छोटा बच्चा जान के ना आंख दिखाना रे
पंकज झा | 13 Sep 2016 04:43 PM (IST)
दीपक सिंघल ने जिसे बच्चा कहा था, उसी बच्चे ने आखिरकार एक झटके में उनका विकेट गिरा दिया. ना ऊंची पहुंच काम आई और ना ही बड़े कनेक्शन. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बकरीद की छुट्टी के दिन दीपक सिंघल को हटा कर राहुल भटनागर को मुख्य सचिव बना दिया. दीपक सिंघल को जब हटाए जाने की जानकारी मिली तब वह नोएडा में थे और दोपहर बाद एक प्रेस कांफ्रेंस करने की भी तैयारी थी. पिछले दो दिनों से वे दिल्ली में जमे हुए थे. सुभाष चंद्र के राज्यसभा सांसद बनने की खुशी में इतवार को अमर सिंह ने होटल मौर्या शेरेटन में डिनर रखा था. ख़ास मेहमान के रोल में मुलायम सिंह और शिवपाल यादव भी पहुंचे थे. बुलाया तो अखिलेश यादव को भी गया था, लेकिन वे गए नहीं. अफसरों में सिर्फ दीपक सिंघल पहुंचे थे. वहां कुछ ऐसी बात हुई जिसकी खबर अखिलेश तक भी पहुंची. उन्होंने मुलायम सिंह से बात की, उन्हें समझाया और फिर दीपक सिंघल हटा दिए गए. दीपक सिंघल जब उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बाबू बने थे. तब भी किसी को यकीन नहीं हुआ था. सब जानते है अखिलेश यादव ने उन्हें कभी पसंद नहीं किया. लेकिन 1982 बैच के आईएएस अफसर और सहारनपुर के रहने वाले सिंघल ने ऐसे गोटियां बिछायीं कि अखिलेश की कुछ नहीं चली. आलोक रंजन के रिटायर के होने के बाद जुलाई महीने में वे चीफ सेक्रेटरी बन गए. फिर तो दीपक सिंघल अपने असली फॉर्म में आ गए. अफसरों को डांटना. गालियां देना. मीटिंग में बस अपनी ही तारीफ़ करना. ये खबरें रूटीन हो गयी थी. लेकिन हद तो तब हुई, जब श्रावस्ती में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच से अखिलेश यादव को 'बच्चा और नासमझ' तक कह दिया. बात लखनऊ में सीएम तक भी पहुंची. लेकिन वे खून का घूंट पीकर रह गए. दीपक सिंघल यहीं नहीं रुके. लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान इशारों ही इशारों में उन्होंने सीएम अखिलेश यादव को हड़का तक दिया. बात 17 अगस्त की है. संगीत नाटक एकेडमी में कन्या विद्या धन बांटा जा रहा था. अखिलेश और उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव दोनों बुलाये गए थे. मंच से दीपक सिंघल ने ऐसी बात कह दी कि हॉल में सन्नाटा पसर गया. सब एक दुसरे का मुंह देखने लगे. भाषण देते हुए सिंघल बोल गए "सलाहकार साहेब, मेरी बात सुनिये, बात तो होती रहेगी, इधर ध्यान दीजिये". अखिलेश यादव और उनके सलाहकार आलोक रंजन आपस में बात कर रहे थे. सिंघल ने जब ऐसा कहा उन्हें पता था बातचीत में सीएम भी शामिल है. सिंघल से पहले आलोक रंजन ही यहां के चीफ सेक्रेटरी थे. बाद में जब सिंघल को लगा कुछ गड़बड़ हो गयी है तो उन्होंने रफ्फू भी किया और बोले "सीएम साहेब कहते रहते है मैं कुछ ज्यादा ही बोलता हूं" दीपक सिंघल के बड़बोलेपन और दबंगई की कई कहानियां है. जिसे नेता, अफसर और पत्रकार चटकारे लेकर सुनाते रहते हैं. बात इसी महीने की है. लखनऊ में योजना भवन में एक मीटिंग दीपक सिंघल ने बुलाई. वे जब पहुंचे तो भीड़ ज्यादा थी, बोले "ये बारात कहां से आयी है. चलो बाहर जाओ, गेट आऊट". चीफ साहेब के गरजते ही सबको सांप सूंघ गया. जब अमर सिंह का मुलायम सरकार और समाजवादी पार्टी में जलवा था, दीपक सिंघल उनकी आंखों के तारे थे. ठाकुर साहेब के जाने के बाद उन्होंने 'चाचा' यानी शिवपाल यादव को पकड़ लिया. केंद्रीय तैनाती से लौटते ही वे सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव बन गए. लगातार तीन सालों तक वे 'कमाऊ' कुर्सी पर जमे रहे. फिर नेताजी और दुसरे 'चाचा' रामगोपला यादव को दिल्ली जा जा कर साध लिया. उनकी ही जिद और इन सबकी कृपा से सिंघल अपने से सीनियर अफसरों को लांघ कर यूपी के सबसे बड़े बाबू बन गए थे. लेकिन कहते है कि बहुत तेज ड्रायविंग करने से ऐक्सिडेंट हो जाता है. वही हुआ सिंघल साहेब के साथ. खबर तो ये भी है कि 'समय' को भांपते हुए दीपक सिंघल ने एक माध्यम के जरिये मायावती से वही तार जोड़ लिए थे. ना जाने चुनाव बाद यूपी में किसकी सरकार बन जाए इसलिए साहेब का बीजेपी के एक बड़े नेता से भी कनेक्शन हो गया था.