जिस टीम में क्रिस गेल, केएल राहुल, करूण नायर और मनोज तिवारी जैसे चार बल्लेबाज हों वो टीम 159 रनों का लक्ष्य ना हासिल कर पाए तो बात चौंकाने वाली है.


जिस टीम ने सिर्फ 48 घंटे पहले राजस्थान रॉयल्स को आसानी से 6 विकेट के बड़े अंतर से हराया हो वो एक के बाद एक इस तरह की गलतियां करें तो बात चौंकाने वाली है. प्वाइंट टेबल में जिस टीम की स्थिति राजस्थान रॉयल्स के मुकाबले कहीं ज्यादा अच्छी हो वो मैदान में बेवजह प्रयोग करे तो ये बात भी चौंकाने वाली है.

कुल मिलाकर मंगलवार को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ किंग्स इलेवन पंजाब की 15 रनों से हार चौंकाने वाली है. इस हार के बाद भी किंग्स इलेवन पंजाब प्वाइंट टेबल में तीसरी पायदान पर है. अभी टीम को 4 मैच और खेलने हैं. इन 4 में से 2 मैच को जीतकर प्लेऑफ के लिए उसका दावा मजबूत हो जाएगा. लेकिन अगर अब एकाध गलती और होती है तो किंग्स इलेवन पंजाब को सीजन की ये हार बहुत खलेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस मैच में बगैर किसी प्रयोग के जीत मिलनी चाहिए थी उस मैच में जबरदस्ती के प्रयोग टीम को भारी पड़े.

48 घंटे में अजिंक्य रहाणे ने कैसे पलटी बाजी
बीती 6 तारीख को यही दोनों टीमें आमने सामने थीं. तब राजस्थान रॉयल्स ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 152 रन बनाए थे. किंग्स इलेवन पंजाब के सामने 153 रनों का लक्ष्य था. केएल राहुल शानदार फॉर्म में चल रहे हैं. उन्होंने पिछले मैच में भी 54 गेंद पर 84 रन बनाकर पंजाब को जीत दिला दी थी. लेकिन 8 मई को जब ये दोनों टीमें आमने सामने हुईं तो अजिंक्य रहाणे के दिमाग में कुछ रणनीतियां बिल्कुल साफ थीं.

अव्वल तो ये जानते थे कि किंग्स इलेवन की जान क्रिस गेल को अगर जल्दी निपटा दिया जाए तो उनकी टीम दबाव में आ जाती है. रहाणे की ये चाहत कृष्नप्पा गौथम ने पूरी कर दी. एक वाइड गेंद पर लंबा शॉट खेलने की कोशिश में क्रिस गेल आउट हुए.

उसके बाद आर अश्विन बल्लेबाजी करने के लिए आए. अगली ही गेंद पर गौथम ने उन्हें क्लीन बोल्ड कर दिया. इसके बाद पूरा का पूरा मिडिल ऑर्डर एक एक करके अपना विकेट गंवाता रहा. इसी बीच रहाणे ने खुद मनोज तिवारी का एक शानदार कैच लपका. नतीजा ये हुआ कि 81 रन पर पहुंचते पहुंचते किंग्स इलेवन पंजाब की आधी से ज्यादा टीम पवेलियन पहुंच चुकी थी.

इस पूरी गफलत में रहाणे ने फील्ड प्लेसमेंट और गेंदबाजी में किए गए बदलाव कारगर साबित हुए. उन्होंने हर उस पोजीशन पर अच्छे चुस्त दुरूस्त फील्डर तैनात किए जहां गेंद के पहुंचने के आसार ज्यादा थे. बल्लेबाजों को सेट ना होने देने के लिए रहाणे ने सात गेंदबाजों को इस्तेमाल किया. तीन ओवर में सिर्फ 12 रन देने वाले कृष्नप्पा गौथम से उन्होंने अपना कोटा पूरा नहीं कराया लेकिन गेंदबाजी की विविधता से पंजाब के बल्लेबाजों को टिकने नहीं दिया.

बेवजह के प्रयोग से बचें आर अश्विन
आर अश्विन इस सीजन में इकलौते ऐसे कप्तान हैं जो गेंदबाज हैं. वो लंबे समय तक धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए खेले हैं. उन्होंने धोनी को लगातार प्रयोग करते देखा है. एक वक्त था जब धोनी चेन्नई के लिए उनसे गेंदबाजी की शुरूआत ही करा देते थे. अब अश्विन जब पंजाब की कप्तानी कर रहे हैं तो वो ‘अनप्रेडिक्टबल’ रहना चाहते हैं. यही वजह है कि मंगलवार को वो तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए क्रीज पर आए.

सवाल ये है कि क्या स्कोर इतना बड़ा था कि वो नियमित बल्लेबाजी क्रम में छेड़छाड़ करें? अश्विन अच्छी बल्लेबाजी कर लेते हैं लेकिन उनकी बल्लेबाजी का मतलब तब था जब टीम को दो सौ रनों के आस पास का स्कोर ‘चेज’ करना होता. सिर्फ 159 रनों का लक्ष्य हासिल करने के लिए सीधी क्रिकेट खेलकर भी कामयाबी हासिल की जा सकती है. ऊपर से जब केएल राहुल फॉर्म में हैं. एक छोर पर टिककर बल्लेबाजी कर रहे हैं तब दूसरे खिलाड़ियों को सिर्फ क्रीज के दूसरे छोर को संभालना था.

अफसोस, पंजाब के अनुभवी खिलाड़ी इस जिम्मेदारी पर खरे नहीं उतरे. इस हार के बाद अश्विन की उस रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं जिसमें उन्होंने टीम के ‘अनप्रेडिक्टेबल’ रहने की बात कही थी. सवाल यही है कि कहीं उनके बेवजह के प्रयोग टीम को भारी तो नहीं पड़ रहे?