Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन समेत कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए. इस बारे में उनका कहना रहा कि दूसरे देश अमेरिका से हाई टैरिफ वसूलते हैं और अब अमेरिका भी उनसे हाई टैरिफ वसूलेगा.उन्होंने बताया था कि उनकी इस टैरिफ पॉलिसी से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी.
हालांकि, यह अब उल्टा साबित होते दिख रहा है क्योंकि अमेरिका एक ऐसा देश है जहां कई ऐसी चीजें हैं जिनकी मैन्युफैक्चरिंग या तो होती ही नहीं है या बहुत कम लेवल पर होती है. ऐसे में जाहिर सी बात है कि ये प्रोडक्ट्स दूसरे देशों से मंगाए जाएंगे और यही बात अब अमेरिकी कंपनियों को खटक रही है क्योंकि दूसरे देशों से सामान मंगाने पर उन्हें भी उनकी जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
चीनी मैन्युफैक्चरिंग के भरोसे कई अमेरिकी कंपनी
अब आप चीन को ही ले लीजिए. अमेरिका ने चीनी आयात पर 145 परसेंट का भारी-भरकम टैरिफ लगाया है. वहीं, चीन ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए अमेरिका पर 125 परसेंट का टैरिफ लगा दिया है. इसके अलावा, पहले से लगाया गया 20 परसेंट टैरिफ अलग से है यानी कि टोटल 145 परसेंट टैरिफ.
यह जगजाहिर है कि एप्पल जैसे कई टेक कंपनियों के प्रोडक्ट चीन में बनकर तैयार होते हैं. अब यहां से सामान जब अमेरिका लाएं जाएंगे तो इन पर हाई टैरिफ का भुगतान करना होगा. इसी चिंता का असर है कि एप्पल, एनवीडिया जैसी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली और नतीजतन अमेरिकी शेयर बाजार को भी तगड़ा नुकसान हुआ. शायद यही वजह है कि स्मार्टफोन और कम्प्यूटर अब अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे.
रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे ये प्रोडक्ट्स
एस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन द्वारा जारी किए गए नोटिस के मुताबिक, स्मार्टफोन, लैपटॉप और कई दूसरे टेक कॉम्पोनेंट्स रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे. शुक्रवार को अमेरिकी CBP ने 20 ऐसे प्रोडक्ट कैटेगरी की लिस्ट बनाई, जिन्हें रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत नहीं लाए जाएंगे.
इनमें स्मार्टफोन, कंप्यूटर/लैपटॉप टेलीकॉम इक्विपमेंट्स, डिस्क ड्राइव, रिकॉर्डिंग डिवाइस, डेटा प्रोसेसिंग मशीन, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, वायरलेस ईयरफोन, राउटर्स जैसे कई टेक प्रोडक्ट्स हैं. इस कदम से एप्पल जैसे कई इम्पोटर्स और अमेरिकी टेक कंपनियों को राहत मिलेगी, जो मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन पर निर्भर है.
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