डीबीएस बैंक मुश्किल में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक का अधिग्रहण करेगा. आरबीआई के प्लान के मुताबिक सिंगापुर सरकार समर्थित डीबीएस लक्ष्मी विलास बैंक में कम से कम 2,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. डीबीएस बैंक पहला ग्लोबल बैंक है, जिसने खुद पहल करके इंडियन मार्केट में अपनी हिस्सेदारी कायम करने के लिए सब्सिडियरी बनाने और लक्ष्मी विलास बैंक में पूंजी निवेश का फैसला किया है. अपनी इस पहल के तहत लक्ष्मी विलास बैंक की 560 शाखाओं के जरिये डीबीएस बैंक की पहुंच इसके होम, पर्सनल लोन और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लोन ग्राहकों तक हो जाएगी.


लक्ष्मी विलास बैंक के डिपोजिटरों का पैसा नहीं डूबेगा


बेलआउट पैकेज के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के डिपोजिटर और बॉन्ड होल्डर्स को उनका पूरा पैसा मिल जाएगा. हालांकि शेयरधारकों को नुकसान होगा. डीबीएस बैंक ने कहा है कि प्रस्तावित विलय से इसे अपना कस्टमर बेस और नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी. हालांकि विलय योजना का ऐलान करने से पहले आरबीआई ने पैसा निकालने पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया है. ग्राहक एक महीने तक सिर्फ 25 हजार रुपये निकाल सकते हैं.


इंडियाबुल्स के साथ विलय की नहीं बनी थी बात 


बैंक ने पहले इंडियाबुल्स के साथ विलय करने की भी कोशिश की थी. लेकिन आरबीआई ने इसकी इजाजत नहीं दी. बैंक की इंडिया बुल्स के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई, लेकिन बात नहीं बन सकी. बैंक पिछली 10 तिमाहियों से घाटे में चल रहा है और आरबीआई ने पिछले साल सितंबर 2019 में Prompt Corrective Action की शुरुआत की थी, जो बैंक को अतिरिक्त पूंजी देने, कंपनियों को उधार देने, एनपीए (NPA) कम करने और प्रोविजन कवरेज में 70 फीसदी के अनुपात तक सीमित करता है. कर्ज वसूली में नाकाम रहने और बढ़ते एनपीए की वजह से आरबीआई ने सितंबर, 2019 में बैंक को पीसीए में डाल दिया था.


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