Capital Gain Tax: मोदी सरकार ने भले ही इनकम टैक्स (Income Tax) के मोर्चे पर टैक्सपेयर्स को बजट में कोई राहत ना दी हो लेकिन सरकार इनकम टैक्स ( Income Tax)  को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. ये बदलाव होगा कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) के मोर्चे पर. रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज ने कहा है कि मौजूदा कैपिटल गेन टैक्स की व्यवस्था काफी जटिल हो चुका है जिसकी समीक्षा किए जाने की दरकरार है. 


तरुण बजाज ने उद्योगजगत के लोगों के साथ बजट बाद चर्चे के दौरान बताया कि सरकार ने देश के कैपिटल गेन टैक्स की व्यवस्था और दूसरे देशों की टैक्स व्यवस्था के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया है. उन्होंने इस बाबत उद्योगजगत के प्रतिनिधियों से इस बाबत सुझाव भी मांगे हैं.  उन्होंने कहा कि कैपिटेल गेन टैक्स व्यवस्था को नए सिरे से तैयार किए जाने की जरुरत है. 


तरुण बजाज ने बताया कि कैपिटल गेन टैक्स की मौजूदा व्यवस्था इतनी जटिल है जिसमें टैक्स के दरों के नए सिरे से देखे जाने के साथ होल्डिंग पीरियड के फ्रेमवर्क को भी देखे जाने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि रिटल एस्टेट में होल्डिंग पीरियड 24 महीने है शेयर्स के लिए 12 महीने वहीं डेट में 36 महीने है जिसपर गौर किए जाने की जरुरत है. 


कैपिटल गेन टैक्स व्यवस्था निर्धारित करने के लिए होल्डिंग अवधि से तय होता है कि कि संपत्ति बेचने के समय प्राप्त लाभ अल्पकालिक है या दीर्घकालिक. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की तुलना में ज्यादा टैक्स लगता है. एसेट क्लास के अनुसार होल्डिंग अवधि और कर की दर अलग अलग होती है, चाहे वह संपत्ति हो, चल संपत्ति जैसे आभूषण, सूचीबद्ध शेयर और इक्विटी-उन्मुख म्यूचुअल फंड या ऋण-उन्मुख म्यूचुअल फंड.


प्रॉपर्टी जैसी कुछ संपत्तियों के मामले में, शार्ट टर्म कैपिटल गेन  आयकर स्लैब के अनुसार लगाया जाता है. सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों से एक लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन या मुद्रास्फीति के लिए लेखांकन के लाभ के बिना 10% टैक्स लगता है. तरुण बजाज के मुताबिक नियमों में बदलाव के कुछ को फायदा कुछ को नुकसान हो सकता है. 


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