नई दिल्ली: इस साल (2019-20) के बजट में जल शक्ति मंत्रालय के फोकस में रहने की संभावना है. 30 जून को प्रसारित हुए अपने मासिक 'मन की बात' कार्यक्रम समेत तमाम मंचों से पीएम मोदी इस मंत्रालय का ज़िक्र करते हुए इसे एक बड़ा क़दम बता चुक हैं. इसलिए बजट में इस मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की संभावना है.

जलशक्ति मंत्रालय का गठन पहले के दो मंत्रालयों को मिलाकर किया गया है. इनमें पहले के जल संसाधन एवं गंगा पुनरूद्धार मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को मिला दिया गया है. इसका एलान बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में भी किया था. दरअसल पीएम मोदी चाहते थे कि पानी से जुड़ी हर समस्या और मुद्दों पर एक ही मंत्रालय विचार करे, ताकि बेहतर तरीक़े से जल प्रबंधन हो सके.

सूत्रों के मुताबिक़ बजट में इस मंत्रालय से जुड़ी चार अहम योजनाओं पर काफ़ी ज़ोर दिया जाएगा.

जल जीवन मिशन और नल से जल अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत से ही पीएम मोदी ने साफ़ कर दिया है कि अगले पांच सालों में उनकी सरकार का सबसे ज़्यादा फोकस लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी मुहैया करवाना है. सूत्रों के मुताबिक़ बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन 'जल जीवन मिशन' की शुरूआत करने की घोषणा कर सकती हैं.

इसी मिशन के तहत 'नल से जल' नाम से एक विशेष योजना का भी ऐलान हो सकता है, जिसका महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2024 तक भारत के सभी घरों में पाइप के ज़रिए शुद्ध पीने का पानी मुहैया कराना होगा. सूत्रों के मुताबिक़ इस साल के बजट में इस योजना के लिए 10000 करोड़ रूपए आवंटित किए जाने की संभावना है.

संभावना है कि ग्रामीण इलाक़ों में पेयजल मुहैया कराने के लिए पहले से चल रही योजना राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (National Rural Drinking Water Programme) का नई योजना में विलय कर दिया जाएगा.

जल संरक्षण अपने मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने जल संरक्षण पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे भविष्य के लिए ज़रूरी क़दम क़रार दिया. इससे साफ़ है कि इस साल के बजट में इसपर काफी ध्यान दिया जाएगा. सरकार ने एक जुलाई को जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जल जीवन अभियान की शुरूआत की है. उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के लिए भी अगले 3-5 सालों के लिए क़रीब 10000 करोड़ रूपए आवंटित किए जाएंगे.

जल जीवन अभियान देश के 256 ऐसे ज़िलों में पहले शुरू किया गया है जो पानी की उपलब्धता के मामले में सबसे ज़्यादा पिछड़े हैं.

स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण दो अक्टूबर 2014 को शुरू हुई इस योजना को मोदी सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करती रही है. योजना के तहत इसी साल दो अक्टूबर तक देश के सभी घरों में शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार का दावा है कि इसका 98 फीसदी काम पूरा हो गया है, लेकिन सरकार का फोकस अब इस स्थिति को बनाए रखने पर है.

सूत्रों के मुताबिक़ सरकार इस वर्ष इस मिशन के लिए क़रीब 15000 करोड़ रूपए आवंटित कर सकती है.

नमामी गंगे और नदी को जोड़ने की योजना अपने पहले कार्यकाल की शुरूआत से ही नरेंद्र मोदी सरकार ने गंगा नदी को साफ़ करने का बड़ा लक्ष्य तय किया था. पहले तो लक्ष्य 2019 तक गंगा को कम से कम निर्मल करने का था, लेकिन इसपर अभी बहुत काम बाक़ी है. बीजेपी के घोषणा पत्र में 2022 तक का नया लक्ष्य तय किया गया है.

इसके लिए चलाए जा रहे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण क़रीब 2500 करोड़ रुपया देने का एलान कर सकती हैं. हालांकि ये भी कड़वी सच्चाई है कि अबतक इस योजना में करीब 6000 करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं लेकिन अभी तक उसका केवल 23 फीसदी ही खर्च हुआ है.

इसके साथ ही मोदी सरकार एक बार फिर सालों से ठंडे बस्ते में पड़ी उस योजना पर काम शुरु कर सकती है, जिसका सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था- नदियों को जोड़ने की योजना. अगर सरकार इस योजना पर आगे बढ़ती है तो शुरुआती तकनीकी कामों के लिए 200 - 500 करोड़ रुपए तक आवंटित कर सकती है.