Cryptocurrency Selloff: क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में इस समय हलचल मची हुई है, तमाम बड़ी क्रिप्टो के दाम में गिरावट देखी जा रही है और बिटकॉइन जैसी नंबर 1 पॉपुलर क्रिप्टो के निवेशक भी इस समय घाटा झेल रहे हैं. पिछले एक हफ्ते यानी 7 दिनों से जोरदार गिरावट का साया क्रिप्टोकरेंसी के मार्केट में छाया हुआ है और इंवेस्टर्स इसमें बिकवाली कर रहे हैं.


किन क्रिप्टोकरेंसी के दाम हैं टूटे


क्रिप्टो की गिरावट का आलम देखें तो पिछले एक हफ्ते में बिटकॉइन में 11.5 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है और ये 26,023.3 डॉलर पर आ गई है. इसी तरह इसके बाद सबसे ज्यादा खरीदी जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम में 9.7 फीसदी की गिरावट देखी गई है. रिपल में 16.9 फीसदी की जोरदार गिरावट देखी गई और सोलाना 13.3 फीसदी टूटी है. कुछ मीमकॉइन्स जैसे कि डॉजकॉइन और शिबु इनु में करीब 16 फीसदी की जबरदस्त गिरावट के साथ कारोबार देखा जा रहा है. 


भारतीय क्रिप्टो निवेशक क्यों है घबराहट में


पिछले एक हफ्ते में देखी गई गिरावट से क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों में घबराहट होना लाजिमी है क्योंकि नवंबर 2022 के FTX क्रैश के बाद से बिटकॉइन में देखी गई ये सबसे बड़ी गिरावट है. FTX संकट के दौरान भी बिटकॉइन समेत कई क्रिप्टो की कीमतों में जोरदार गिरावट दर्ज की गई थी और इसके बाद क्रिप्टो इंवेस्टर्स को भारी नुकसान झेलना पड़ा था.


18 अगस्त को देखी गई भारी गिरावट का कारण


क्रिप्टो का बाजार वैसे ही संकट झेल रहा था और 18 अगस्त को बिटकॉइन के दाम में 8 फीसदी की जोरदार गिरावट देखी गई क्योंकि एलन मस्क के स्पेसएक्स के कथित तौर पर टेस्ला की तरह अपनी बिटकॉइन होल्डिंग्स को बेच देने की खबरें आई हैं. स्पेसएक्स ने 2021-2022 के दौरान बिटकॉइन में 373 मिलियन डॉलर जमा किए थे. जानकारों का कहना है कि बिटकॉइन 26,000 डॉलर के रेट से नीचे चली गई है जो कि में पिछले एक साल में BTC में देखी गई सबसे बड़ी गिरावट है.


भारत में क्रिप्टो पर लगने वाला टैक्स बड़ी वजह


कई भारतीय क्रिप्टोकरेंसी निवेशक इनकी कमाई पर लगने वाले 30 फीसदी टैक्स के बाद से अपना निवेश घटा रहे हैं. कुछ कारण और भी हैं जैसे कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में इजाफा करने के संकेतों के बाद से भी निवेशक अपना निवेश बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में कम कर रहे हैं. वहीं टेस्ला जैसे मल्टी इंवेस्टर का बिटकॉइन में से पैसा निकालना भी इस ऐसेट के लिए संकट का कारण बन रहा है.


ज्यादातर भारतीय निवेशक इस समय क्रिप्टोकरेंसी को ज्यादा फायदे का सौदा नहीं मान रहे हैं और बीच-बीच में आने वाले इस तरह के गिरावट वाले संकट के चलते भी इससे पीछे हट रहे हैं. वहीं रिस्की ऐसेट होने के साथ साथ भारीभरकम टैक्स का कारण भी इससे हो रही अरुचि की वजह बन रहा है. 


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