एक्सप्लोरर

कांग्रेस के नए अध्यक्ष को भी अपने 'रिमोट' से ही क्यों चलाना चाहता है गांधी परिवार?

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त भारत को जोड़ने की यात्रा के जरिए अपनी खोई हुई जमीन को वापस मजबूत करने में जुटी हुई  है लेक़िन ख़ुद उसके घर में ही 22 साल में पहली बार ऐसा हंगामा मचा है कि गांधी परिवार सियासी तौर पर खुद को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहा है. 

गांधी परिवार को पिछले कई दशक से जानने वाले बताते हैं कि ऐसी छटपटाहट तब भी देखने को नहीं मिली जब 1991 में राजीव गांधी की असमय मौत हो गई थी. उसकी बड़ी वजह शायद ये भी रही कि तब उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति से न तो जुड़ा हुआ था और न ही उनमें से किसी ने सक्रिय राजनीति में आने की अपनी कोई इच्छा ही जताई थी.

यह तो स्कूल-कॉलेज के वक़्त राजीव गांधी के सहपाठी रहे कुछ दोस्तों ने सोनिया गांधी को मना लिया था कि वे अपने दोनों बच्चों के साथ देश छोड़कर अपने मायके यानी इटली न जायें. नाम तो कई हैं लेकिन उनमें एक बड़ा नाम कैप्टन सतीश शर्मा का भी है जो राजीव के न सिर्फ सहपाठी रहे बल्कि उनकी पत्नी और सोनिया एक दूसरे की सबसे अंतरंग मित्र रही हैं. तकरीबन नौ बरस बीत जाने पर राजीव के सिपहसालार कहलाने वाली उसी तिकड़ी ने सोनिया गांधी को सक्रिय राजनीति में आने के लिए न सिर्फ मनाया बल्कि पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार किया.

हालांकि इसमें दो लोगों का भी अहम योगदान था और संयोग से वे दोनों ही आज इस दुनिया में नहीं हैं. एक थे- प्रणव मुखर्जी और दूसरे थे- अहमद पटेल. इन दोनों नेताओं को गांधी परिवार की आंख, कान व नाक समझा जाता था. बताते हैं कि जब साल 2004 में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए ने केंद्र में अपनी सरकार बनाई तब भी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहीं ज्यादा इन्हीं दो नेताओं की 10 जनपथ में तूती बोला करती थी. ये सिलसिला दस साल तक चलता रहा. इसे सरल भाषा में यों समझा जा सकता है कि किसी मसले पर सोनिया ने 'ना' कह दी तो उस पर अमल होकर ही रहेगा लेकिन अगर इन दोनों में से किसी एक नेता ने भी किसी और अहम मुद्दे पर सोनिया से सहमति मांगी हो तो ऐसा शायद ही कभी हुआ कि जब सोनिया ने "ना" की हो.

अब कुदरत का संयोग देखिये कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव करवाने की मजबूरी भी ऐसे वक्त पर आ गई है जब गांधी परिवार के सबसे वफ़ादार माने जाने वाले दोनों ही नेता इस दुनिया में नहीं हैं. हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले इतने सालों में गांधी परिवार को अपनी वफ़ादारी का सबूत देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. लेकिन अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने जिस तरह की बयानबाजी की उसे देखते हुए ही राहुल गांधी को उदयपुर चिंतन शिविर के उस संकल्प की याद दिलानी पड़ी कि यहां हर नेता की औकात सिर्फ एक पद पर ही बने रहने की है. सो, खुद ही तय कीजिये कि इतनी पुरानी पार्टी का अध्यक्ष बनना है या फिर सीएम की कुर्सी से ही चिपके रहना है. 

राहुल गांधी के नजदीकी सूत्र तो ये भी दावा करते हैं कि उन्होंने पार्टी के एक अंदरुनी सर्वे का जिक्र करते हुए ये भी साफ कर दिया कि आपकी अगुवाई में तो 2023 में कांग्रेस राजस्थान का किला शायद ही बचा पाये. बताते हैं कि उसके बाद ही गहलोत को अपनी ये जिद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा कि सचिन पायलट अगले सीएम नहीं बन सकते.

अब बात करते हैं कि पार्टी अध्यक्ष बनने की रेस में शामिल केरल के सांसद शशि थरूर के मुकाबले अशोक गहलोत ही गांधी परिवार की पहली पसंद क्यों है. हालांकि उनकी पसंद दिग्विजय सिंह भी हो सकते हैं जिनके नाम की चर्चा हो रही है लेकिन ऐसा होने के आसार बहुत कम है. कहते हैं कि गांधी परिवार में थरूर की गिनती पार्टी के बाकी सांसदों की तरह ही होती है यानी ख़ास वफ़ादारों की लिस्ट में उनका नाम शुमार नहीं है. उनका निजी व सार्वजनिक जीवन भी विवादों भरा रहा है जिससे सोनिया समेत राहुल व प्रियंका भी दूर रहना चाहते हैं. 

हालांकि पार्टी नेताओं को भी ये अहसास है कि थरूर कितनी मुलायम जमीन पर खड़े हैं कि उन्हें अपने प्रदेश यानी केरल के नेताओं का ही समर्थन नहीं मिल रहा है. जाहिर है कि ऐसी सूरत में उन्हें उत्तर भारत के राज्यों से भला कौन समर्थन देगा. अध्यक्ष बनने की दौड़ में नाम तो एक और भी चल रहा है और वे हैं, पंजाब से पार्टी के सांसद मनीष तिवारी, जो जी-23 गुट वाले नेताओं का हिस्सा हैं. लेकिन जानकर बताते हैं कि 80 के दशक में एनएसयूआई का अध्यक्ष बनने से लेकर सांसद बनने और फिर मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री बनने तक का उनका सफ़र ये बताता है कि वे कोई भी नुकसान होने से पहले अपने नफ़े के बारे में पहले सोचते है. वे सालों तक पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे हैं और हिंदी-अंग्रेजी के अलावा पंजाबी भाषा में भी पारंगत है. लेकिन लगता है कि उन्हें भी ये समझ आ गया होगा कि गांधी परिवार का वरदहस्त मिले पार्टी का अध्यक्ष बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है.

हम नहीं जानते कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा लेकिन सवाल ये है कि जो भी बनेगा क्या वह गांधी परिवार की छाया से मुक्त होगा और क्या उसे अपने मनमाफ़िक फैसले लेने की पूरी आज़ादी होगी? कुछ ऐसे ही सवालों को लेकर एबीपी न्यूज ने सी वोटर्स के साथ मिलकर एक त्वरित सर्वे किया है. इस सर्वे में सबसे अहम सवाल पूछा गया था कि कांग्रेस का अध्यक्ष कोई भी बने लेकिन रिमोट कंट्रोल क्या गांधी परिवार के पास ही रहेगा?

आपको जानकर हैरानी होगी कि 65 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब 'हां' में दिया है जबकि 35 प्रतिशत लोगों ने इससे इंकार कर दिया. इससे साफ है कि देश की बहुसंख्य जनता को भी ये अहसास हो चुका है कि ये चुनाव महज़ एक औपचारिकता है. पार्टी पर कंट्रोल तो वहीं से होगा जहां से अभी तक होता आ रहा है.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'मैं वो वाला हुमायूं कबीर नहीं', बाबरी मस्जिद के लिए चंदा देने वाले लोग क्यों दूसरे विधायक को लगा रहे फोन, जानें अब तक कितना फंड जुटा
'मैं वो वाला हुमायूं कबीर नहीं', बाबरी मस्जिद के लिए चंदा देने वाले लोग क्यों दूसरे विधायक को लगा रहे फोन, जानें अब तक कितना फंड जुटा
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दे दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से अमेरिका को लग जाएगी मिर्ची!
'सबके लिए अच्छा होगा...', पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से लगेगी अमेरिका को मिर्ची
द ग्रेट खली 8 साल बाद करेंगे रिंग में वापसी, जानिए कब? यहां मिलेगी हर डिटेल
द ग्रेट खली 8 साल बाद करेंगे रिंग में वापसी, जानिए कब? यहां मिलेगी हर डिटेल
ABP Premium

वीडियोज

Goa Nightclub Fire Case: नाइट क्लब के मालिकों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी | Breaking
UP News: धर्म परिवर्तन का विरोध करने पर ब्लेड से हमला, युवती की हालत गंभीर | Breaking
Parliament Winter Session: लोकसभा में आज  चुनाव सुधार पर चर्चा, SIR समेत कई मुद्दों पर होगी बहस
Indigo संकट के बीच आज DGCA ने किया तलब, CEO से हुई आज पूछताछ । Breaking News
Parliament Winter Session:वंदे मातरम् पर आज राज्यसभा में होगी चर्चा, Amit Shah करेंगे बहस की शुरुआत

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'मैं वो वाला हुमायूं कबीर नहीं', बाबरी मस्जिद के लिए चंदा देने वाले लोग क्यों दूसरे विधायक को लगा रहे फोन, जानें अब तक कितना फंड जुटा
'मैं वो वाला हुमायूं कबीर नहीं', बाबरी मस्जिद के लिए चंदा देने वाले लोग क्यों दूसरे विधायक को लगा रहे फोन, जानें अब तक कितना फंड जुटा
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
इकरा हसन ने समझाया वंदे मातरम् के इन दो शब्दों का मतलब, वायरल हुआ बयान
पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दे दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से अमेरिका को लग जाएगी मिर्ची!
'सबके लिए अच्छा होगा...', पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने दिया बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से लगेगी अमेरिका को मिर्ची
द ग्रेट खली 8 साल बाद करेंगे रिंग में वापसी, जानिए कब? यहां मिलेगी हर डिटेल
द ग्रेट खली 8 साल बाद करेंगे रिंग में वापसी, जानिए कब? यहां मिलेगी हर डिटेल
मीरा राजपूत के साथ शाहिद कपूर ने किया प्रैंक, फोन पर क्रैक देख गुस्से से हुईं आग बबूला!
मीरा राजपूत के साथ शाहिद कपूर ने किया प्रैंक, फोन पर क्रैक देख गुस्से से हुईं आग बबूला!
Video:
"और ले लो सेल्फी" बंदर के साथ पोज मार रही थी पापा की परी, तभी हो गया हमला- वीडियो वायरल
Most Venomous Snake: यह है दुनिया का सबसे जहरीला सांप, एक बूंद जहर भी है जानलेवा
यह है दुनिया का सबसे जहरीला सांप, एक बूंद जहर भी है जानलेवा
UPSC ने खोला सुनहरा मौका! ट्रेडमार्क्स-जीआई एग्जामिनर और डिप्टी डायरेक्टर के पदों पर बड़ी भर्ती
UPSC ने खोला सुनहरा मौका! ट्रेडमार्क्स-जीआई एग्जामिनर और डिप्टी डायरेक्टर के पदों पर बड़ी भर्ती
Embed widget