भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव होने वाला है, लेकिन अब जब एक सप्ताह से भी कम समय इसमें बचा है तो चुनाव कराने की जिन कंधों पर जिम्मेदारी है, उसी चुनाव आयोग के सामने एक ब्लास्ट हो गया है. इमरान खान जेल में हैं, उनकी बीवी बुशरा बेगम को भी जेल हो गई है. चुनाव समय पर होंगे, यह दावा पाकिस्तान का सत्ता प्रतिष्ठान लगातार कर रहा है, लेकिन वह किस तरह से होगा या कैसे होगा, ये पाकिस्तान में कोई बता नहीं पा रहा है, सिवाय आर्मी के. पाकिस्तान की विदेश नीति कदरन खराब है, अर्थशास्त्र चौतरफा बिखरी पड़ी है और घरेलू संकट से वह कराह रहा है. इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से अगर बाज नहीं आ रहा है, तो वह क्या चाहता है,  ये बड़ी आसानी से समझा जा सकता है. 

पाकिस्तान में धमाका आमफहम 

आज यानी शनिवार 3 फरवरी को पाकिस्तान के कराची में जो ब्लास्ट हुआ है, उसके सामने ही इलेक्शन कमीशन का ऑफिस है. इससे दो बातें साफ हुई हैं कि यह कम तीव्रता वाला धमाका है और कोई जान की हानि भी रिकॉर्ड नहीं की गयी है, 400 ग्राम कोई एक्सप्लोसिव था जो फटा है. इसे सिर्फ एक तरफ से नहीं देख सकते हैं, बहुत सारे फैक्टर्स हैं. बहुत सारी दिक्कतें है जो पाकिस्तान में हमेशा से होता आया है. पिछले साल इमरान खान के साथ जो कुछ हुआ, उनको एस्टैब्लिशमेंट से निकाला गया, फिर जेल हुई, उनकी पार्टी पीटीआई द्वारा प्रोटेस्ट किया गया. फिर पीटीआई के सपोर्टस बाहर आ गए. उन्होंने फिर आर्मी के इस्टैब्लिशमेंट पर अटैक करने की कोशिश की, फिर पीटीआई को खारिज कर दिया गया और अभी जो इलेक्शन होना है वहां पर, उनके कैंडीडेट्स को फोर्स किया जा रहा है कि वे इमरान की पार्टी से खड़े ना हों, बल्कि इंडिपेंडेंट कैंडिडेट खड़े हों इलेक्शन में. एक 'मेल्ट अपलिफ्टमेंट' नाम की चीज है, जितने राइटर्स है या एनालिस्ट है वो इस शब्द को बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. मेल्ट अपलिफ्टमेंट का मतलब है कि जो मिलिट्री है वो ही असल में पाकिस्तान का सत्ता-प्रतिष्ठान है. पाकिस्तान की जो असल मशीनरी है उसे पॉलिटिकल मशीनरी बोला जाए, इकोनॉमिक मशीनरी बोला जाए, फिनांशियल मशीनरी या फॉरेन रिलेशंस की मशीनरी कहें, उसका जो असल पॉइंट है, जो वो मिलिट्री है.

धमाके के कई पहलू

अब जो ब्लास्ट हुआ है, इसके बहुत सारे पहलू हो सकते हैं. इसमें एक टीटीपी का पहलू आ सकता है, इसमें आप बलोच फैक्टर का पहलू आते देख सकते हैं, इसमें मिलिट्री का भी पहलू आ सकता है, क्योंकि पाकिस्तान असल में बारूद के ढेर पर बैठा है. अभी पिछले दो तीन महीनों में देखा गया कि पाकिस्तान में कबायली इलाके हैं खैबर पख्तूनख्वा, वहां पर बहुत ज्यादा दहशत वाली घटना बढ़ रही है. आए दिन वहां पुलिस पर अटैक हो रहा है, वहां के लोकल लोग हैं परेशान हो रहे हैं. वहां के स्थानीय लोग तालिबान के खिलाफ जुलूस निकाल रहे हैं और ये तब से हुआ है जब से अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया है, पाकिस्तान में जो तालिबान है, उसक बहुत बड़ा सपोर्ट मिल रहा है, एक विचारधारा को सहारा मिल रहा है, धर्म को सहारा मिल रहा, फंडिंग मिल रही है और अभी जो ईरान के साथ पाकिस्तान का मसला चल रहा है, जैसे जैश अल अदल का मसला, इस्लाम को लेकर, बलोच अलगाववाद जो फिर से सर चढ़कर बोल रह है, इन सब में मिलिट्री का हाथ है.

पाकिस्तान है चौतरफा संकट में

आज सुबह पाकिस्तान में ब्लास्ट हुआ है, दो तीन मुद्दे हैं जिनको सामने लाया जा सकता हैं कि ये एक वजह हो सकती है.अमेरिका की जहां तक बात है, तो पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा छोड़ने के पीछे इमरान खान का काफी हाथ रहा है. रूस की तरफ उनका झुकाव बढ़ गया था, तुर्की की तरफ बढ़ा, चीन की तरफ बढ़ गया था. पहले आर्मी ने पीटीआई को बहुत सहयोग दिया, सेना ने इमरान खान को बहुत सहारा दिया. उस समय उन्होंने नवाज शरीफ को निकाल दिया,  नवाज शरीफ साउदी अरब चले गए. उस समय इमरान खान के साथ आर्मी थी तो इमरान खान फिर सत्ता में आए, फिर धीरे-धीरे आर्मी को लगा कि इमरान उनके कंट्रोल से बाहर जा रहे, फिर आर्मी ने अपना पासा पलट दिया, नवाज शरीफ को ले कर आए. इसीलिए यह कहा जा सकता हैं कि आर्मी का हाथ जिसके ऊपर है वही सत्ता में आएगा. जबसे आजादी मिली है, आज तक पाकिस्तान के किसी भी प्राइम मिनिस्टर ने (डेमॉक्रेटिकली इलेक्टेड या आर्मी सपोर्टेड) ने अभी तक अपना समय पूरा नहीं किया है, चाहे वो नवाज शरीफ हों या बेनजीर भुट्टो रही या इमरान खान. किसी ने आज तक 5 साल की अवधि को पूरा नहीं किया है. 

पाकिस्तान में 5साल की प्रजातांत्रिक सरकार सपना

बेनजीर भुट्टो के समय पर अलगाववाद था, हालांकि उन्होंने कभी उस चीज को माना नहीं. नवाज शरीफ के समय पर देखा कि सेना किस तरह हावी थी, उसके बाद कारगिल की घटना देखी, फिर मुशर्रफ आए, फिर इमरान खान के समय पर भी देखा गया,  बालाकोट हुआ. आर्मी के सपोर्ट से लीडर आए. भारत की अगर हम पाकिस्तान के संदर्भ में बात करें, तो हमारे लिए ज्यादा कुछ बदलाव होता नहीं है. पाकिस्तान के कुछ मुद्दे हैं, कुछ मसले हैं, वो कभी भी नहीं बदलेंगे. उसमें ज्यादा बदलाव नहीं आएगा क्योंकि उनकी पॉलिसी वही रहेगी. नीतियां पिछले 70 साल से रही हैं, वही रहेंगी. जो मुद्दा है, जो एंटी इंडिया लोगों का स्टैंड होता है या प्रो पाकिस्तान, प्रो चाइना स्टैंड होता है, इंडिया को थोड़ा कॉर्नर करने के लिए या यूएस में चले जाते हैं या यह लोग यूएन में जाते हैं, अभी जैसे चल रहा है, कि ये सब भारत करवा  रहा है, इनका रोना हमेशा बना रहता है. इनकी पॉलिसी भारत के लिए उसी प्रकार रहती है. किसी ने किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. बदलाव भारत की तरफ से आया है. अब भारत इनके हेट कैंपेने को, इनके प्रोपैगैंडा को बर्दाश्त नहीं करता, जवाब देता है. 

भारत की आर्थिक ताकत भी एक पक्ष है. भारत की आक्रामक विदेश नीति भी एक पहलू है और सोशल मीडिया के जमाने में सच्चाई का सामने आना भी एक पहलू है. अब दुनिया के बाकी देश हमें संयम रखने की वह सलाह पहले की तरह नहीं दे पाते, जो हमेशा देते रहते थे. भारत ने भी अपने पत्ते अब खुलकर खेलने शुरू कर दिए हैं. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]