तुर्किए के पाकिस्तान से बहुत पुराने संबंध हैं. ये संबंध आज से नहीं हैं, बल्कि शीत युद्ध के समय से अच्छे रहे हैं. लेकिन ये समय यात्रा करने का नहीं है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को ये सोचना चाहिए. इन लोगों को तो जहां भी मौका मिलता है, जहाज से चले जाते हैं. तुर्किए ने बहुत सही बात कही है कि अभी उसको मदद की जरूरत है, न कि इस तरह की यात्रा की.


पाकिस्तान के पीएम कर रहे थे दिखावा


अगर पाकिस्तान को इस वक्त तुर्किए के साथ एकजुटता दिखाना है, तो जैसे भारत ने मदद की है, वैसे वे भी करे. लेकिन न तो पाकिस्तान के पास पैसा है, न ही सामान है. टोकन सहायता भेजनी है, तो भेज दें. पाकिस्तान के पास न ही इतने ट्रेन्ड लोग हैं. इस सब चीजों पर पर्दा डालने के लिए या कमियों को छिपाने के लिए खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्किए जा रहे थे. ये सब सिर्फ दिखावा था.


त्रासदी से उबरने में बहुत समय लगेगा


तुर्किए को इस त्रासदी से उबरने में बहुत समय लगेगा. इस वक्त तुर्किए की अर्थव्यवस्था बहुत खराब है. उनकी इकोनॉमी बिल्कुल डाउन है. पहले कोरोना महामारी और अह रूस-यूक्रेन की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने से तुर्किए की अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में है. तुर्किए के जो राष्ट्रपति हैं, ज्यादातर पड़ोसी देशों से उनके संबंध खराब हैं. भारत से भी बहुत अच्छे संबंध बनाकर नहीं रहते. कश्मीर मामले में पाकिस्तान का समर्थन करते रहते हैं. तुर्किए-सीरिया में भूकंप बहुत बड़ी त्रासदी है. तुर्किए के पास न तो बहुत ज्यादा संसाधन है और न ही बहुत ज्यादा ट्रेन्ड लोग. तुर्किए को दुनिया के तमाम देशों से सहयोग के लिए अपील करनी पड़ी है. भारत ने बड़ी मदद पहुंचाई है. इसके अलावा यूरोपियन यूनियन और दूसरी जगह से भी वहां मदद पहुंच रही है.तुर्किए के अंदर एक्सेस करना तो आसान काम है. जो सीरिया का हिस्सा है, वो हिस्सा बहुत ही मुश्किल है. तुर्किए का ये एरिया बुहत ही सुंदर है. एक ओर तो कुर्दिश लोग हैं और दूसरी तरफ तुर्क वहां पर रहते हैं. सीरिया में भी मिक्स पॉपुलेशन है. सीरिया में भी बड़ी संख्या में कुर्दिश लोग हैं. सीरिया के अंदर समस्या ये है कि वहां पर युद्ध भी जारी है.


भारत मानवीय पहलू का हमेशा रखता है ध्यान


भारत की जो मूल नीति है, वो जहां पर भी इस तरह की कोई त्रासदी होती है, चाहे वो कोई भी देश हो, वहां पर मदद करता है. भारत ने अफगानिस्तान को भी गेहूं भेजा. अफ्रीका में भी बहुत जगह हमारे सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में गए हैं. भारत हमेशा ही एक सॉफ्ट पावर के रूप में देखा जाता है. भारत हमेशा ही पीपुल टू पीपुल रिलेशन बनाए रखता है. तुर्किए के लोग भारत की ओर अच्छी नज़र से दखते हैं और इस त्रासदी में भारत तुर्किए की मदद भी कर रहा है. इस नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी भारत को बेहद सम्मान के नज़र से देखा जाता है. भारत इस तरह की त्रासदी में ये नहीं देखता है कि उसके पीड़ित देश के साथ रिश्ते कैंसे हैं, वो हमेशा ही मदद करता है.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]