देश में लोकसभा चुनाव के तीन चरण समाप्त हो चुके हैं. अब 4थे चरण में भी कुछ ही घंटों का समय बाकी है. जैसे-जैसे चुनाव रफ्तार पकड़ रहा है, ऐसे में नए आरोप-दावे चुनावी मैदान में उभर रहे हैं. ऐसा ही एक दावा है कि राहुल गांधी की पिच पर प्रधानमंत्री मोदी खेल रहे हैं और ये पिच 'अडानी-अम्बानी' से लेकर 'संविधान खतरे में' हैं, और'अल्पसंख्यक की सुरक्षा' जैसे तत्वों से मिलकर बनी है. इन्हीं मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने चुनावी मैदान में बात की है. हालांकि, यह अजीब सी बात है कि जब भी राजनीतिक पंडित कोंग्रस की बढ़त का अनुमान लगाते हैं, तो हमें सैम पित्रोदा, मणिशंकर अय्यर के बयान सुनाई देते हैं, जो राहुल गांधी की मेहनत और कांग्रेस की बढ़त को बर्बाद कर देते हैं. 


भाव सही, भाषा का नहीं खयाल 


सैम पित्रोदा और मणिशंकर अय्यर के बयानों की लिस्ट में  एक बयान लालू प्रसाद का भी जोड़ना चाहिए. उन्होंने आरक्षण पर एक बयान दिया और बोल गए कि मुसलमानों को भी पूरा आरक्षण मिलना चाहिए. हालांकि, बाद में उन्होंने सुधार भी किया लेकिन जब तक डैमेज हो चूका था. ये कांग्रेस का दुर्भाग्य है कि वे जब बढ़त बनाते हैं, तो उनके घर के निवासी ही उन्हें पीछे खींच लेते हैं.  एक तरफ कांग्रेस में इस्तीफों, पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है, उसके साथ ही बेतुके बयानों से वे लोग पार्टी की छवि तो गिराते हैं, लेकिन ऐसे बयान लोगों में पार्टी के इरादों पर संदेह पैदा करते हैं.  इस कारण पार्टी को समय-समय पर झटका लगता है. एक आंकड़ा है, जिसके अनुसार कांग्रेस काल के 15 मुख्यमंत्री  या तो बीजेपी से जुड़ गए या राजनीति से इस्तीफा दे दिया. पहले सैम पित्रोदा कांग्रेस में बड़ी हैसियत रखते थे वे राजीव गाँधी के मित्र थे. सैम पित्रोदा की कांग्रेस से अलग भी एक पहचान हैं, उनकी एक बड़ी भूमिका दूरसंचार में रही है. उन्होंने बीएसएनएल का विस्तार करवाया. सैम पित्रोदा लम्बे समय से विदेश में हैं. वे बीच में भारत आये और राहुल गांधी के साथ काम किया, लेकिन ट्यूनिंग न बैठी और सैम एक बार फिर विदेश चले गए.  सैम पित्रोदा के लम्बे समय तक अमेरिका में रहने के कारण वे वहां की संस्कृति में घुलमिल गए हैं, सैम की भारत को लेकर समझ में दिक्कत मालूम होती है. हालांकि, सैम के बयान का भाव देश की तारीफ़ थी कि  देश में अलग अलग चहरे, विचारधारा , धर्म के लोग होने के बावजूद भारत एकजुट है, लेकिन भाषा पर ध्यान न देने के कारण मैसेज यानी संदेश गलत चला गया. सैम पित्रोदा का बयान उदहारण है कि आप कैसे एक अच्छी बात को गलत ढंग में कह सकते हैं. इसी का नतीजा था कि उन्हें ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा.


ऊलजलूल बयानों की लहर


कांग्रेस सैम पित्रोदा के बयान से खुद को अलग करने में लगी थी पर तभी एक बयान  मणिशंकर की ओर से आता है. ये पहली बार नहीं था जब मणिशंकर के ऊट-पटांग बयान से कांग्रेस को नुकसान हुआ है.   मणिशंकर अय्यर का कांग्रेस में मुख्य स्थान रहा है. वे राजीव गाँधी के मित्र रह चुके हैं. साथ ही उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर के पद के साथ मुख्य विभाग भी संभाला हैं.  मणिशंकर ने पाकिस्तान को लेकर एक तुलना कीय उस तुलना का मैसेज गया कि भारत को पाकिस्तान से डर, दब के रहना है. एक दफा पाकिस्तान में मणिशंकर बीजेपी सरकार को गिराने की अपील कर चुके हैं. ऐसे में आश्चर्य होता है जब पार्टी ऐसे बयानों के कारण लोगों पर कार्यवाही नहीं करती. ये कांग्रेस नेतृत्व की कमज़ोरी ही है के वह ऐसे लोगों को ढोती है जो पार्टी में  सकारात्मक योगदान के बजाये नकारात्मक योगदान करते हैं. ऐसे में कांग्रेस को विरोधी दल से ज्यादा अपने समर्थक नुकसान पंहुचा रहे हैं.  इंडिया गठबंधन के लालू प्रसाद ने हाल ही में बयान दिया कि, ''मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए और पूरा मिलना चाहिए'' इस बयान की दो लाइन पुरे देश में गूंजने लगीं और बाद में लालू यादव ने कहा, ''धर्म के आधार पर तो नहीं मिल सकता'', लेकिन जब तक बीजेपी लालू प्रसाद के बयान  को ले उड़ी थी. ऐस ही बीजेपी ने सैम पित्रोदा, मणिशंकर अय्यर के बयान के साथ किया था. पृष्ठभूमि के अनुसार एक समय में कांग्रेस के महत्वपूर्ण लोगों की फेहरिस्त में शामिल लोग आज कांग्रेस को संकट में डाल रहे हैं 


कद और पद की लड़ाई 


अगर इन बयान देने वाले लोग और उनकी पृष्ठभूमि को देखें तो वे लम्बे समय से कांग्रेस से जुड़े हैं. एक समय था जब इन ओल्ड गार्ड्स का सितारा कांग्रेस में बुलंदी पर था लेकिन आज उनकी कांग्रेस में अहमियत नहीं है.  उनके साथ पुरानी पहचान जुडी है कि वो कांग्रेस नेता हैं. वे ऐसे बयान दो कारणों से देते हैं, पहला कांग्रेस उन्हें कोर टीम में शामिल करे, साथ ही वे लाइमलाइट में बने रहें. कई बार हम राहुल गाँधी के बयानों को पार्टी लाइन और जनभावना के विरुद्ध जाते हुए देखते हैं, जैसे विरासत वाला बयान जिसमें उन्होंने कहा था की जब वे सत्ता में आएंगे तो सम्पातियों की जांच करेंगे और जनसंख्या के मुताबिक़ बांटेंगे. ऐसे बयान लोगों में संदेह पैदा करते हैं.  


कांग्रेस आज पिछड़ चुकी है.  ऐसे में ये बायान उसे और पीछे धकेलते हैं कांग्रेस की परिस्थिति में एक कहावत सटीक बैठती है, एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा. जब ऐसे बयान पार्टी के बड़े चेहरे यानी राहुल गाँधी की तरफ से आते हैं तो ऐसे में साफ़ लगता है कि  कांग्रेस  में एक ऐसे नेता की कमी है जो आगे बढे और इन चीजों को संभाले और कांग्रेस को मुख्यधारा की पार्टी बनाये. नेतृत्व की कमी के कारण ऐसे बयान आ रहे  हैं और कोई कार्रवाई नहीं हो रही. आज के समय में कांग्रेस आवारा पतंग बन गयी है , कांग्रेस आज दो मोर्चों पर युद्ध कर  रही है, पहला बीजेपी के साथ और दूसरा कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के बीच कद, पद की लड़ाई जिससे वे जीतने वाले मुख्य लक्ष्य से भटक कर हारने की दिशा में आगे बढ़ चले हैं.






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