पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के वक्त दोनों देशों के बीच रक्षा से लेकर अंतरिक्ष तक कई अहम समझौते हुए. डिफेंस डील में अहम था अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक और भारत की सरकारी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में समझौथा. जिसके तहत स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत लड़ाकू जेट इंजन भारत में ही बनाया जाएगा. इससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ जाएगी. दूसरी तरफ पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनरल एटॉमिक्स एमयू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर मेगा डील का एलान किया. ये ड्रोन भारत की सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है.


पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है कि पाकिस्तान ने अपने कूटनीतिक चैनल के जरिए भारत-अमेरिकी डिफेंस डील पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई और इसे उसने अपने राष्ट्रीय हित के लिए खतरा करार दिया. उसकी ये आपत्ति बिल्कुल गलत है. पाकिस्तान सिर्फ पुरानी बातें समझता है कि उसका एक मात्र दुश्मन भारत है. पाकिस्तान को ये समझना चाहिए कि भारत के लिए अब दुश्मन चीन है. अमेरिका के लिए भी चीन ही चिंता है. पाकिस्तान की तो खुद की हालात काफी खराब है.


भारत नहीं देता पाक को तवज्जो


पाकिस्तान को भारत से नहीं बल्कि अपने आप से ही ज्यादा खतरा है. पाकिस्तान के आवाम को वहां की सेना से ज्यादा खतरा है. उनकी अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है. 38 फीसदी महंगाई है. ऐसे हालात में वो जनता का भूखमरी से ध्यान भटकाने के लिए भारत और अमेरिका डील पर फोकस कर रहा है, जिनमें कोई दम नहीं है. जहां तक इंडिया का सवाल है तो अब ये ग्लोबल इकॉनोमी है. तीसरी सबसे बड़ी सेना इसके पास है. सबसे बड़ी स्टैंडिंग आर्मी है. बाकियों की तो इतनी बड़ी सैन्य आर्मी नहीं है.



हमारी पॉलिसी के तहत हम खुद हमला नहीं करते बल्कि हम अपना डिफेंस करते हैं. पाकिस्तान अपनी समस्याओं से जूझ रहा है, जिसमें वहां मियांवाली एयरबेस पर जनता ने ही हमला कर दिया. कोर कमांडर के यहां पर हमला कर दिया. पाकिस्तान की सेना में बर्खास्तगी चल रही है. ऐसे हालात में इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं.



पाकिस्तान नहीं जवाब कार्रवाई में सक्षम
पाकिस्तान ने भारत-अमेरिका डील पर कहा कि वो जवाबी कार्रवाई कर सकता है. ये सवाल उठ रहा है कि वो आखिर जवाबी कार्रवाई कर ही क्या सकता है? जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान के आवाम पर होगी या भुखमरी ज्यादा होगी या महंगाई ज्यादा होगी, वो क्या जवाब कार्रवाई करना चाहता है? और उसको हिन्दुस्तान से कैसा खतरा है जबकि वो खुद परमाणु संपन्न राष्ट्र है.


दिक्कत ये है कि पाकिस्तान में फौज ने गमले में रखे लोकतंत्र बना रखा है. पाकिस्तान में वजीर-ए-खारजाह जो बुलवाता है वो वहां के विदेश मंत्रालय बोल देता है. जहां तक हिन्दुस्तान का सवाल है तो अमेरिका की कंपनी जीई से हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स से समझौता कर अब भारत में ही बनेगा. हमारी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए ये हल्के लड़ाकू विमान की काफी जरूरत है.


इसी तरह ड्रोन है. चाहे यूक्रेन वॉर हो या फिर पहली की लड़ाईयां हो, हमें बहुत खतरनाक ड्रोन मिल रहे हैं. साथ में टेक्नॉलोजी ट्रांसफर, ये हमारी पॉलिसी है. ताकि हम पूरी तरह से सप्लायर पर निर्भर न रहकर उसे खुद बनाएं. ये समझौता हम हर डील में करते हैं.


पाकिस्तान के डर की खास वजह


जब से अमेरिका, अफगानिस्तान से चला गया, पाकिस्तान अब उसके लिए इतनी अहम नहीं रहा. पाकिस्तान अब चीन की गोद में जाकर बैठ गया. ये भी अमेरिका को मंजूर नहीं है. अब इनको डॉलर मिलने बंद हो गए और डिफॉल्ट करने वाले हैं. ऐसे हालत में इनके पास अब चारा ही क्या बचा है? भारत आखिर पाकिस्तान पर हमला क्यों करेगा? भारत ने तो बांग्लादेश पर भी हमला नहीं किया था. अभी भी पाकिस्तान का वही हाल है. बलूचिस्तान, सिंध.. कराची में अलग झमेला है. सब पंजाब से तंग हैं और पंजाबी भी पंजाबी सेना से परेशान हैं. 


ऐसे आंतरिक जिसके हालात हों, महंगाई इतनी बढ़ी हो, जो सबसे बड़ा नेता है, उसका हाल अपने देखा कि 180 मुकदमें कर रखे हैं, ऐसे में पाकिस्तान को हिन्दुस्तान के डरने की जरूरत नहीं है. लेकिन वो खुद के सिस्टम से जरूर सफर कर रहा है. जो उनका सिस्टम ऑफ गवर्नमेंट है, बाय पकिस्तान आर्मी, उसने दुनियाभर की फौजों को बदनाम करके रख दिया है.


हमें तो बड़ा अफसोस इस बात का है कि कभी वो हमारा हिस्सा होता थी, लेकिन आज वहां की जनता से पूछो तो सबसे पॉपुलर उनके लिए भी पीएम मोदी ही है. हम तो 14 अगस्त को विभीषिका दिवस ही मनाते हैं. उस दिन इतने कत्ल हुए, जिसके लिए जिन्ना और नेहरू को जिम्मेदार ठहराया जाता है. पाकिस्तान के 80 फीसदी लोग दोबारा हिन्दुस्तान में मिलना चाहते हैं. 
   
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]