अंतरिक्ष की सैर करना हर किसी का सपना रहा है. अंतरिक्ष को लेकर प्रत्येक दिन जिज्ञासा बढ़ती ही रहती है. इसी जिज्ञासा को खत्म करने और आपके सपने पूरे करने के लिए विश्वभर में कई कंपनियां स्पेस टूरिज्म पर काम कर रही है. वैसे तो विश्व के पहले स्पेस टूरिस्ट डेनिस टीटो साल 2001 में ही बन गए थे. लेकिन हाल ही में प्राइवेट स्पेस एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन ने अमेजन के संस्थापक बेजोस से पहले ही 11 जुलाई को स्पेसशिप-2 नामक यान से अंतरिक्ष की सैर कर हलचल मचा दी है. ऐसा लग रहा है मानों अंतरिक्ष की सैर करने के लिए दिग्गज अरबपतियों के बीच अजब सी होड़ है.


अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने 20 जुलाई को ब्लू ऑरिजिन के न्यू शेपर्ड की पहली स्पेस फ्लाइट में शामिल होने का एलान किया था, रिचर्ड ब्रैनसन के बाद अब बेजोस की इस अंतरिक्ष की सैर के बाद इस फील्ड में एक अलग ही संभावना शेप लेने लगेगी.


यही कारण है कि विश्वभर में अब स्पेस टूरिज्म की होड़ मची हुई है. अगले साल तक वर्जिन गैलेक्टिक की अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल की शुरुआत करने की योजना है. जिसके तहत लोगों से पैसे लेकर अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी और यदि ऐसा होता है तो इस उपलब्धि को पाने के लिए अरबपति मुंहमांगा पैसा खर्च करने में कोई गुरेज नहीं करेंगे.


नासा भी इस पर काम कर रहा है इसके पीछे की वजह यह माना जा रहा है कि स्पेस स्टेशन का रख-रखाव नासा के लिए बहुत खर्चीला साबित हो रहा है, लिहाजा वह वहां पर ऐसी कुछ कॉमर्शियल गतिविधियां प्रोत्साहित करना चाहती है. बोइंग कंपनी के विलियम ई बोइंग और एलन मस्क नासा के द्वारा तैयार किए जा रहे स्पेस एक्स से अंतरिक्ष का दौरा करेंगे.


वर्जिन गैलेक्टिक, ब्लू ऑरिजिन और स्पेसएक्स स्पेस टूरिज्म के लिए बड़े विंडो खोल रही है. अभी वर्जिन गैलेक्टिक के स्पेसक्राफ्ट के जरिए भारत की बेटी सिरीशा बंदला भी स्पेस तक पहुंची. वहीं केरल के संतोष जॉर्ज भी अगले साल वर्जिन गैलेक्टिक के जरिए भारत के पहले स्पेस टूरिस्ट बनने जा रहे हैं. लेकिन सवाल अब यह उठता है कि स्पेस टूरिज्म के सेक्टर में भारत आज आखिर कहां खड़ा है? ऐसी कोई अपॉर्चुनिटी भारतीयों के लिए भी होगी?


भारत की स्पेस एजेंसी इसरो इस वक्त भारत के पहले मानव मिशन गगनयान पर काम कर रही है. जिसमें भारत के 3 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा जाएगा. इसके लिए भारत अपनी तैयारियों में जुटा है. जिसका एक टेस्ट 2014 में किया गया था और तीन टेस्ट 2021 और 2022 में किए जाने है. गगनयान की सफलता के साथ ही भारत में भी स्पेस टूरिज्म के सपने को पंख मिलेंगे. इससे अंतरिक्ष तक पहुंचने का सपना पूरा किया जा सकेगा. इतना ही नहीं भारत अपने खुद के स्पेस स्टेशन बनाने पर भी काम कर रहा है. 2019 में इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा था कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को ज्वाइन नहीं करेगा बल्कि भारत अपना खुद का 20 टन का स्पेस स्टेशन बनाएगा.


इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा और मयिलसामी अन्नादुरई यह मानते हैं कि अगर भविष्य में प्राइवेट सेक्टर सामने आते हैं तो भारत में स्पेस टूरिज्म को बनाने का सपना जल्द ही पूरा किया जा सकता है. वह वक्त दूर नहीं जब भारत स्पेस टूरिज्म का हब बनेगा. इसके लिए गगनयान मिशन स्टेपिंग स्टोन की तरह साबित होगा.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)