नई दिल्लीः इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के बाजार की बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट ने 1.4 अरब डॉलर यानी करीब 9000 करोड़ का निवेश जुटाने में कामयाबी हासिल की है. ये पैसा माइक्रोसॉफ्ट, टेंनसेंट और ईबे ने लगाया है. इसी के साथ फ्लिपकार्ट ने ईबे इंडिया को हासिल कर लिया है. ये पूरा सौदा भारतीय ई कॉमर्स के बाजार में अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है.


नए निवेश के साथ ही फ्लिपकार्ट की कीमत 11.6 अरब डॉलर आंकी गयी है. बाजार सूत्रों के मुताबिक, हालांकि जब 2015 में कंपनी में निवेश किया गया था त उस समय उसकी कीमत 15.2 अरब डॉलर आंकी गयी थी. तब से लेकर अब तक कंपनी की कीमत में 23 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गयी है. फिलहाल, कंपनी में नए निवेशकों के अलावा पुराने निवेशकों में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, नैस्पर्स ग्रुप, एसेल पार्टनर्स औऱ डीएसटी ग्लोबल शामिल है.

नए निवेश को लेकर कंपनी के फाउंडर सचिन बंसल और बिनी बंसल का कहना है कि टेनसेंट, ईबे और माइक्रोसॉफ्ट इनोवेशन यानी नवप्रवर्तन के मामले में पावरहाउस है. ये बेहद खुशी की बात है कि उन्होंने भारत में फ्लिपकार्ट को अपना पाटर्नर चुना. सचिन और बिनी का ये भी कहना है कि तीनों ही कंपनियों की विशिष्टता को देखते हुए साझेदार के तौर पर चुना गया है. इस सौदे के साथ ही फ्लिपकार्ट की उस प्रतिबद्धता की नए सिरे से पुष्टि हुई है जिसमें तकनीक के जरिए कारोबार व्यापार की नई शक्ल देने की प्रक्रिया में तेजी लानी है.

चीनी कंपनी टेनसेंट की सोशल नेटवर्क और ई कॉमर्स को जोड़ने में खासा अनुभव है. दूसरी ओर ईबे दुनिया की जानी मानी ई कॉमर्स कंपनी है. नई व्यवस्था में ईबे इंडिया का कारोबार फ्लिपकार्ट के पास आ जाएगा. हालांकि ईबे इंडिया फ्लिपकार्ट के छत तले स्वतंत्र रुप से काम काम करता रहेगा. फ्लिपकार्ट औऱ ईबे ने एक औऱ करार किया है जिसके तहत जहां फ्लिपकार्ट के ग्राहक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी के वैश्विक उत्पाद खरीद सकेंगे, वहीं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध सामान ईबे के ग्राहकों को उपलब्ध होगा.

दिल्ली आईआईटी में सहपाठी रहे सचिन और बिनी ने 2007 में फ्लिपकार्ट की शुरुआत की. दस सालों के सफर में कंपनी के 10 करोड़ से भी ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स हैं. इन दस सालों में फ्लिपकार्ट ने मिंत्रा और जबांग जैसे फैशन पोर्टल और फोन पे जैसे पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को हासिल किया.