जोहांनसबर्ग में टीम इंडिया के बल्लेबाजी क्रम में एक बड़ा बदलाव नजर आया. विराट कोहली ने लंबे समय के बाद धोनी को हार्दिक पांड्या से पहले बल्लेबाजी करने के लिए भेजा. धोनी ने बल्ले से अपनी उपयोगिता को साबित भी किया. उन्होंने 43 गेंद पर 42 रन बनाए. इसमें तीन चौके और 1 छक्का शामिल था. आखिरी ओवरों में वो धोनी की बल्लेबाजी ही थी कि भारतीय टीम तीन सौ के करीब पहुंच पाई वरना दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों ने मैच में शानदार वापसी की थी. भारतीय बल्लेबाजों को आखिरी ओवरों में रन बनाना बहुत मुश्किल हो रहा था.


ये दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज ही थे जिन्होंने मैच में बाजी पलटी, वरना एक समय भारतीय टीम साढ़े तीन सौ के आस पास पहुंचती दिख रही थी. फिर खराब रोशनी से मैच रूका. मैच शुरू हुआ तो भारतीय बल्लेबाजी बिल्कुल पटरी से उतरी दिखी. पहले शिखर धवन आउट हुए. फिर अजिंक्य रहाणे भी जल्दी ही आउट हो गए. दो सेट हो चुके बल्लेबाजों के जल्दी जल्दी आउट होते ही टीम इंडिया बैकफुट पर आ गई. इसी मौके का फायदा मेजबान टीम के गेंदबाजों ने उठाया. रहाणे के आउट होने के बाद विराट कोहली ने धोनी को बल्लेबाजी के लिए भेजा. जो उनकी रणनीति में एक बदलाव को दिखाता है.

धोनी को बल्लेबाजी के लिए पहले भेजना है सही फैसला
ये अलग बात है कि जोहांसबर्ग में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा लेकिन धोनी को पहले बल्लेबाजी के लिए भेजने का विराट कोहली का फैसला सही साबित हुआ. धोनी 37वें ओवर में बल्लेबाजी करने आए थे और वो आखिरी गेंद तक क्रीज पर रहे. ये सच है कि धोनी के बल्लेबाजी स्टाइल में पिछले कुछ सालों में बदलाव आया है. अब वो पहले की तरह धुंआधार बल्लेबाजी नहीं करते हैं. उनकी बल्लेबाजी में एक स्थायित्व आया है. एक किस्म का ठहराव. बावजूद इसके ऐसा नहीं है कि वो तेज गति से रन बनाने में सक्षम नहीं हैं. वो अब भी बड़े शॉट्स खेलते हैं. फर्क ये है कि अब वो लगातार बड़े शॉट्स नहीं खेलते हैं. शनिवार को भी उन्होंने आखिरी ओवर में क्रिस मॉरिस को दो चौके लगाए और 12 रन बटोरे. उनकी रनिंग बिटवीन द विकेट कमाल की है ही.

ऐसे में विराट कोहली को इस विकल्प को लगातार आजमाना चाहिए. 2019 विश्व कप के मद्देनजर धोनी को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर खिलाना फायदे का सौदा होगा. धोनी जब टीम इंडिया के कप्तान थे तब भी कई बार इस बात को लेकर बहस छिड़ी कि उन्हें बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आना चाहिए. इसकी वजह ये है कि वो टीम की जरूरत के हिसाब से बल्लेबाजी करने में माहिर हैं. उनमें ये खासियत है कि वो निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ तालमेल और स्ट्राइक रोटेट करके स्कोरबोर्ड को बढ़ाते रहते हैं.

हार्दिक पांड्या बना सकते हैं धुआंधार रन  
इस सीरीज में और इससे पहले की सीरीज में भी विराट कोहली ने धोनी से पहले हार्दिक पांड्या को बल्लेबाजी के लिए भेजा. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हार्दिक पांड्या ‘गेमचेंजर’ हैं. वो गजब की आक्रामक बल्लेबाजी करते हैं. उनमें लंबे शॉट्स खेलने की काबिलियत है. वो बेखौफ होकर बल्लेबाजी करते हैं. बावजूद इसके उनकी एक कमी है विकेट पर टिककर ना खेल पाने की. हार्दिक पांड्या से अगर आप उम्मीद करें कि वो लंबे समय तक क्रीज पर टिककर रन बनाएं तो वो फिलहाल इस उम्मीद पर सौ फीसदी खरे नहीं उतरते. उन्हें धोनी के बाद भेजने का फायदा ये है कि अगर उन्हें 3-4 ओवर भी बल्लेबाजी करने का मौका मिल गया तो वो उन्हीं 3-4 ओवरों में 30-40 रन जोड़ देंगे.

पिछले करीब 10 मैचों से उनका बल्ला उस तरह का कारनामा नहीं कर पाया है. ऐसा इसलिए कि उन्हें जब बल्लेबाजी करने के लिए भेजा जाता है तो उनसे उम्मीद की जाती है कि वो जाते ही चौके छक्के की बरसात शुरू कर दें. दूसरी तरफ पारी के ओवर भी बचे होते हैं. ऐसे में उनकी रणनीति क्या हो, इस बात का फैसला करने में शायद उन्हें दुविधा रहती है. बेहतर होगा कि हार्दिक पांड्या को आखिरी ओवरों में बड़े शॉट्स खेलने की जिम्मेदारी ही दी जाए.