पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी इमेज बेशक एक ईमानदार राजनेता की बनाई है लेकिन उनकी सरकार में नए घोटाले सामने आते जा रहे हैं. इसे बंगाल की राजनीति में नया भूचाल आने का संकेत माना जा रहा है क्योंकि मुख्य विपक्षी बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि ये तो सिर्फ ट्रेलर है, असली पिक्चर तो अभी बाकी है. वैसे भी ममता और केंद्र की मोदी सरकार के रिश्ते खटास भरे ही रहे हैं. हालांकि भ्रष्टाचार का कोई भी मामला सामने आने के बाद ममता ने केंद्र सरकार पर यही आरोप लगाया है कि वह तृणमूल सरकार को डराने के लिए अपनी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. सवाल उठता है कि क्या ममता सच बोल रही हैं या फिर उनकी ईमानदार इमेज की आड़ में उनके करीबी ही सचमुच भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं?


कोयला घोटाले के एक कथित मामले को लेकर ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी व उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी पहले से ही ED व सीबीआई के रडार पर हैं और अब उनकी सरकार के कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी को ईडी ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. उन पर आरोप है कि शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षकों की भर्ती में कथित तौर पर घोटाला किया है.उनकी करीबी मॉडल व एक्ट्रेस अर्पिता मुखर्जी को भी हिरासत में लिया गया है,जिनके घर से करीब 21 करोड़ रुपये बरामद हुए हैं.


हालांकि ईडी की कार्रवाई के बाद तृणमूल कांग्रेस ने ये कहते हुए अर्पिता मुखर्जी से अपना पल्ला झाड़ लिया है कि उसका पार्टी से कोई संबंध नहीं है और उनके यहां से पैसा बरामद होने पर मंत्री पार्थ चटर्जी कैसे दोषी हो सकते हैं.अदालत में मंत्री के वकील ने भी उनके पक्ष में दलील देते हुए कहा कि मेरे मुवक्किल के आवास से कोई पैसा बरामद नहीं हुआ और एक जन सेवक होने के नाते न ही उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कोई विशेष अनुमति ली गई. 


वकील के मुताबिक प्राथमिक पूछताछ में जब भी उनके मुवक्किल को बुलाया गया,वह हमेशा पेश हुए हैं लेकिन इस बार उन्हें कोई समन नहीं आया. लेकिन ईडी ने पार्थ चटर्जी की हिरासत की मांग करते हुए कोर्ट के समक्ष दोहराया कि कथित शिक्षक घोटाले को लेकर एजेंसी ने 14 स्थानों पर तलाशी ली, जिनमें अर्पिता मुखर्जी के आवास सहित दो अन्य संदिग्ध ठिकाने थे.


ईडी ने अपनी दलील में कहा कि अर्पिता के घर से बरामद दस्तावेज इस केस से जुड़े दो पक्षों के बीच सीधे संबंध और पैसों के लेन-देन को साबित करते हैं.कोर्ट ने फिलहाल मंत्री को दो दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया है.


सवाल उठता है कि अगर मंत्री का करोड़ों की नकदी से कोई लिंक नहीं है,तो फिर अर्पिता मुखर्जी के पास इतना पैसा आया कहाँ से? ED ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि, “तलाशी के दौरान, ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के आवासीय परिसर से लगभग 20 करोड़ रुपये की भारी नकदी बरामद की, जो पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी है. उक्त राशि का एसएससी घोटाले के अपराध की आय होने का संदेह है. मुखर्जी के परिसर से कुल 20 से अधिक मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं, जिसके उद्देश्य और उपयोग का पता लगाया जा रहा है.”


दरअसल, पार्थ चटर्जी की "करीबी सहयोगी" बताई जा रही अर्पिता मुखर्जी एक मॉडल और एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने कुछ बंगाली, उड़िया और तमिल फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए हैं. जाहिर है कि उन्हें बदले में इतनी मोटी फीस तो मिली नहीं होगी, जिसके आधार पर वे साबित कर सकें कि बरामद हुआ करोड़ों रुपया फिल्मों में काम करने से हुई आय है.


वह 2019 और 2020 में पार्थ चटर्जी की दुर्गा पूजा समिति के प्रचार अभियानों का भी चेहरा रही हैं, जिन्हें नक्तला उदयन संघ कहा जाता है. चटर्जी की समिति कोलकाता की सबसे बड़ी दुर्गा पूजा समितियों में से एक है. माना जाता है कि अर्पिता मुखर्जी दुर्गा पूजा कमेटी के जरिए पार्थ चटर्जी से जुड़ी हुई हैं. जानकारी के मुताबिक 13 जुलाई गुरु पूर्णिमा को अर्पिता ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में पार्थ चटर्जी को अपना गुरू बताया था. 


शायद यही वजह थी कि शुक्रवार छापेमारी की खबर आते ही बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ अर्पिता मुखर्जी और पार्थ चटर्जी की 2019 की दुर्गा पूजा की एक तस्वीर पोस्ट की. उन्होंने लिखा, “ये तो बस ट्रेलर है, तस्वीर अभी बाकी है...” वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी इसे भ्रष्टाचार का 'बंगाल मॉडल' बताते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.


राजनीतिक पर्यवेक्षक प्रोफेसर समीरन पाल कहते हैं, "इस घोटाले की गंभीरता लगातार बढ़ रही है. अब ताजा घटनाक्रम को देखते हुए लगता है कि बंगाल की भावी राजनीति पर इसका गहरा असर होगा." देखते हैं कि ये नया घोटाला ममता सरकार की मुश्किलों को और कितना बढ़ाता है क्योंकि अगले कुछ दिनों में ही केंद्र को बंगाल में नया राज्यपाल भी नियुक्त करना है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)