GoFirst Air Debt:  वाडिया ग्रुप की एयरलाइन गो फर्स्ट ने पैसों की कमी के कारण अपने फ्लाइट्स को 5 मई तक कैंसिल किया है. साथ ही एनसीएलटी से दिवालिया घोषित करने की मांग की है. इसी बीच, एयरलाइन के लिए अच्छी खबर सामने आई है. गो फर्स्ट के तीन कर्जदाता कर्ज को कम करने के लिए तैयार हो चुके हैं. 


इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और Deutsche Bank ने तत्काल अतिरिक्त वित्त प्रदान करने की कर्ज को कम कर दिया है, लेकिन ये कर्ज पुनर्गठन के लिए ओपन है और इसके रिपेमेंट की लंबी अवधि शामिल है. 


मंगलवार को गो फर्स्ट ने स्वैच्छिक दिवालिया याचिका दायर की थी. इस फैसले के बाद बैंकों को कर्ज भुगतान का संकट छा गया. बैंक लोन और लोन फैसिलिटी को स्टैंडर्ड अकाउंट में रखा गया है. बैंकों को डर है कि अगर दिवालिया होने पर कर्ज डूब सकता है. ऐसे में बैंकों ने कर्ज को कम कर दिया है और इसे भुगतान करने को कहा है. 


कंपनी पर कितना है कर्ज 


ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक 4,500 से 5000 करोड़ रुपये का डेट फैसिलिटी प्रोवाइड कराया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एयलाइन ने अपने दिवालिया फाइलिंग में कहा है कि उसके पास 6,521 करोड़ रुपये की देनदारी है. नेशनल कंपीन लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) आज यानी 4 मई को इसपर फैसला सुनाएगी.


किस बैंक का कितना एक्सपोजर 


सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 1,987 रुपये के साथ सबसे बड़ा एक्सपोजर है, जिसमें 1,305 करोड़ रुपये का लोन और 682 करोड़ रुपये महामारी के दौरान क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत प्रोवाइड कराया गया था. बैंक ने इन लोन के लिए 1,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. बीओबी का एक्सपोजर 1,430 करोड़ रुपये और Deutsche बैंक का एक्सपोजर 1,320 करोड़ रुपये है.


रिकवरी करना होगी चुनौती 


बैंकों और अन्य संस्थानों के लिए इस लोन की रिकवरी कर पाना एक चुनौती होगी. आईडीबीआई बैंक का एक्सपोजर 58 करोड़ रुपये जबकि एक्सिस बैंक का 30 करोड़ रुपये है. इसके अलावा, जनवरी में जेएम फाइनेंशियल क्रेडिट सॉल्यूशन ने 150 करोड़ रुपये का लॉन्ग टर्म लोन प्रोवाइड कराया था. 


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