ब्लॉग: यूपी में हर चेहरे पर सिर्फ एक ही सवाल है, चुनावों में क्या होगा इस बार?
पंकज झा, एबीपी न्यूज़ | 03 Mar 2017 10:10 AM (IST)
सच मानिये ऐसा चुनाव मैंने अब तक नहीं देखा. ... ना जाने कितने चुनाव आये और चले गए. .. अब तो याद भी नहीं. .. लेकिन इस बार यूपी में माहौल क्या है? इस सवाल के जवाब में सामने से सवाल ही आता है. .. किसी को कुछ नहीं पता ... ना तो कोई लहर है, ना ही कोई आंधी. .. ऐंटी इनकंबेंसी का भी कोई असर नहीं है. ..यूपी में हर चेहरे पर सिर्फ एक ही सवाल है- क्या होगा इस बार? लिफाफा देख कर ही चिट्ठी बांचने वाले भी गायब हैं. .... सारे जानकार अब एक ही मूड में है "अब दिन ही कितने बचे है रिजल्ट आने में " .... यही लोग महीने भर दावा करते थे "पहली फेज में ही ट्रेंड क्लियर हो जाएगा" ... पहले दौर की वोटिंग हो गयी तो फिर बात दूसरे राउंड पर आ गयी. .. फिर तीसरे और चौथे. .. 'सम्मान है पर समर्थन नहीं' सम्मान है पर समर्थन नहीं. .. इस नारे का पीएम नरेंद्र मोदी से भी नाता है और सीएम अखिलेश यादव से भी. .. इसका कनेक्शन मायावती से भी है. ..वैसे सबसे पहले मैंने ये बात बिहार में सुनी थी. .. तब लालू यादव और नितीश कुमार की दोस्ती नहीं हुई थी. .. गया के एक दुकानदार से मैंने पूछा था "इस बार चुनाव हुए तो वोट किसे देंगे" ... पहले तो उन्होंने हमें चाय पिलाई और कहा " ये सामने वाली सड़क नीतीश बाबू ने बनवाई है, बिजली भी अब यहां ठीक है, गुंडागर्दी ख़त्म हो गयी है... नीतीश जी के लिए सम्मान तो है पर समर्थन नहीं" ... फिर मैंने उनसे कहा इसका क्या मतलब. . तो वे बोले उन्होंने अच्छा काम किया है लेकिन वोट उन्हें नहीं दूंगा. . मैं हैरान रह गया. .. सोचता रहा जनता आखिर क्या सोच कर वोट देती है? लेकिन अब तो यूपी में भी ये फार्मूला चल रहा है. यूपी के विधान सभा चुनाव का यही बिहार कनेक्शन है. .. यहां चुनावी लड़ाई तीन चेहरों की है. .. नरेंद्र मोदी, अखिलेश यादव और मायावती. .. गोरखपुर में गोल घर के पास हमें रिटायर हो चुके एक प्रोफ़ेसर मिले. .. बातचीत शुरू हुई. .. हमने पूछा "आपने क्या मन बनाया है इस बार? तो प्रोफ़ेसर साहेब बोले अखिलेश जी अच्छी सोच के नेता हैं .. काम भी बढ़िया किया है. .. लेकिन मैं इस बार उन्हें वोट नहीं दूंगा. .. मुझे दो साल पहले बिहार के गया वाली बात "सम्मान है पर समर्थन नहीं" याद आ गयी. .. अगले दिन मऊ में एक चौराहे पर कुछ लोगों से बात हो रही थी. .. सब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुन कर लौटे थे. .. चर्चा मोदी की ही होने लगी... सब एक साथ बोले मोदी जी में कुछ तो बात है. .. क्या दमदार नेता हैं वे. .. क्या भाषण देते हैं. .. लेकिन उन्हें यहां तो वे सीएम बनेंगे नहीं. .. इसी लिए हम लोग अखिलेश यादव को एक मौक़ा देंगे. .. लौटते हुए आजमगढ़ में एक ढाबे पर रुके. .. चाय पर चर्चा शुरू हुई. .. कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है पर हिसाब किताब होने लगा. .. मैंने पूछ लिया " बहिनजी का क्या होगा" ... सब एक साथ बोले भैया वो मुख्य मंत्री रहती है तो चैन रहता है. .. कोई जोर जबरदस्ती कर ले. .. सरकार का इकबाल रहता है. .. पुलिस वाले और नेता नगरी सब राईट टाईम रहते हैं. ..हमने कहा तो वोट बहिनजी के ही देबो का? तो जवाब आया "ना भाई हाथी ना अबकी त मोदी जी पर वोट जाई ".. अब ज़रा आप ही सोचिये ये कोई बात हुई. .. पसंद कोई और वोट किसी और को. .. लेकिन यही लोक तंत्र की खूबी भी तो है. .. इसी लिए तो जनता ही जनार्दन है.