नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट जमा कराने का एक और मौका देने से मना कर दिया है. सरकार ने कहा है कि इससे नोटबंदी का उद्देश्य पूरा नहीं होगा. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा देते हुए ये बात कही है कि ज़रूरतमन्दों को पुराने नोट बदलने की इजाजत देने की आड़ में काला धन खपाने का जरिया निकल सकता है. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से चार जुलाई को इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा था.


जानिए सरकार ने क्यों किया पुराने नोटों को बदलने का मौका देने से इंकार?
नोटबंदी के बाद जिन लोगों ने साल 2016 के 30 दिसंबर तक अपने पुराने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट नहीं बदलवाए, केंद्र सरकार ने उनके लिए नोट बदलवाने का एक और मौका देने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा करने से काला धन नष्ट करने का उद्देश्य खत्म हो जाएगा. सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में वित्त मंत्रालय के अपर सचिव टी. नरसिम्हा ने कहा, "लोगों को पुराने नोट जमा कराने के लिए साल 2016 के 30 दिसंबर तक पर्याप्त वक्त दिया गया. नोटबंदी का मुख्य लक्ष्य काले धन को खत्म करना था. अब अगर इस एक और मौका दिया गया तो इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकेगा."


उन्होंने कहा कि अगर ऐसी अनुमति दी गई तो कई बेनामी लेनदेन होंगे और प्राक्सी यूजर्स पुराने नोट बदलेंगे और काले धन पर रोक नहीं लग पाएगी. उन्होंने अदालत से उस याचिका को खारिज करने की मांग की, जिसमें नोट जमा करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की गई है.


केंद्र सरकार चार जुलाई के न्यायालय के निर्देशों पर जवाब दे रहा था जिसमें उससे कहा गया था कि वैसे लोगों को अपने नोट जमा करने का एक और मौका दिया जाना चाहिये जो उचित कारणों से अमान्य ठहराये जा चुके नोटों को बदल नहीं सके थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को अपने ही धन से वंचित नहीं किया जाना चाहिये, अगर इसमें उनकी कोई गलती नहीं हो.




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