Bank Merger 2.0: देश में पब्लिक सेक्टर के बैंकों के मर्जर पर तेजी से काम चल रहा है. इसके लिए सरकार RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ चर्चा कर रही है. वित्त मंत्री का कहना है कि देश को अब मजबूत, बड़े और भरोसेमंद सरकारी बैंकों की जरूरत है. इसके लिए पहले सरकार को बैंकों के साथ बैठकर बात करनी होगी और देखना होगा कि वे इसे कैसे आगे बढ़ाना चाहते हैं.

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उन्होंने आगे कहा, ''हम रिजर्व बैंक के साथ भी इस पर बातचीत कर रहे हैं कि बड़े बैंक बनाने में उनका विचार क्या है.'' 6 नवंबर को मुंबई में 12वें SBI बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ''मेरे हां कहने से पहले बहुत से काम करने बाकी है. मैंने फैसला ले लिया है और इस दिशा में काम भी शुरू हो चुका है.'' 

क्यों मर्ज किए जाएंगे बैंक? 

बैंकों के मर्जर पर इसलिए जोर दिया जा रहा है ताकि बैंकों की संख्या कम हो और बैंकिंग सिस्टम को और सुव्यवस्थित व आसान बनाया जा सके. इसका असर आने वाले समय में फाइनेंशियल सेक्टर में सुधार के तौर पर दिखेगा और लोन देने का भी दायरा बढ़ेगा. सरकारी बैंकों के मर्ज होने से छोटे और मध्यम आकार के सरकारी बैंकों को बड़े सरकारी बैंकों में मिला दिया जाएगा. इससे बैंकिंग सिस्टम मजबूत बनने के साथ स्ट्रक्चर्ड बनेगा.

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Bank Merger 2.0 के तहत इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई), बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) जैसे बड़े बैंकों के साथ मिलाया जा सकता है. 

पहले मर्ज किए जा चुके हैं ये बैंक

इससे पहले सरकार ने साल 2019 में Bank Merger 1.0 के तहत 4 PSU बैंकों के मर्जर का ऐलान किया था. इस दौरान यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पंजाब नेशनल बैंक में मिला दिया था. सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक के साथ मर्ज कर दिया था. इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में कर दिया गया था. साथ ही आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कर दिया गया था. इसके अलावा, देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय कर दिया था. इसी के साथ देश में सरकारी बैंकों की संख्या 2017 के 27 से घटकर अब 12 रह गई हैं. 

 

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