यकताओं को बाधित कर रहा है.