नई दिल्ली: एक तरफ़ सरकार कह रही है कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक है वहीं, दूसरी तरफ देश के पांच ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों की आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हो चुकी है कि उन्हें रोज़मर्रा के ख़र्च को चलाना भी मुश्किल हो गया है. इसकी वजह ये है कि केंद्र सरकार अपने करार के मुताबिक़ इन राज्यों को जीएसटी से होने वाले घाटे की बकाया राशि नहीं दे रही है. अब इन राज्यों के वित्त मंत्री केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

इसी संबंध में एक बैठक बुधवार को दिल्ली में हुई. एम्पावर्ड कमिटी की इस बैठक में पांच गैर बीजेपी शासित राज्यों (पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और केरल) के वित्त मंत्रियों ने हिस्सा लिया. पंजाब के वित्त मंत्री ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पंजाब की जेलों में सिर्फ़ दो ही दिन का राशन है और पुलिस का ख़र्च उठाने के लिए भी पैसे कम हैं. बैठक में शामिल राज्यों का कहना है कि अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने उन्हें ये बकाया राशि न दी तो उन्हें दस या ग्यारह प्रतिशत की दर से क़र्ज़ लेना पड़ेगा. ऐसी हालत में इन क़र्ज़ के भार का वहन केंद्र सरकार को करना चाहिए.

जीएसटी कंपनसेशन और एरियर मिला कर अकेले पंजाब को दो महीना बीस दिन का 4100 करोड़ रूपये केंद्र सरकार से नहीं मिला है. सभी राज्यों को मिलाकर कुल क़रीब तीस हज़ार करोड़ रुपये केंद्र सरकार को इन राज्यों को देना है. अब इस मुद्दे पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) का आरोप है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों के हक का पैसा रोक कर जानबूझ कर भेदभाव कर रही है. बकाए राशि की मांग के लिए दिल्ली के आप सांसद लगातार मांग कर रहे हैं.

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