Opposition Leaders Meet: संसद के भीतर व बाहर विपक्षी दलों को एकजुट करके अपनी ताकत का अहसास कराने की राहुल गांधी की कोशिश कुछ हद तक कामयाब होती दिख तो रही है लेकिन सवाल ये है कि पेगासस जासूसी मामले पर क्या सरकार विपक्ष के आगे झुकने को तैयार होगी? सरकार पर दबाव बनाने की नीयत से राहुल ने आज नाश्ते पर राजनीति का शिगूफा छेड़कर जिस तरह से संसद तक साईकल मार्च निकाला है, उससे मोदी सरकार की सेहत पर भले ही ज्यादा असर न पड़े लेकिन आम जनता के बीच इसका यही संदेश जायेगा कि विपक्ष नाकारा होकर चुप नहीं बैठा है, बल्कि वो उसकी आवाज़ भी उठा रहा है.

जासूसी मामले से बेशक आम आदमी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ये उसकी जिंदगी से जुड़ा मसला नहीं है लेकिन पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें उसे सीधे प्रभावित कर रही हैं, लिहाजा विपक्ष अगर इसका विरोध जोरदार तरीके से करता है, तो जनता का मौन समर्थन भी उसे अपने आप ही मिलने लगता है.

वैसे पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी ने विपक्ष की जिस राजनीति को सही मायने में अपनाया है,उसे बीच में ही छोड़ने की बजाय अगर वे इसे और अधिक धारदार रुप देंगे,तो यह सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि समूचे विपक्ष के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. वैसे भी सड़कों पर उतरे बगैर कोई भी दल विपक्ष की प्रभावी भूमिका नहीं निभा सकता. पिछले दिनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में जिस तरह से राहुल ट्रेक्टर लेकर संसद के बाहर तक पहुंच गए थे, वह विपक्ष की तेवर वाली राजनीति का ही एक नमूना था. मंगलवार को 15 पार्टियों के नेताओं को जिस तरीके से नाश्ते पर इकठ्ठा करके सरकार को घेरने की रणनीति बनाई गई और फिर साईकल से संसद पहुंचने की जो कवायद की गई, उसे भी हम परिपक्व राजनीति की मिसाल कह सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि संसद के मॉनसून सत्र में पेगासस जासूसी मामले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है. कांग्रेस की अगुवाई में कई विपक्षी पार्टियां इस मसले पर चर्चा चाहती हैं लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं दिखती. गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की विपक्ष को मनाने की कोशिश भी बेकार ही  साबित हुई.

ऐसे वक्त पर विपक्षी एकता की ताकत दिखाने के अहम अवसर को राहुल ने अपने हाथ से जाने नहीं दिया और नाश्ते पर सियासत के जरिये सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करने की रणनीति बनाने को अंजाम दे डाला. हाल ही में राहुल गांधी विपक्ष की कई बैठकों में शामिल हुए हैं, इनकी अगुवाई की है और सीधे बढ़कर प्रेस से वार्ता भी की है. इसी कड़ी में मंगलवार को सियासी दलों के लिए नाश्ते का प्रबंध किया गया था. इस बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी पार्टियां आपस में बहस कर सकती हैं. पेट्रोल-डीज़ल के मसले पर हम सभी को आवाज़ उठानी चाहिए.

संसद के मॉनसून सत्र का जो समय बचा है, उसमें सरकार पर किस तरह हमला किया जाए, उसका खाका इस मीटिंग में तैयार किया गया है. लेकिन अब देखना होगा कि विपक्ष का नाश्ता सरकार के खाने  को किस हद तक खराब कर पाता है क्योंकि सरकार जासूसी मामले पर चर्चा कराने से जिस तरह से बच रही है,उससे लगता है कि वह कुछ राज बाहर नहीं आने देना चाहती है. 

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