सरकार साल के आखिर तक भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपनी हिस्सेदारी 6.5 परसेंट तक कम करने की तैयारी कर रही है. बताया जा रहा है कि सरकार 8,800 करोड़ रुपये से 13,200 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेच सकती है. सूत्रों के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया कि इस कदम को उठाने का मकसद मार्केट रेगुलेटर सेबी के नियम के मुताबिक कंपनी में पब्लिक शेयरहोल्डिंग को बढ़ाना है. 

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क्यों सरकार बेच रही अपनी हिस्सेदारी? 

सरकार को LIC में 16 मई 2027 तक 6.5 परसेंट और हिस्सेदारी बेचनी होगी. सेबी के नियम के मुताबिक, किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 10 परसेंट हिस्सेदारी पब्लिक के पास होनी चाहिए. जबकि लिस्टिंग के बाद से पब्लिक के पास LIC की केवल 3.5 परसेंट ही हिस्सेदारी है. जबकि  सरकार के पास LIC में 96.5 परसेंट हिस्सेदारी है इसलिए सरकार को तय समयसीमा के भीतर अपनी 6.5 परसेंट की हिस्सेदारी और बेचनी होगी. इसे कई बार में बेचा जाएगा ताकि शेयर की कीमत पर ज्यादा असर न पड़े और मौजूदा शेयरधारकों को नुकसान न हो. 

शेयर पर दिखा असर

इस खबर का असर बुधवार को LIC के शेयरों में देखने को मिला. इसकी ओपेनिंग  901 रुपये पर हुई. कारोबार के दौरान यह लगभग 2 परसेंट चढ़कर 915 रुपये पर कारोबार कर रहा था. इसे लेकर निवेशक भी पॉजिटिव नजर आए क्योंकि हिस्सेदारी बेचे जाने से मार्केट में लिक्विडिटी सुधर सकती है और LIC के मालिकाना हक कई दूसरे लोगों में भी बंट सकता है.

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हालांकि, मार्केट से मिले पॉजिटिव रिस्पॉन्स के बाद भी LIC के शेयर अपने आईपीओ प्राइस 949 रुपये से नीचे बने हुए हैं. मंगलवार को इसकी क्लोजिंग 900.70 रुपये के भाव पर हुई.  एलआईसी को पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 परसेंट तक बढ़ाने के लिए मई 2032 तक का वक्त मिला है. LIC में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की बात पर घबराए नहीं क्योंकि इसका आपकी पॉलिसी, बोनस या क्लेम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 

 

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