देश में सबसे लंबे समय तक केन्द्र की सत्ता पर राज करने वाली पार्टी आज भले ही हाशिए पर हो लेकिन इसमें संजीवनी फूंकने के लिए जी-जान से मेहनत की जा रही है. कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी 'भारत जोड़ो' यात्रा पर है. पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है. गांधी खानदान से बाहर के खरगे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने विपक्ष के हमलों का करार जवाब दिया है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली शानदार जीत से पहले हताश पार्टी के कार्यकर्ता आज उत्साहित नजर आ रहे हैं.


इधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी की अहम रणनीतियों का हिस्सा रहकर महत्वपूर्ण फैसले ले रही हैं. इन सबके बीच, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बहन प्रियंका के साथ मुलाकात और भाई-बहन के प्यार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो से यह साफ है कि भाई-बहन में किसी भी बात को लेकर कोई मतभेद नहीं है. 


सियासी वारिस राहुल के पास आनी ही थी


राजनीतिक विश्लेषक और कांग्रेस पार्टी को बेहद करीब से समझने वाले रुमान हाशमी कहना है कि शुरू से ही ऐसा देखा जा रहा था प्रियंका गांधी विरासत की दावेदारी को लेकर बैकफुट पर चली गई थी. भाई राहुल गांधी को आगे कर दिया गया था. जहां तक इंदिरा गांधी का मामला था तो उन्होंने बेटी होकर कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लिया. उसकी वजह ये भी थी कि पंडित जवाहर लाल नेहरू की एक मात्र बेटी इंदिरा थीं, जिसके चलते उन्हें आगे किया गया.


रुमान हाशमी बताते हैं कि शुरू में जिस तरह से राहुल गांधी को विरोधी पक्ष के लोग 'पप्पू' कहकर संबोधित करते थे, कुछ ऐसा ही हाल इंदिरा गांधी को लेकर था. उन्हें 'गूंगी गुड़िया' तक कहा गया था. जबकि पंडित नेहरू काफी मुखर नेता थे. ऐसे में इंदिरा का मोरारजी समेत कई नेताओं ने विरोध किया था. लेकिन, जब नेहरू के  बाद इंदिरा के हाथ में देश की कमान आई तो उन्होंने न सिर्फ देश के हित और राष्ट्रवाद के लिए कदम उठाए बल्कि दुश्मन देश पाकिस्तान के दो दो टुकड़े हो गए. अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें दुर्गा तक कहा था. 


भाई को खुशदिली से प्रियंका ने आगे किया


रुमान हाशमी आगे बताते है कि प्रियंका ने खुशदिली से भाई को आगे किया है. राहुल और प्रियंका के बीच जबरदस्त बाउंडिंग है और ये परिवार की तरफ से दिए अच्छे संस्कार की नतीजा है. हाशमी कहते हैं कि पहले भी कई मौके पर राहुल ने जज्बाती भरे बयान दिया है. उन्होंने बहन प्रियंका को दुलार करते राहुल के वायरल वीडियो पर कहा कि इससे यह जाहिर होता है कि राहुल अपनी बहन से कितना प्यार करते हैं और मिडिल क्लास जैसा यह मधुर रिश्ता है.


राहुल गांधी आर भारत जोड़ो यात्रा कर विपक्ष के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है. इसकी वजह से सभी पार्टियां इस तरह की यात्रा करने में लगी है वो चाहे बात नीतीश कुमार की बिहार में यात्रा हो, पीके की या फिर अमित शाह की गुजरात में कुछ दिन पहले की गई यात्रा हो. बहुत पहले भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री चंद्रशेकर सिंह ने ऐसी पदयात्रा की थी. उनके पहले किसी ने भी ऐसी यात्रा नहीं की. लेकिन, उनसे ज्यादा लंबी यात्रा राहुल गांधी कर रहे हैं. 


भारत जोड़ो यात्रा में राहुल को शानदार समर्थन


रूमान हाशमी कहते हैं कि जिस तरह से एक वक्त में अन्ना आंदोलन के वक्त आमलोगों का समर्थन मिला था, कुछ इसी तरह से राहुल के समर्थन में छात्र से लेकर आईआईटी करने वाले और अन्य लोग सामने आए हैं. लोगों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है. वे आगे बताते है कि राहुल गांधी की दाढ़ी को लेकर विपक्षी पार्टियां तंज कर रही हैं. लेकिन उनकी राजनीतिक विचारधारा दो तरह की है. एक समाजवादी विचारधारा को दाढ़ी प्रतिबिंबित कर रही है. अगर आने वाले दिनों में इसी तरह से सपोर्ट मिला तो 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में होगी. सरकार में न भी आए लेकिन विपक्ष के तौर पर स्थिति पहले से काफी अलग होगी.   


राहुल की वारिस में नहीं कोई अड़चन


वे बताते हैं कि कांग्रेस के वारिस को लेकर दो दावेदारी पहले हो सकती थी- अगर मेनका गांधी कांग्रेस नहीं छोड़ती. इंदिरा गांधी के साथ मेनका के मतभेद हो गए. संजय गांधी की मृत्यु के बाद जब मेनका गांधी कांग्रेस से अलग हुईं उसके बाद उन्होंने विचार मंच बनाया. वरूण गांधी बड़े हुए, लेकिन अगर कांग्रेस में मेनका रहती तो उनका वर्चस्व पार्टी में हो सकता था.


कांग्रेस पार्टी छोड़कर जिस तरह वो अलग हुई, उसका रानजीतिक खामियाजा हुआ और पीलीभीत के अंदर वरूण को वो जगह नहीं है. वरुण भी अब पहले की भाषा नहीं बोल रहे हैं. अगर वो  कांग्रेस में रहते तो राहुल-वरूण में वारिस को लेकर वर्चस्व की लड़ाई हो सकती थी. आज राहुल में पहले के मुकाबले काफी परिपक्वता आई है और वे टेलिप्रम्पटर देखकर नहीं बोलते हैं.


[राजनीतिक विश्लेषक रुमान हाशमी से बातचीत पर आधारित है पूरा लेख]