Indian Banking System: हाल ही में बैंकों में नगदी की कमी पड़ गई. मई 2019 के बाद ये पहला मौका था जब बैंकों में नगदी का संकट खड़ा हो गया, नवंबर 2021 तक बैंकों के पास 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा सरप्लस नगदी थी. जबकि 20 सितंबर, 2022 को बैंकों के पास इसके उलट हालात पैदा हो गए और उन्हें 21,873 करोड़ रुपये की नगदी की कमी पड़ गई. दरअसल कर्ज की मांग में बढ़ोतरी, कॉरपोरेट्स द्वारा एडवांस टैक्स पेमेंट और बैंकों द्वारा डिपॉजिट रेट्स नहीं बढ़ाने के चलते नगदी का संकट खड़ा हुआ है.

  


क्या होगा बैंक कस्टमर पर असर 
नगदी की कमी के चलते सरकार के बांड यील्ड में बढ़ोतरी देखने को मिली है. 20 अगस्त 2022 को 10 साल के सरकार के बांड पर 7.18 फीसदी यील्ड मिल रहा था जो 21 सितंबर को बढ़कर 7.23 फीसदी पर जा पहुंचा है. इसका अर्थ ये हुआ डिपॉजिटर्स को लुभाने के लिए आने वाले दिनों में बैंक डिपॉजिट रेट्स में बढ़ोतरी कर सकते हैं. आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें बढ़ाये हैं. लेकिन ये उस अनुपात में नहीं बढ़ा है जिस रफ्तार में कर्ज महंगा हुआ है. अब बैंक एफडी (Fixed Deposits) आरडी (Recurring Deposits) पर ब्याज दरें बढ़ाकर डिपॉजिटर्स को लुभाने की कोशिश करेंगे जिससे बैंकों में नगदी आए. 


छोटी बचत योजनाओं पर भी बढ़ेंगी ब्याज दरें
30 सितंबर, 2022 को वित्त मंत्रालय पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, किसान विकास पत्र और एनएससी जैसी सेविंग स्कीमों पर ब्याज दरें बढ़ाने का एलान कर सकता है. दरअसल बीते दो वर्षों से ज्यादा समय से इन स्कीमों पर मिलने वाले ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है जबकि इस दौरान बैंकों ने एफडी पर रेट्स बढ़ाये हैं. इन स्कीमों में निवेश को लुभाने के लिए सरकार ब्याज दरें बढ़ा सकती है. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इन बचत योजनाओं में निवेश करें. 


क्या होता हैं बैंकों में नगदी का मामला
बैंक छोटी अवधि की जरुरतों तो पूरा करने के लिए जो कैश अपने पास रखते हैं उसे ही बैंकिंग सिस्टम में नगदी की संज्ञा दी जाती है. अगर बैंक लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (Liquidity Adjustment Facility) के तहत आरबीआई से नगदी लेता है तो इसका अर्थ ये हुआ कि बैंकों में नगदी की कमी है. अगर बैंक आरबीआई को लेंडिंग का काम करता है तो माना जाता है कि बैंकों के पास सरप्लस कैश है. Liquidity Adjustment Facility के जरिए आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में नगदी डालने या उसे सोकने का काम करता है. 


क्यों खड़ा हुआ नगदी संकट
कोरोना काल के बाद अर्थव्यवस्था गति पकड़ रहा तो ऐसे में बैंकों से कर्ज की मांग बढ़ी है. हर तिमाही के आखिरी 15 तारीख को कॉरपोरेट को एडवांस टैक्स जमा कराना पड़ता है. वो ही 15 सितंबर के करीब हुआ है तो डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी थामने के लिए आरबीआई के दखल देने और डिपॉजिट रेट्स नहीं बढ़ने के चलते भी ये संकट खड़ा हुआ है. 


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