रूस और यूक्रेन के बीच दूसरे दौर की बातचीत का भी कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद अब बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि युद्ध के नौवें दिन नाटो की सेना यूक्रेन को बचाने के लिए मैदान में कूदेंगी या फिर दूर रहकर ही यूक्रेन पर रूस का कब्ज़ा होने का तमाशा देखेंगी? रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और फ्रांस के राष्ट्रपति मेंक्रों में हुई बातचीत में पुतिन ने अपने इरादे साफतौर पर जाहिर कर दिए हैं कि वे न झुकेंगे, न पीछे हटेंगे बल्कि पूरे यूक्रेन पर कब्ज़ा होने तक वे ये जंग जारी रखेंगे.


ऐसी सूरत में आने वाले दिनों में ये लड़ाई अपना भयानक और भीषणतम रुप लेती दिखाई दे रही है. हालांकि नाटो की मदद के लिए फ्रांस ने राफेल युद्ध विमान से लैस अपनी वॉरशिप यूक्रेन के पड़ोसी देश रोमानिया पहुंचा दी है लेकिन सवाल यही है कि नाटो देश रूस से आरपार की लड़ाई शुरु करने के लिए आखिर इंतजार क्यों कर रहे हैं. यूक्रेन की जनता के सड़कों पर उतर कर विरोध करने से रूसी सेना इतनी बौखला उठी है और उसने जापोराजे शहर में प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर ताबड़तोड़ फायरिंग की है जिसमें कई नागरिकों के मारे जाने की खबर है.


इस बीच भारतीय समयानुसार गुरुवार की देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कैबिनेट की बैठक करने का एललान करते हुए कहा है कि वो रूस के खिलाफ और कड़े प्रतिबंध लगाएगा. अमेरिका ने ये भी दावा किया है कि रूस डिप्लोमेसी से नहीं मानेगा और उसके खिलाफ निर्णायक फैसला लेना ही होगा. वैसे नाटो के 28 देशों की पलटन यूक्रेन के पड़ोसी मुल्कों रोमानिया व पोलैंड पहुंच चुकी है लेकिन जब तक वे यूक्रेन की धरती-आसमान में आकर रूसी सेना से मुकाबला नहीं करते तब तक वह अकेले ही आखिर कब तक रूस का मुकाबला करता रहेगा. पूर्व राजनयिक विष्णु प्रकाश के मुताबिक "अगर नाटो इस जंग में शामिल होता है, तो फिर तीसरे विश्व युद्ध को कोई नहीं रोक सकता. लेकिन लगता नहीं कि नाटो सीधे इसमें शामिल होगा. ये रूस के खिलाफ उनका महज शक्ति प्रदर्शन है."


इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सीधी बातचीत करने का प्रस्ताव देकर रूस के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर डाला है. उन्होने कहा है कि ‘यही एकमात्र तरीका है युद्ध रोकने का. यदि आप अभी नहीं जाना चाहते हैं- मेरे साथ बातचीत की मेज पर बैठों, मैं स्वतंत्र हूं. मैं एक सामान्य आदमी हूं, मेरे साथ बैठो, मुझसे बात करो, किस बात से डरते हो?
उन्होंने पुतिन की फ्रांस के राष्ट्रपति एमेनुअल मैक्रों के साथ हाल में हुई मुलाकात की तस्वीरों की ओर इशारा करते हुए व्यंग्य कसते हुए ये भी कहा, ''मेरे साथ बैठकर वार्ता कीजिये. 30 मीटर दूर बैठकर नहीं.''


जेलेंस्की ने पुतिन को संबोधित करते हुए कहा, "हम रूस पर हमला नहीं कर रहे हैं और हम उस पर हमला करने की योजना भी नहीं बना रहे हैं. आप हमसे क्या चाहते हैं? हमारी जमीन छोड़ दो." उन्होंने ये भी कहा की सिर पर बंदूक रखकर कोई समझौता नहीं होता. लेकिन आखिरी में उन्होंने जो कहा, उसे पुतिन कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे. जेलेंस्की ने कहा, "किसी ने नहीं सोचा था कि आधुनिक दुनिया में एक आदमी एक जानवर की तरह व्यवहार कर सकता है."
उनके इस बयान को अन्तराष्ट्रीय डिप्लोमेसी में पुतिन को और भड़काने वाला बयान माना जा रहा है. पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश कहते हैं "पुतिन एक ज़ार हैं और उनकी छवि ये बन चुकी है कि वे विरोध की कोई आवाज बर्दाश्त नहीं कर सकते. पुतिन ने कभी भी जेलेंस्की को अपने बराबर का राष्ट्राध्यक्ष नहीं समझा और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि रूसी सेना के हमले के दो दिन के भीतर ही जेलेंस्की देश छोड़कर भाग जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब इस बयान के बाद तो पुतिन और भी भड़क जाएंगे. फिलहाल उनकी हालत एक जख्मी शेर की तरह ही है."


इस लड़ाई में बगैर कोई नुकसान उठाये उसका सबसे ज्यादा मजा क्या अमेरिका ले रहा है? रक्षा विशेषज्ञ पूर्व विंग कमांडर आलोक सहाय इसके जवाब में कहते हैं "दरअसल, ये जंग रूस और यूक्रेन की नहीं बल्कि अमेरिका व रूस की है लेकिन अमेरिका ने यूक्रेन को मोहरा बना रखा है और वो बगैर किसी नुकसान के रूस को सबक सिखाना चाहता है. इस युद्ध में यूक्रेन तो तबाह हो ही रहा है लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान रूस को हो रहा है. आर्थिक रुप से भी और सैन्य ताकत के लिहाज से भी. इस युद्ध में यूरोप के भी कई देश तबाही की कगार तक पहुंच जाएंगे और वहां भी बेतहाशा महंगाई बढ़ेगी."


इजरायल और भारत के बाद कल फ्रांस ने भी पुतिन को ये समझाने की कोशिश की है कि वे युद्ध रोककर बातचीत का रास्ता अपनाएं लेकिन पुतिन की जिद बताती है कि वे हर हाल में यूक्रेन पर कब्ज़ा करके रहेंगे फिर भले ही दुनिया को इसकी कितनी ही भारी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. फ्रांस के राष्ट्रपति ने पुतिन को समझाइश देते हुए चेतावनी भरे लहजे में ये भी कहा कि, आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. लेकिन पुतिन पर इसका कोई असर नहीं हुआ. उल्टे उन्होंने ये कह दिया कि पूरे यूक्रेन पर कब्ज़ा होने तक रूस अपने हमले नहीं रोकेगा. लिहाज़ा, आगे का मंज़र साफ है कि या तो यूक्रेन पर रूस का कब्ज़ा होकर रहेगा, अन्यथा इसे तीसरे विश्व युद्ध का आख़िरी अलार्म समझना होगा.


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