Crypto Heist: क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बायबिट से 1.5 अरब डॉलर (लगभग 13 हजार करोड़ रुपये) की डिजिटल करेंसी की चोरी का पर्दाफाश अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने कर दिया है. FBI ने इसका आरोप उत्तर कोरिया के लाजारस ग्रुप पर लगाया है. इसे ट्रेडटेरर ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है. एफबीआई ने यह भी कहा है कि इसके पीछे उत्तर कोरिया की सरकार का हाथ है. 

हैकर्स ने उठाया सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का फायदा

बीते 21 फरवरी को हैकर्स ने दुबई बेस्ड क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बायबिट के इथेरियम वॉलेट से 400,000 इथेरियम चुरा लिए, जिनकी कीमत लगभग 1.5 बिलियन डॉलर (13,000 करोड़ रुपये) है.  हैकर्स ने लेनदेन के दौरान सिक्योरिटी प्रोटोकॉल्स का फायदा उठाते हुए इस कारनामे को अंजाम दिया.

बिटकॉइन के बाद इथेरियम दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है. इतने बड़े पैमाने पर हुई इस चोरी से क्रिप्टो मार्केट में भूचाल आ गया. कंपनी कहीं दिवलिया न हो जाए इस डर से निवेशक धड़ाधड़ अपने पैसे निकालने में जुट गए. जबकि बायबिट के सीईओ और फाउंडर बेन बेन झोउ ने कहा कि बायबिट वित्तीय रूप से स्थिर है. निवेशकों के पैसे सुरक्षित हैं और सभी को मुआवजा दिया जाएगा.

लाजारस ग्रुप के बड़े कारनामे

लाजारस ग्रुप कोई नया नाम नहीं है. साल 2022 में रोनिन नेटवर्क से 62.5 करोड़ डॉलर क्रिप्टो करेंसी चोरी का आरोप भी इस ग्रुप पर लगा है. इस दौरान लाजारस ग्रुप के हैकर्स ने रोनिन नेटवर्क से 620 मिलियन की एथेरियम और यूएसडी कॉइन चुराए थे. इसके अलावा, लाजारस ग्रुप ने 2014 में सोनी पिक्चर्स के नेटवर्क को भी हैक कर लिया था क्योंकि हैकर उत्तर कोरिया के तानाशाह  किम जोंग पर बनी फिल्म 'इंटरव्यू' की रिलीज को रोकना चाहते थे. माना जाता है कि लाजारस ग्रुप उत्तर कोरिया के लिए चीन से साइबर हमलों को अंजाम देता है. 

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