राम एक ऐसा सागर, जिसमें सबको समाना है. ये तो आपने सुना होगा. अब राम की नगरी के बारे मे कहा जाता है कि जिसको जीता न जा सके वो अयोध्या. मगर आप एक और बात कही जाएगी कि हर रास्ता अयोध्या जाता है. और स्पष्ट शब्दों में कहें तो हर राज्य की राजधानी से सीधे रास्ता अयोध्या जाता है. जी राज की बात अयोध्या तक हर राज्य से जाने वाले रास्तों की. मतलब देश का कोई भी प्रदेश हो, लेकिन सब जगह से सीधे अयोध्या, एक ऐसी नगरी जिसका माहात्म्य, महत्व और प्रासंगिकता हर काल में समान रूप से सर्वोच्च रही है. इच्छ्वाकु से लेकर ईस्टइंडिया कंपनी के दौर तक, बाबर से लेकर ब्रिटिसर्श तक...हर काल में अवधपुरी आस्था से लेकर शासन के केंद्र में बनी रही. राम मंदिर का विवाद भी विश्वव्यापी चर्चा का केंद्र बना और जब मंदिर का निर्माण शुरु हो गया है तब तो कहना ही क्या.


इन तमाम आध्यात्मिक और भौतिक खूबियों के बीच चुनाव के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश में अयोध्या की बात न हो ये भला कैसे संभव है. पूरा सियासी मूवमेंट अयोध्या की तरफ घूम चुका है. विवाद के दौर में जो अयोध्या जाते थे वो बार बार जा रहे हैं, जो सूरमा नहीं जाते थेवो भी जा रहे हैं और जिन्हें राम के नाम से तौबा था वो हाजिरी लगा रहे हैं. कुल मिलाकर ये समझिए कि सियासत की राह या धारा कोईभी हो, वो वाया अय़ोध्या ही जाती है.


तो चलिए अब आते हैं असल मुद्दे पर और आपको बताते हैं कि इस पूरे मामले में राज की बात क्या है. राज की बात ये है कि राम मंदिर निर्माण के साथ ही साथ अयोध्या के नव-निर्माण का जो मिशन शुरु हुआ है उसमें विश्वस्तरीय शहर बनाने की योजना तो है, ही साथ ही साथ जो अयोध्या जाना चाहते हैं उनके लिए भी शानदार प्लान तैयार हो चुका है. राज की बात ये है कि जैसे किसी भी राह से चलकर आज के दौर में सियासत अयोध्या पहुंच जाती है, वैसे ही आप भी देश के किसी भी कोने से निकलें तो अय़ोध्या पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.


राज की बात ये है कि कनेक्टिविटी को लेकर जिस प्लान पर काम हो रहा है वो अमल में आने के ट्रांसपोर्ट के हर मॉडल के जरिए अय़ोध्या बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकेगा. ठीक उसी तर्ज पर जैसे स्टैच्यू और यूनिटी को देखने के लिए आप देश किसी भी राज्य से सीधे ट्रेन लेकर केवड़िया पहुंच सकते हैं. दरअसल केवड़िया को पर्य़टन के नक्शे पर बुलंद करने के लिए देश के हर राज्य की राजधानीसे ट्रेन चला दी गई है और कनेक्टिवटी की कोई समस्या अब है ही नहीं.


लिहाजा समझा जा सकता है कि जब बात अयोध्या की हो तो फिर प्लान कितना विस्तारित होगा. राज की बात ये है कि विश्व मानचित्र पर हिंदुओं के सबसे बड़े आस्था के केंद्र तक लोग को पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का ऐलान पहले ही हो चुका है. लेकिन रोड औऱ रेल नेटवर्क को लेकर क्या तैयारियां हैं वो हम आपको बताने जा रहे हैं.


अयोध्या को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए बुलेट ट्रेन का ऐलान तो पहले ही हो चुका है, लेकिन राज की बात ये सामने आ रही है कि केवड़िया की ही तर्ज पर देश के हर राज्य औऱ राजधानी से अयोध्या को जोड़ दिया जाएगा. मतलब ये कि हर राज्य से ट्रेन अयोध्या के लिए चलेंगी. हो सकता है कि कुछ ट्रेन का अय़ोध्या तक संचालन ही और कुछ ऐसी हों जो अयोध्या में हाल्ट के बाद आगे निकल जाएं. लेकिन ये सुनिश्चित होगा कि हर राज्य से चलने वाली ट्रेन का अयोध्या स्टॉपेज अनिवार्य रूप से हो.


वहीं रोड नेटवर्क की बात करें तो इसके विस्तार पर भी काम शुरू हो गया है. साथ ही साथ एक्सप्रेसवे से भी अयोध्या को लिंक किया जाएगा ताकि इसके जरिए भी लोग अयोध्या पहुंच सकें. कुल मिलाकर इस पूरे कनेक्टिविटी मॉडल के पीछे राज की बात ये है कि चाहे श्रद्धालु अंतर्राष्ट्रीय हों या राष्ट्रीय उन्हें अयोध्या पहुंचने केलिए सुगम माध्यम मिले. इस विजन के पीछे भी एक राज की बात है.


राज की बात ये है कि जैसे ईसाई धर्म का सबसे बड़ा केंद्र वेटिकन सिटी है, जैसे इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा केंद्र मक्का है ठीक उसी तर्जपर सनातन धर्म के सबसे बड़े आराध्य और उनकी नगरी अयोध्या को एक वैश्विक विकास, विस्तार और पहचान दिलाने की कोशिश कीजा रही है. मतलब साफ है कि आने वाले वक्त में अयोध्या की तस्वीर तो बदलेगी ही लेकिन इस तस्वीर को सभी निहार सकें, राम की राजधानी केजीवंत स्वरूप को महसूस कर सकें और इसकी यात्र थकान और मुश्किलों से मुक्त हो... ये बात सुनिश्चित की जा रही है. बस आप अयोध्या की तैयारी बनाइए, सरकार आपकी यात्रा को सुगम बनाने के लिए तत्पर हो चुकी है.


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