शुक्र है ! कि आज कहीं कोई वार नहीं हुआ , दरअसल आज शुक्रवार यानि जुमे की नमाज का दिन था... जिसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं और कयास लगाए जा रहे थे... कि सीएए और एनआरसी को लेकर हो रहा विरोध प्रदर्शन जुमे की नमाज के बाद फिर से हिंसक ना हो जाए... लेकिन उत्तर प्रदेश में आज ऐसा कुछ नहीं जिसकी आशंका जुमे से पहले लगाई जा रही थी। इस बार पुलिस और प्रशासन ने उन तमाम कमजोर कड़ियों को वक्त से पहले दुरुस्त कर लिया था... जिनके चलते बीते शुक्रवार को सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान यूपी के कई जिलों में आगजनी,पथराव और हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। क्योंकि इस बार पूरे प्रदेश में पुलिस पहले से मुस्तैद थी और हर संवेदनशील इलाके में एहतियात के तौर पर पहले से ही सख्त कदम उठाए गए थे लेकिन शुक्रवार की इस शांति के श्रेय की हकदार अकेले यूपी पुलिस और प्रशासन ही नहीं बल्कि वो आम जनता भी है, जिसने इस बार समझदारी दिखाते हुए शांति से सरकार से अपनी नाराजगी का इजहार किया।
ब्लॉग: अमन चैन से बीत गया शुक्रवार, नागरिकता कानून पर कम हुआ शोर
ABP Ganga | 27 Dec 2019 08:51 PM (IST)
नागरिकता कानून को लेकर करीब दो हफ्तों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों से ये बात तो साफ है कि आशंकाओं और अफवाहों ने विरोध प्रदर्शनों के हिंसक होने में आग में घी का काम किया इसीलिये इसबार जुमे यानि शुक्रवार से पहले ही प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कदम उठाने शुरु कर दिये थे
कई दिन पहले से ही शुक्रवार को शांतिभंग होने की ये शंका बेवजह भी नहीं थी क्योंकि 20 दिसंबर यानी बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद सीएए और एनआरसी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा की चिंगारी ने यूपी के कई जिलों को अपनी चपेट में ले लिया था... जिसके बाद लखनऊ... कानपुर.. आगरा... समेत तमाम जिलों में हिंसा की आग भड़क गई थी लेकिन एक हफ्ते बाद की तस्वीर बिल्कुल बदली हुई थी। आज भी शुक्रवार है लेकिन उत्तर प्रदेश में कहीं से भी हिंसा या उग्र प्रदर्शन की तस्वीर सामने नहीं आई... मुस्लिम समाज ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बीच जुमे की नमाज अदा की... और शांति से अपने घरों का रुख कर लिया जो इस बात का साफ संकेत है कि अब नागरिकता के मुद्दे पर अफवाहों के शोर से लोगों ने खुद को अलग कर लिया है और सीएए को लेकर जो शंकाएं हैं उसका विरोध करना भी है तो शांति से।
नागरिकता कानून को लेकर करीब दो हफ्तों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों से ये बात तो साफ है कि आशंकाओं और अफवाहों ने विरोध प्रदर्शनों के हिंसक होने में आग में घी का काम किया इसीलिये इसबार जुमे यानि शुक्रवार से पहले ही प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कदम उठाने शुरु कर दिये थे... जिसके तहत सबसे पहले उन जिलों में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई... जहां पिछले हफ्ते जुमे की नमाज के बाद या तो हिंसा भड़की या फिर हिंसक प्रदर्शन होने की आशंका थी। प्रशासन ने कल शाम से लखनऊ, बुलंदशहर.. गाजियाबाद... हापुड़, आगरा... संभल... बिजनौर... सहारनपुर... मुजफ्फरनगर... फिरोजाबाद... मथुरा... मेरठ... कानपुर... अलीगढ़...सीतापुर और पीलीभीत समेत कुल 21 जिलों में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी थी... ताकि सोशल मीडिया के जरिये फैलाई जाने वाली किसी भी अफवाह को रोका जा सके... इसके अलावा पुलिस ने पहले से ही लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
आज एक तस्वीर बुलंदशहर से भी सामने आई है, जिसका जिक्र बेहद जरूरी है, जहां 20 दिसंबर को हुई हिंसा के दौरान सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के तौर पर मुस्लिम समाज ने 6 लाख 27 हजार रुपयों का चेक डीएम को सौंपा। सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के तौर पर 6 लाख 27 हजार रुपयों का जो चेक डीएम को सौंपा गया... वो पूरी रकम मुस्लिम समाज ने मिलकर इकट्ठा की थी। इस मुलाकात में लोगों ने डीएम और एसएसपी से आगे भी अमन और शांति को बनाए रखने का वादा भी किया। लेकिन नागरिकता कानून के मुद्दे पर जारी इस विरोध प्रदर्शनों के बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है... इस मुद्दे से सरकार देश का वक्त बर्बाद कर रही है। राहुल गांधी केंद्र सरकार पर सीएए के बहाने देश का वक्त बर्बाद करने का आरोप लगा रहे हैं... लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर सीधे राहुल गांधी को चुनौती दे दी है... कि वो इस बात को साबित करें कि सीएए के जरिये कैसे देश के किसी भारतीय की नागरिकता जा सकती है।
हालात कैसे भी हों लेकिन अगर उसे बेहतर बनाने की कोशिश की जाए तो उसका असर जमीन पर देखने को जरूर मिलता है। उत्तर प्रदेश में शांति बहाली के लिए ना सिर्फ पुलिस और प्रशासन बल्कि आम लोगों ने भी ईमानदार कोशिश की। आज उत्तर प्रदेश में हिंसा की एक भी खबर का नहीं आना इसी का नतीजा है। क्योंकि शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस या सरकार की नहीं हो सकती, इसमें समाज की भी भूमिका उतनी ही अहम है। लेकिन अमल बहाली की कोशिशों के बीच अब सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लोगों में विश्वास बहाली पर भी काम तेज करने की जरूरत है। ताकि सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर लोगों की शंकाएं दूर की जा सके।