भारत में 2014 के बाद से पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार है. इसके पहले लंबे समय से तमाम छोटे दलों के समर्थन से सरकार चलती थी. पूर्ण बहुमत का लाभ उठाकर सरकार ने तमाम उल्लेखनीय सुधार किए. विदेशी निवेशकों (FPI) ने मजबूत अर्थव्यवस्था, स्थिर सरकार और उल्लेखनीय सुधारों को संज्ञान में लिया. इसे देखते हुए विदेशी निवेशकों ने भारत को अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में इंडिया को अपग्रेड कर डेडीकेटेड अलोकेशन की श्रेणी में डाल दिया है.


चीन के साथ भारत भी


सिंगापुर में फ्यूचर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एफआईए) एशिया ट्रेड कान्फ्रेंस में 29 नवंबर से 1 दिसंबर तक हिस्सा लेने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के वास की कहानी में विदेशी निवेश भागीदार बनने जा रहा है. इसके पहले इन्वेस्टर्स ने भारत को उभरते बाजारों की श्रेणी में रखा था और केवल चीन ही डेडीकेटेड अलोकेशन की श्रेणी में था.


चीन में कोविड को लेकर अनिश्चितता


विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन में अनिश्चितता की वजह से निवेशक भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं और फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) भारत की ओर आ रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में 5 अरब डॉलर एफपीआई आया है, जबकि 2022 के शुरुआती 10 महीनों में 23 अरब डॉलर आया है.


सिंगापुर के स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट इस समय इंडियन इक्विटीज पर नजर रख रहे हैं, क्योंकि हाल के महीनों में भारत का शेयर बाजार बढ़ा है और वृद्धि के नए स्तर पर पहुंचा है. वहीं अनिश्चितता के कारण अन्य प्रमुख वैश्विक बाजारों में 10 से 15 प्रतिशत गिरावट आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में सरकार की ओर से किए गए रेगुलेटरी रिफॉर्म्स, रिजर्व बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था पर पैनी नजर रखने और सपोर्टिव पॉलिसीज के कारण घरेलू खपत बेहतर हुआ है.


एफपीआई चीन के मुकाबले भारत को पा रहे बेहतर


कुछ महीने पहले तक इंटरनेशनल इन्वेस्टर्स में कन्फ्यूजन था कि भारत और चीन में कहां निवेश करें. अब भारत ने वह भरोसा हासिल कर लिया है. विशेषज्ञों ने कहा  चीन में वैल्युएशन बहुत बेहतर नजर आता है, लेकिन कोविड से संबंधित अनिश्चतताएं चीन में बहुत ज्यादा हैं. ऐसे में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के माध्यम से भारत में धन आ रहा है.



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