Startup Classroom: स्टार्टअप क्लासरूम की इस सीरीज के पिछले आर्टिकल में आपने स्टार्टअप के सबसे अहम पहलू यानी फंडिंग के बारे में जाना. आज आप जानेंगे कि इसकी बीटा टेस्टिंग के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. 


बीटा टेस्टिंग या मार्किट फिट टेस्ट


अभी तक हमने स्टार्टअप के कई खास पहलुओं पर चर्चा की है, इसी सीरिज में आता है, आपके प्रोडक्ट को मार्किट में लॉन्च करने से पहले, उसे कुछ खास लोगों को या सेट ऑफ़ कस्टमर्स को देना, और उनसे उनका फीडबैक जानना, कि क्या अच्छा है, क्या अच्छा हो सकता है, क्या ठीक नहीं काम कर रहा और आपका कस्टमर आपके प्रोडक्ट को कैसे देखता है. 


बीटा टेस्टिंग क्यों जरूरी है


Half Cooked Food परोस कर आप कभी भी किसी का पेट नहीं भर सकते, बल्कि उनके और अपने लिए मुश्किलें जरुर पैदा लेंगे. आपके प्रोडक्ट को कैसे बेहतर बनायें, इसका सही जवाब केवल आपके कस्टमर के पास ही होता है, बहुत बार मैंने देखा लोग बिना किसी प्रॉपर रिसर्च और टेस्टिंग के अपना प्रोडक्ट मार्किट में उतार देते हैं, नतीजन बहुत सारे नेगेटिव कॉमेंट्स मिलते हैं, अपका  शुरुआती कस्टमर ही आपसे नाराज़ हो जाता है, "फर्स्ट इम्प्रैशन इज लास्ट इम्प्रैशन" क्या ध्यान रखें. इसीलिए पहले इम्प्रैशन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि, आपका प्रोडक्ट जो भी हो, टेक आधारित हो, ऐप हो, या कुछ और, उसे मार्किट में उतारने से पहले, उसकी बीटा टेस्टिंग या मार्किट टेस्टिंग जरुर करें, ये आपके प्रोडक्ट को ना सिर्फ बेहतर बनाने के काम आएगा, बल्कि शुरुआती नेगेटिव इमेज से भी बचाएगा.


बीटा टेस्टिंग कैसे करें


ध्यान दें, मेकर्स और चेकर्स कभी भी एक नहीं हो सकते हैं. तो बीटा टेस्टिंग के कई सारे तरीके हो सकते हैं, सबसे पहले तो आपको ये जानना जरुरी है कि आपका जो भी प्रोडक्ट है उसका एंड यूजर कौन है, उसके एक्सपर्ट्स कौन हैं, कौन लोग हैं जो आपके प्रोडक्ट को आये दिन इस्तेमाल करते हैं या उसके बारे में बेहतर समझ रखते हैं, जैसे अगर आप कुछ एजुकेशन या स्टूडेंट्स सम्बंधित बना रहे हैं तो ना केवल स्टूडेंट्स बल्कि टीचर्स, कोचिंग एक्सपर्ट्स, पेरेंट्स, स्कूल प्रिंसिपल्स सभी आपको बहुत कुछ ऐसा बता सकते हैं जो आपके प्रोडक्ट को बेहतर बनाने में काम आ सकता है. हां, यहां मार्किट में उपलब्ध सिमिलर प्रोडक्ट के नेगेटिव रिव्यूज भी आपके बहुत काम सकते हैं, और यही बात बीटा टेस्टिंग को बहुत अहम बना देती है।


बीटा टेस्टर्स से जुड़ें


मार्किट में आपको बहुत से ऐसे एक्सपर्ट्स मिल जायेंगे जो बीटा टेस्टिंग का ही काम करते हैं, इन्हें इसकी बेहतर समझ होती है, ये आपके प्रोडक्ट/ऐप को हर तरह से चेक करते हैं और आपको जरुरी सुझाव दे सकते हैं.


शुरुआती कस्टमर्स चुनें


आप मार्किट आपने आस पास दोस्त, रिलेटिव, कलीग्स, मार्किट से सुर्वे से कुछ कस्टमर चुन सकते हैं, और उन्हें शुरुआती प्रोडक्ट दे सकते हैं, उनके कुछ समय इस्तेमाल करने के बाद आप उनसे उनका फीडबैक ले सकते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि आपके पास खुद ऐसी लिस्ट होनी चाहिए जो आपके प्रोडक्ट के हर स्टेज पर फीडबैक ले सके. 


कस्टमर्स/बीटा टेस्टर्स को रिवॉर्ड दें


बहुत सिंपल है, कोई भी आपको अपना समय क्यों देगा, बीटा टेस्टिंग में बहुत सी कंपनियां कुछ न कुछ रिवार्ड्स रखती हैं, जिससे लोग उनके प्रोडक्ट को इस्तेमाल करें और अपना फीडबैक दें. बीटा टेस्टिंग में जाने से पहले एक लिस्ट जरुर तैयार कर लें जिसपर आप फीडबैक चाहते हैं, ये लिस्ट आप टेस्टर्स से खुद भरवा सकते हैं या कॉल या मीटिंग के माध्यम से उनसे सवाल पूछ सकते हैं.


फीडबैक पर काम करें


आपके बीटा टेस्टिंग के बाद जो भी फीडबैक आता है, उसे बहुत सीरियस तरीके से लें, ध्यान दें, कस्टमर का दिया हुआ हर फीडबैक आपके प्रोडक्ट को बेहतर बनाने की गुंजाईश रखता है. कई बार हम जल्दीबाज़ी में इन बातों को इग्नोर करके प्रोडक्ट को मार्किट में उतार देते हैं लेकिन वो आपकी कम्पनी को नुकसान ही पहुचायेगा. फीडबैक को अपने प्रोडक्ट में फिट करने में अगर थोडा समय भी लगता है तो परेशान ना हों, इंतज़ार कर लें, जैसे की, ऊपर कहा गया है कि आधा पका भोजन पेट तो भरेगा नहीं, बल्कि पेट खराब जरूर कर देगा.


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(नोटः  लेखक प्रवीण कुमार राजभर SkillingYou के संस्‍थापक और सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)