मिनिमम बैलेंस न होने पर लग रहा है भारी जुर्माना: पेनल्टी से बचने के लिए ये करें उपाय
आरबीआई ने साल 2014 में निर्देश जारी किया था कि अगर किसी ग्राहक के अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नही है तो सबसे पहले उसे मैसेज के जरिए सूचित किया जाना चाहिए और उसे अपने अकाउंट में पैसे डालने के लिए एक महीने का वक्त मिलना चाहिए.
भारतीय स्टेट बैंक ने खाताओं में मिनिमम बैलेंस(न्यूनतम राशि) नही होने की वजह से 1771 करोड़ रुपये चार्ज के रुप में वसूला था. यह राशि अप्रैल से नवंबर 2017 के बीच वसूली गई है. ऐसा नही है कि मात्र स्टेट बैंक ने ही इस तरह का चार्ज वसूला है बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के कई सारे बैंको ने इसी तरह मिनिमम बैलेंस नही रखने की वजह से लोगों के पैसों को काटा है. भविष्य में फिर कभी आपको इस तरह का नुकसान न उठाना पड़े, इसलिए जरुरी है कि आप अपने बैंक की मिनिमम बैलेंस की सीमा को ध्यान में रखें.
भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने सभी बैंको को निर्देश दे रखा है कि खाता खोलते समय ही ग्राहकों को ये जानकारी दी जानी चाहिए खाते में मिनिमम कितनी राशि रखनी अनिवार्य है. रिजर्व बैंक ने यह भी निर्देश दिया है कि ग्राहक को मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाले चार्ज की भी जानकारी दी जानी चाहिए.
आपको ये जान कर हैरानी होगी की साल 2016-17 के मुकाबले साल 2017-18 में बैंकों ने कई गुना ज्यादा चार्ज वसूला है. जहां साल 2016-17 में बैंकों ने 864 करोड़ की राशि बतौर सरचार्ज वसूला था तो वही दूसरी ओर साल 2017-18 में नवंबर तक में ही बैंकों ने 2,321 करोड़ रुपया वसूल लिया है. इन आंकड़ों से आप समझ सकते हैं कि बैंक किस तेजी से आम आदमी के पैसे काट रहे हैं.
स्टेट बैंक के अलावा साल 2017-18 में पंजाब नेशनल बैंक ने 97 करोड़, सेंट्रल बैंक ने 69 करोड़, इंडियन बैंक ने 51 करोड़, केनरा बैंक ने 62 करोड़, आईडीबीआई ने 52 करोड़ और युनियन बैंक ने 33 करोड़ की राशि आम जनता से वसूला है.
स्टेट बैंक के लिए मेट्रो शहरों में 3000 और शहरी शाखाओं में 2000 रुपये और ग्रामीण शाखाओं में 1000 रुपये मिनिमम बैलेंस रखना जरुरी होती है. जन धन योजना के तहत खोले गए खातों से जुर्माना नही लिया जाता है. पेनल्टी से बचने के लिए अपने नजदीकी बैंक शाखा जा कर मिनिमम बैलेंस की जानकारी लें.