भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने प्रतिकूल वैश्विक हालातों के बाद भी पिछले वित्त वर्ष में शानदार प्रदर्शन किया. बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जीडीपी की ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) अनुमानों से बेहतर रही. आंकड़ों के अनुसार, मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि की, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही.


इतनी बढ़ी जीडीपी की रफ्तार


राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने बुधवार की शाम में जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) के आधिकारिक आंकड़ों को जारी किया. आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने मार्च तिमाही के दौरान शानदार प्रदर्शन किया. जीडीपी की ग्रोथ रेट इससे पहले दिसंबर तिमाही के दौरान 4.5 फीसदी की रही थी.


इतनी है प्रति व्यक्ति जीडीपी


मार्च तिमाही में लगभग सभी सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया. कृषि क्षेत्र में में जहां 5.5 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज की गई, वहीं यह दर विनिर्माण क्षेत्र के लिए 4.5 फीसदी रही. इस दौरान निर्माण क्षेत्र ने 10.4 फीसदी की शानदार दर से वृद्धि की. आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,96,983 रुपये रही. आने वाले महीनों में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और तेज होने की उम्मीद है. एनएसओ का अनुमान है कि अप्रैल-जून 2023 तिमाही में वृद्धि दर 13.1 फीसदी रह सकती है. हालांकि पहले इस अवधि में 13.2 फीसदी से वृद्धि करने का अनुमान था. वहीं जुलाई-सितंबर 2023 के दौरान वृद्धि दर 6.2 फीसदी रह सकती है.


सरकार ने जताई थी ये उम्मीद


भारतीय अर्थव्यवस्था से प्रतिकूल हालातों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी. फरवरी 2023 में जारी फिस्कल पॉलिसी स्टेटमेंट (Fiscal Policy Statement) में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी की ग्रोथ रेट (Nominal GDP Growth Rate) सालाना आधार पर 15.4 फीसदी रह सकती है. साल भर पहले यानी 2021-22 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट 19.5 फीसदी रही थी. वहीं रियल जीडीपी ग्रोथ रेट (Real GDP Growth Rate) के 7 फीसदी रहने का अनुमान था, जो साल भर पहले 8.7 फीसदी रही थी.


रिजर्व बैंक का ये था अनुमान


रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने सालाना रिपोर्ट (RBI Annual Report) में कहा था कि पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की वृद्धि दर 7 फीसदी से कुछ ज्यादा रह सकती है. उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक जिन हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स (High Frequency Indicators) की निगरानी करता है, उनमें से करीब 70 ने मजबूती का संकेत दिया था. सेंट्रल बैंक ने मार्च तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट 5.1 फीसदी रहने का अनुमान दिया था.


इन आंकड़ों से लगे झटके


हालांकि जीडीपी के आंकड़ों से पहले भारत को औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर झटका लगा है. अप्रैल में आठ प्रमुख उद्योगों की बढ़ने की दर कुछ कम हुई है. वहीं दूसरी ओर राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान के दायरे में रहा है.


इतना रहा राजकोषीय घाटा


एनएसओ के द्वारा जीडीपी के आंकड़े जारी किए जाने से पहले राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) के आंकड़े जारी किए गए. आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 6.4 फीसदी के बराबर रहा. वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतना ही रहने का लक्ष्य रखा गया था. सीजीए (CGA) ने केंद्र सरकार के 2022-23 के आय-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन (FM Nirmala Sitharaman) ने एक फरवरी को पेश आम बजट (Budget 2023) में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य रखा था.


आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने के दौरान यह घाटा 1.34 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पूरे साल के टारगेट के 7.5 फीसदी के बराबर है. यह साल भर पहले यानी अप्रैल 2022 की तुलना में ज्यादा है. पिछले साल अप्रैल में राजकोषीय घाटा पूरे साल के टारगेट के 4.5 फीसदी के बराबर रहा था.


उद्योगों की वृद्धि ने दिया झटका


औद्योगिक उत्पादन की बात करें तो अप्रैल महीने में हल्का झटका लगा है. अप्रैल महीने के दौरान सालाना आधार पर आठ मुख्य उद्योगों की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रही. इन मुख्य उद्योगों के सूचकांक में मार्च महीने के दौरान 3.6 फीसदी की वृद्धि आई थी. वहीं पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान आठ प्रमुख उद्योगों ने 7.7 फीसदी की दर से वृद्धि की, जिसकी दर साल भर पहले यानी 2021-22 के दौरान 10.4 फीसदी रही थी.


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