पवन खेड़ा की गिरफ्तारी ये हमला कांग्रेस नेता पर नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान पर है. ये सत्ता और ताकत की दम पर डराने की कोशिश है कि अगर देश के प्रधानमंत्री का नाम भी लिया तो आपके साथ क्या होगा. पवन खेड़ा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में थे क्योंकि सब ये जानना चाह रहे हैं कि ऐसा क्या कर दिया उन्होंने कि असम की पुलिस दिल्ली आ जाती है और रायपुर में कांग्रेस महाधिवेशन में शामिल होने के लिए जहाज में बैठे पवन खेड़ा को नीचे उतारने के बाद दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर उन्हें असम पुलिस को सौंपती है. 


ऐसे में पूरा देश ये जानना चाह रहा है कि उन्होंने इतना बड़ा क्या अपराध कर दिया कि उनके खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई हो रही है. हुआ ये था कि प्रधानमंत्री मोदी अपने नाम में पिता का नाम भी नरेन्द्र दामोदर दास मोदी लेते हैं. लेकिन पवन खेड़ा ने नरेन्द्र दामोदर दास की जगह नरेन्द्र गौतम दास कहा तो उस पर काफी हंगामा हो गया. बीजेपी ने इस पर बहुत बड़ी आपत्ति की.


पवन खेड़ा ने मांगी माफी


जबकि आप ये खुद जानते हैं कि खुद प्रधानमंत्री रहते हुए और जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त कई निजी हमले पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी पर किए. डॉक्टर मनमोहन सिंह के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया.


लेकिन कभी कुछ नहीं हुआ. ये लोकतंत्र है, इसलिए सब लोगों के ऊपर छोड़ा गया है. वहीं सिर्फ इतना कहने भर से बीजेपी ने अपनी बौखलाहट दिखाई. पवन खेड़ा ने पार्टी के कहने पर किसी की भावना न आहत हो, इसलिए माफी भी मांगी और कहा कि हम गांधीवादी हैं.


उसके बावजूद असम में बीजेपी की सरकार है, वहां से पुलिस आती है और पवन खेड़ा की गिरफ्तारी होती है. आपको ये पता है कि अगर पवन खेड़ा रायपुर पहुंच जाते तो शायद पुलिस ये कार्रवाई नहीं कर पाती क्योंकि आप गैर-कानूनी और असंवैधानिक काम कर रहे हैं. इसलिए दिल्ली की पुलिस, असम-गुवाहाटी की पुलिस और प्रदेशभर में संवैधानिक संस्थानों का जो दुरुपयोग है, वो दिख रहा है.


राहुल गांधी का कहना है कि डरो मत


राहुल गांधी का कहना है कि डरो मत. बिल्कुल डराने की कोशिश की जा जाएगी. बीजेपी ने इससे ये कोशिश की है कि देश के प्रधानमंत्री का नाम लेकर कोई भी इस देश में सवाल नहीं कर सकता है. आपको कभी भी कोई जवाब नहीं मिलेगा. राहुल गांधी की तरफ से संसद में जो मुद्दे उठाए गए, उनका भी मजाक उड़ाया गया. 


राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने की बात आ गई. उनके माइक को बंद करने की नौबत आ गई. उनकी कही गई बातों को रिकॉर्ड से निकाला गया. बीजेपी में भारी बौखलाहट है. इस वजह से वो संविधान और लोकतंत्र की हत्या करने से भी बिल्कुल पीछे नहीं हट रही है.


ये कार्रवाई पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. जो कांग्रेस नेता मुखर होकर सवाल पूछ रहे हैं, उन लोगों को डराने की कोशिश है. इसके साथ ही, उन लोगों को भी जो कहीं न कहीं समाज से जुड़े हैं और शोषित है, पीड़ित है, अन्याय हो रहा है, आवाज न उठाएं, इसलिए उन्हें भी डराने की कोशिश की जा रही है कि कांग्रेस का एक बड़ा नेता इस तरीके से उठा सकते हैं तो आप लोग सोचिए कि आपका क्या होगा. तो ये साफ समझ लीजिए कि ये बिल्कुल डराने का प्रयास है. पवन खेड़ा कोई अपराधी नहीं हैं, वे कांग्रेस पार्टी के मुखर प्रवक्ता हैं और देश के मुद्दों को वो बखूबी उठा रहे हैं.  हमें मालूम है कि ये चुनौतियां और बढ़ने वाली है. रायपुर में तीन दिनों का 24 से लेकर 26 तक महाधिवेशन है. 


वहां पर ईडी को भेजा जाता है. हमारे नेताओं को डराया-धमकाया जाता है क्योंकि महाधिवेशन में केन्द्र सरकार के 9 साल के कामकाज की पोल खोलने जा रहे हैं. वो चाहे बेरोजगारी हो, अर्थव्यवस्था हो या किसान हो, इसलिए मुद्दे को भटकाने के लिए ये सारा प्रयास है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूरे देश के लोग उससे जुड़े हैं. कांग्रेस महाधिवेशन के बाद हम नई दिशा में आगे बढ़ेंगे. तीन दिनों तक मंथन होगा, इसको लेकर स्वभाविक है बीजेपी में इस तरह की ये बौखलाहट है.  


हिमाचल में डबल इंजन सरकार के बड़े दावे किए जा रहे थे. वहां के सरकारी कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन स्कीम पर, किसानों, महिलाओं और बेरोजगारों ने डबल इंजन की सरकार को औंधे मुंह गिरा दी. त्रिपुरा में भी इनकी सरकार गिरने जा रही है. कर्नाटक में भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी हारने जा रही है. कांग्रेस एक राष्ट्रीय विकल्प बनने जा रही है और बीजेपी को ये दिख रहा है. कल को अलका लांबा को भी गिरफ्तार किया जाए, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. लेकिन हम डरे नहीं हैं. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.ये आर्टिकल अलका लांबा से बातचीत पर आधारित है.)