Domestic Airfare: एक सितंबर, 2022 से एयलाइंस अब खुद घरेलू हवाई यात्रा के लिए किराया तय करेंगे. सरकार ने 27 महीने बाद एयरलाइंस को हवाई किराया तय करने का अधिकार सौंप दिया है.  हालांकि नियमों के मुताबिक एयरलाइंस को अपने वेबसाइट पर किराया और सभी क्लास का फेयर घोषित करना जरुरी कर दिया गया है. माना जा रहा है कि जहां कुछ रूट्स पर एयरफेयर वॉर की शुरुआत हो सकती है. वहीं जिन रूट्स पर जिस भी एयरलाइंस का मोनोपॉली है उन रुट्स पर हवाई किरायों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. 


सितंबर के आखिरी हफ्ते दुर्गा पूजा का त्योहार शुरू हो रहा है. तो अक्टूबर में दिवाली और छठ का त्योहार है. इन त्योहारों के चलते डिमांड बढ़ जाती है. तब सप्लाई कम होने के चलते किराया बढ़ जाता है. ऐसे में त्योहारों के सीजन से लेकर आने वाली छुट्टियों के सीजन के दौरान हवाई किराया महंगा हो सकता है. 


सरकार के इस फैसले के दो पहलू हैं. पहला ये माना जा रहा है कि एयरलाइंस अब हवाई किराया तय करेंगी ऐसे में एयरफेयर महंगा हो सकता है. क्योंकि दो साल पहले जब सरकार ने एयरफेयर को रेग्युलेट करने का फैसला लिया था तब से लेकर अब तक हवाई ईंधन की कीमतें दोगुनी हो चुकी है. किसी भी एयरलाइंस को कमाई का  60 फीसदी खर्च हवाई ईंधन पर करना पड़ता है. ऐसे में एयरलाइंस महंगे एटीएफ का भार यात्रियों पर डाल सकती हैं. 


वहीं 7 अगस्त, 2022 से राकेश झुनझुनवाला समर्थित अकासा एयर की उड़ान की शुरुआत हो चुकी है. तो जल्द ही एक बार फिर नए प्रोमोटर्स वाली जेट एयरवेट अपनी उड़ान शुरू करने वाली है. माना जा रहा है जिन रुट्स पर अकासा एयर ने उड़ान भरना शुरू किया है. उन रुट्स पर प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. ऐसे में एयरलाइंस यात्रियों को लुभाने के लिए सस्ते हवाई सफर का ऑफर दे सकते हैं. लेकिन जिस भी रुट्स पर जिस भी एयरलाइंस की मोनोपॉली है उन रुट्स पर हवाई किरायों में बढ़ सकती है. 


कोरोना महामारी ने जब देश में दस्तक दी और लॉकडाउन लगा तो घरेलू और इंटरनेशनल उड़ानें भी बंद हो गई. 25 मई 2020 से जब प्लाइट सर्विसेज की शुरुआत हुई तो सरकार ने हवाई किरायों को रेग्युलेट करने का निर्णय लिया. घरेलू उड़ानों के लिए किराये की ऊपरी और निचली सीमा सरकार ने तय करनी शुरू कर दी थी. लेकिन अब सरकार ने फैसला कर लिया है कि वो एयर फेयर की लिमिट तय नहीं करेगी बल्कि 31 अगस्त, 2022 से एयरलाइंस खुद हवाई किराया तय करेंगी. 


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