15 जनवरी की तारीख विराट कोहली के लिए थोड़ी अजीब है. इसी तारीख को आईसीसी ने अपने सालाना अवॉर्ड्स में विराट कोहली को अपनी वनडे और टेस्ट टीम का कप्तान चुना. इसी तारीख पर उनकी कप्तानी पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल दरअसल विराट कोहली की कप्तानी से ज्यादा उनके उस लालच पर उठ रहे हैं जिसके चलते टीम इंडिया का संतुलन बिगड़ा है. ये लालच है लोवर मिडिल ऑर्डर में एक और बल्लेबाज का. विराट कोहली टीम के बैटिंग ऑर्डर में नंबर 8 पर भी ऐसा खिलाड़ी चाहते हैं जो बल्ले से ‘कॉन्ट्रीब्यूट करे. इस लालच में विराट ऐसे प्रयोग कर बैठते हैं जो टीम के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं. मुंबई वनडे में भी ऐसा ही हुआ. ये बात इसलिए और ज्यादा चौंकाती है क्योंकि जिस टीम में विराट कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन और केएल राहुल जैसे बल्लेबाज हों क्या उन्हें नंबर 8 पर एक और बल्लेबाज की जरूरत वाकई है? इस सवाल का जवाब आप भले ही ना में दें लेकिन विराट कोहली का जवाब हां में है क्योंकि टीम के प्लेइंग 11 को चुनने में उनकी सोच तो ऐसी ही दिखती है.


नवदीप सैनी को बाहर बिठाने की गलती


मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पहले वनडे मैच में उन्होंने शार्दुल ठाकुर को प्लेइंग 11 में जगह दी. शार्दुल ठाकुर को जगह देने में बुराई नहीं है लेकिन नवदीप सैनी को बाहर बिठाकर उन्हें प्लेइंग 11 में खिलाना विराट कोहली की सोच को दर्शाता है. दरअसल, श्रीलंका के खिलाफ हालिया टी-20 सीरीज में शार्दुल ठाकुर ने आखिरी टी-20 मैच में सिर्फ 8 गेंद पर 22 रन बना दिए थे. इसके अलावा उन्होंने 2 विकेट भी लिए थे. उन्हें उस मैच में मैन ऑफ द मैच चुना गया. उनके इसी प्रदर्शन को देखकर विराट कोहली लालच में फंस गए. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले मैच में पिछली सीरीज के मैन ऑफ द सीरीज यानी नवदीप सैनी को बाहर बिठा दिया. अब जरा नवदीप सैनी की मैच में जरूरत को समझिए. नवदीप सैनी डेढ़ सौ किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं. उन्होंने टी-20 सीरीज में शानदार गेंदबाजी की थी. जसप्रीत बुमराह टीम में वापसी के बाद अपनी लय पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं. टी-20 सीरीज में भी उन्हें ‘स्ट्रगल’ करते देखा गया. ऐसे में गेंदबाजी की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ मोहम्मद शामी पर थी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे मैच में 10 विकेट की बड़ी हार के पीछे गेंदबाजों का यही ‘ऑफ-डे’ वजह बना. शार्दुल ठाकुर की जगह अगर नवदीप सैनी प्लेइंग 11 में होते तो मुमकिन है कि भारतीय गेंदबाजी में और पैनापन दिखाई देता. कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी को तोड़ने के पीछे भी विराट कोहली इसी लालच का थोड़ा बहुत हाथ है. विराट के हिसाब से रवींद्र जडेजा को प्लेइंग 11 में रखने का बड़ा फायदा यही है कि वो बल्लेबाजी भी कर सकते हैं.


इस लालच के पीछे क्या है विराट की मजबूरी


इस लालच के पीछे विराट की बड़ी मजबूरी हैं. दरअसल लंबे समय से विराट कोहली को मिडिल ऑर्डर से सहयोग नहीं मिल रहा है. धोनी विश्व कप के बाद से टीम से बाहर हैं. उनकी जगह टीम में आए ऋषभ पंत अभी तक खुद को साबित नहीं कर पाए हैं. हाल के समय में उन्हें जितने मौके मिले हैं उतने मौके किसी और खिलाड़ी को नहीं मिले. अब तक खेले गए 16 वनडे मैच में वो सिर्फ 26.71 की औसत से रन बना पाए हैं. संजू सैमसन को लेकर विराट कोहली की रणनीति साफ नहीं है. ऋषभ पंत के अलावा मिडिल ऑर्डर में श्रेयस अय्यर, केदार जाधव या मनीष पांडे में जिसे भी मौका मिला है वो ‘कंसिंसटेंट’ नहीं रहे हैं. विराट इसीलिए पहले से ही इस तैयारी में रहते हैं कि निचले क्रम के बल्लेबाज भी कुछ ना कुछ योगदान दें. लेकिन लंबे समय तक इस रणनीति को अपनाने की बजाए बेहतर होगा कि मिडिल ऑर्डर की परेशानी को दूर किया जाए. वरना लालच तो बुरी बला है ही.