उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) जीत कर एक बार फिर लखनऊ (Lucknow) की विधानसभा में परचम लहराने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) की कोशिशों में लखनऊ (Lucknow) ही सबसे बड़ी मुसीबत बन रहा है. दरअसल, लखनऊ के शहरी इलाकों की पांच सीटों में सर्वाधिक मारामारी मची है. यहां लखनऊ कैंट (Lucknow Cantt) सीट पर मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी (Suresh Tiwari) टिकट तो मांग रहे हैं किन्तु वे स्वयं इस सीट की लड़ाई को समझ भी रहे हैं. यहां से सुरेश तिवारी से पहले विधायक रही रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) इस बारे अपने बेटे मयंक के लिए टिकट मांग रही हैं.


एक परिवार एक पद जैसा मसला उठने की स्थिति में रीता अपनी लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने की बात कर चुकी हैं. यही नहीं वे मौजूदा संसदीय कार्यकाल को अपनी राजनीतिक पारी का अंतिम कार्यकाल बताकर बेटे के लिए टिकट की गुहार कर रही हैं. उनके बेटे मयंक की इकलौती बेटी का बीते वर्ष एक दुर्घटना में निधन हो चुका है. ऐसे में टूट चुके बेटे का संबल बनने के लिए मां ने उसकी राजनीतिक पारी संवारने को पूरी ताकत लगा दी है.


वैसे यहां भाजपा की टिकट रीता के बेटे को मिलने की राह में अपर्णा यादव व ब्रजेश पाठक जैसे पेंच भी हैं. ब्रजेश अपनी सीट बदलकर कैंट से लड़ना चाहते हैं, वहीं हाई प्रोफाइल ज्वाइनिंग के साथ भाजपा में आईं अपर्णा भी यहां से टिकट चाहती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में अपर्णा यहां रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं और हार गयी थीं.


अब देखना यह होगा कि रीता का मातृत्व भाव जीतता है या पार्टी दूसरे समीकरणों पर जोर देती है. राज की बात यह है कि रीता के मातृत्व भाव को सहारा देने के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से उनके पास खुला ऑफर है. भाजपा लखनऊ की ही एक अन्य सीट पर भी फंसी हुई है. वह सीट है सरोजनी नगर की सीट. यहां मौजूदा विधायक स्वाति सिंह को उनके ही पति दयाशंकर सिंह चुनौती दे रहे हैं.


पति-पत्नी की खींचतान में यहां महेंद्र सिंह भी टिकट के दावेदार हैं. हाल ही में स्वाति सिंह का एक ऑडियो लीक होने के बाद इस सीट का मामला उलझ सा गया है. कुछ लोग इस लीक को सीट के बंदरबांट से जोड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर पति-पत्नी से इतर एक दावेदार ने यह ऑडियो लीक कराया है. इनके अलावा उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के लिए सीट ढूंढ़ने की मशक्कत है तो भाजपा के कद्दावर नेता रहे लालजी टंडन के बेटे गोपालजी टंडन की टिकट कटने की चर्चाएं भी फिजां में है.


लखनऊ की सीटों पर घमासान सिर्फ भाजपा में ही हो, ऐसा नहीं है. समाजवादी पार्टी भी इसी घमासान से जूझ रही है. हालांकि, अभी सपा, भाजपा के टिकटों की घोषणा का इंतजार भी कर रही है. सपा में भी सर्वाधिक रार सरोजनी नगर सीट को लेकर है. यहां बसपा से आए शिव शंकर सिंह को टिकट न देने के लिए मूल सपाई लामबंद हो गये हैं.


उधर लखनऊ उत्तरी से अभिषेक मिश्र की दावेदारी पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. अभिषेक एक समय में सपा का ब्राह्मण चेहरा थे. वे 2012 का विधानसभा चुनाव जीते भी थे, किन्तु उसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव और 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए थे. राज की बात यह है कि लखनऊ की गद्दी तक पहुंचने के लिए सपा हो या भाजपा लखनऊ ही सबसे बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है.



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