China Trade Surplus: अमेरिका द्वारा हाई टैरिफ लगाए जाने के बीच चीन ने नवंबर में अपना ट्रेड सरप्लस पहली बार 1 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंचा दिया है. इसकी प्रमुख वजह यह है कि अमेरिकी निर्माताओं ने ऊंचे आयात शुल्क के कारण अपने उत्पादों को अमेरिका भेजने के बजाय यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बाजारों में निर्यात करना शुरू कर दिया. वहीं, अमेरिका को चीन का निर्यात एक वर्ष पहले की तुलना में लगभग एक-तिहाई रह गया है.

Continues below advertisement

चीन का बढ़ा व्यापार

सोमवार को जारी कस्टम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में चीन का कुल निर्यात सालाना आधार पर 5.9 प्रतिशत बढ़ा. इसी महीने चीन का ट्रेड सरप्लस बढ़कर 111.68 बिलियन डॉलर हो गया, जो जून के बाद सबसे अधिक है और अक्टूबर के रिकॉर्ड 90.7 बिलियन डॉलर को भी पार कर गया है. इससे चीन का ट्रेड सरप्लस पिछले 11 महीनों में पहली बार 1 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर चला गया.

Continues below advertisement

कैपिटल इकोनॉमिक्स के चाइना इकोनॉमिस्ट जिचुन हुआंग के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर बनी सहमति के बावजूद अमेरिका को चीन के शिपमेंट में कोई खास सुधार नहीं हुआ. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्ष में भी चीन का निर्यात इसी प्रकार मजबूत बना रहेगा. ट्रंप के 2024 में चुनाव जीतने के बाद चीन ने अपने निर्यात को विविध बाजारों में फैलाने की रणनीति अपनाई, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार बढ़ाना शामिल है.

कैसे चीन का ट्रेड सरप्लस?

इसका सीधा लाभ चीनी कंपनियों को मिला, जिन्होंने कम टैरिफ वाले वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत की. वहीं, नवंबर में चीन का अमेरिका को निर्यात 29 प्रतिशत घटा, जबकि यूरोपीय संघ को निर्यात 14.8 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया को 35.8 प्रतिशत और दक्षिण एशियाई देशों को 8.2 प्रतिशत बढ़ा.

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब 30 अक्टूबर को दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच टैरिफ समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत मिले थे.

ये भी पढ़ें: यूएस फेड के फैसले से पहले बाजार में कोहराम-टूटा रुपया, क्या आगे और गिरने का है डर?