Financial Frauds: यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि ठगी का शिकार सिर्फ कम पढ़े-लिखे या तकनीकी जानकारी से दूर लोग ही नहीं होते, बल्कि उच्च पदों पर रह चुके और बेहद शिक्षित अधिकारी भी साइबर और निवेश धोखाधड़ी के जाल में फंस सकते हैं. पंजाब से सामने आई इस बेहद दुखद घटना में स्टॉक मार्केट में जल्दी मुनाफे का झांसा देकर जालसाजों ने एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी को करीब 8.1 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बना लिया, जिसके बाद मानसिक दबाव और निराशा में आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली.
ठगी के जाल में आईपीएस
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति ने खुद को डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर (DBS) और उसके सीईओ से जुड़ा बताते हुए अधिकारी से संपर्क किया और खुद को बैंक का वेल्थ मैनेजर बताया. इसके बाद उन्हें व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स से जोड़ा गया, जहां हाई रिटर्न का लालच देकर शेयर बाजार में निवेश के लिए उकसाया गया. शुरुआत में फर्जी मुनाफा दिखाकर भरोसा जीता गया और फिर उसी मुनाफे को दोबारा निवेश करने का दबाव बनाया गया.
भरोसा करते हुए अधिकारी ने दोस्तों और परिवार से उधार लेकर बड़ी रकम निवेश कर दी. बाद में जब उन्होंने पैसा निकालना चाहा तो जालसाजों ने टैक्स, फीस और अन्य चार्ज के नाम पर और पैसे मांगे, जो उन्होंने बैंक ट्रांसफर के जरिए भेज दिए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अपनी रकम नहीं मिल सकी.
ठगी के बाद लगाया मौत को गले
12 पन्नों के सुसाइड नोट में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ने लिखा कि यह पूरा फर्जीवाड़ा बेहद संगठित है और इसमें कई बैंक खाते शामिल हैं. उन्होंने पुलिस से अपील की कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और यदि संभव हो तो ठगी की गई रकम को बरामद कर उनके परिवार को लौटाया जाए.
यह घटना न सिर्फ साइबर ठगी के बढ़ते खतरे को उजागर करती है, बल्कि यह भी चेतावनी देती है कि निवेश के नाम पर मिलने वाले किसी भी “गारंटीड रिटर्न” के दावे से पहले सतर्कता और जांच बेहद जरूरी है.