Excise Duty Hike: केंद्र सरकार ने ATF और पेट्रोल-डीजल के एक्सपोर्ट पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का फैसला कर लिया है. पेट्रोल पर 6 रुपए प्रति लीटर जबकि डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर तक एक्सपोर्ट एक्साइज ड्यूटी में इजाफा कर दिया गया है. वहीं एटीएफ के एक्सपोर्ट पर 6 रुपये प्रति लीटर सेंट्रल एक्सपोर्ट एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जा चुकी है.
कच्चे तेल पर एक्स्ट्रा टैक्ससरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के एक्सपोर्ट पर 6 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई. वहीं डीजल के एक्सपोर्ट पर 13 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी लगाई है. वित्त मंत्रालय की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने डोमेस्टिक लेवल पर पुन: उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का अतिरिक्त टैक्स लगाया है. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों के बढ़ने के बाद ऑयल प्रोड्यूसर्स को होने वाले अप्रत्याशित फायदे को कंट्रोल करने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,230 रुपये प्रति टन का एक्स्ट्रा टैक्स लगाने का निर्णय भी लिया है.
आम आदमी पर क्या होगा असरआम आदमी पर इस एक्सपोर्ट एक्साइज ड्यूटी का सीधा सीधा कोई असर नहीं आएगा लेकिन इस कदम से देश में फ्यूल का संकट ना हो, ऐसा करना सरकार का उद्देश्य है. दरअसल ऑयल कंपनियां घरेलू स्तर पर कच्चा तेल इंपोर्ट करके, उसे रिफाइन करके विदेशी बाजारों को एक्सपोर्ट कर रही थीं जिसके चलते इनका एक्सपोर्ट ज्यादा हो रहा था और इसी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने ये एक्सपोर्ट एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है. पेट्रोल-डीजल के एक्सपोर्ट एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाने से आम ग्राहक पर कोई बोझ नहीं बढ़ेगा. चूंकि कंपनियां ज्यादा एक्सपोर्ट कर रही थीं और विदेशी मुद्रा कमा रही थीं लेकिन ऐसा करने से घरेलू बाजार के लिए तेल कम पड़ रहा था और देश के कुछ राज्यों में तेल संकट देखने को मिला था.
सामान्य एक्साइज ड्यूटी से ना हो कन्फ्यूजये किसी भी तरह से सामान्य एक्साइज ड्यूटी नहीं है और इसका पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों पर कोई असर नहीं आएगा. हालांकि एक्सपोर्ट कम होने से कंपनियों के मुनाफे में कमी आ सकती है और इसी कारण आज रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में बड़ी गिरावट देखी जा रही है. आरआईएल करीब 170 रुपये प्रति शेयर टूटा है.
क्या होगा फायदाएक्सपोर्ट एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से घरेलू स्तर पर ईंधन की सप्लाई बढ़ेगी और देश में हाल में जो फ्यूल क्राइसिस जैसी स्थिति देखी गई थी वो नहीं आएगी. एक्सपर्ट्स की मानें तोइससे घरेलू बाजार में फ्यूल की कीमतों पर नियंत्रण रखने में भी मदद मिलेगी जिससे पेट्रोल-डीजल के महंगा होने का डर कम होगा. एक्सपोर्ट पर एक्साइज ड्यूटी तेल रिफायनरी विशेषकर प्राइवेट सेक्टर के लिए है जिन्हें यूरोप और अमेरिका जैसे बाजारों में फ्यूल का एक्सपोर्ट करने पर खासा मुनाफा मिलता है. वहीं घरेलू स्तर पर कच्चे तेल का उत्पादन करने पर लगाया गया टैक्स लोकल ऑयल प्रोड्यूसर्स के लिए है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड की ऊंची कीमतों से अप्रत्याशित लाभ मिल रहा है.
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