प्रधानमंत्री पद की एक गरिमा होती है. लोकप्रियता, देश की जनता में स्वीकार्यता और जनता के बीच अपील हो, इन दृष्टिकोण से जो सबसे ज्यादा दमदार चेहरा हो, प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार उस व्यक्ति को बनाया जाना चाहिए.


मुझे पूरे विपक्ष में प्रियंका गांधी से ज्यादा लोकप्रिय चेहरा, आकर्षक व्यक्तित्व कोई नहीं दिखता है. सबको साथ लेकर चलने की क्षमता, सहनशीलता-संयम, भारतीय संस्कृति-संस्कारों की झलक हो, ऐसा चेहरा मुझे पूरे विपक्ष में सिर्फ़ प्रियंका गांधी में ही दिखाई देता है.


कांग्रेस कार्यकर्ता चाहते हैं प्रियंका बने पीएम का चेहरा


कांग्रेस के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ता चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी को अगर हटाना है, बीजेपी की सरकार को हटाना है, तो प्रधानमंत्री पद का चेहरा कोई ऐसा होना चाहिए, जिसे देश की जनता स्वीकार करती है और जो देश की जनता के बीच लोकप्रिय हो. मैंने इस नजरिए को ध्यान में रखते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया जाना चाहिए.



राहुल गांधी में नहीं है कोई कमी


राहुल गांधी बहुत ही बड़े नेता हैं. काफी अच्छे नेता और काफी अच्छे इंसान हैं. राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा एक तपस्वी के रूप में की है. राहुल गांधी चाहते हैं कि वे प्रधानमंत्री पद का दावेदार बने, तो बिल्कुल बन सकते हैं. राहुल गांधी में कोई खोट नहीं है. लेकिन जो देश की जनता और जनमानस का भाव है और कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ताओं का जो भाव है, वो ये हैं कि प्रियंका गांधी को पीएम चेहरा बनाया जाए. 


नरेंद्र मोदी को हराने के लिए प्रियंका को आगे लाना होगा


जहां तक राहुल गांधी की बात है, तो 2013 में जब यूपीए की सरकार थी, लोगों ने उनको प्रधानमंत्री बनाने की मांग की थी, जिसे राहुल गांधी ने अस्वीकार कर दिया था. अभी कांग्रेस की अध्यक्षता की बात आई, तो उन्होंने स्वीकार नहीं किया. राहुल गांधी महान तपस्वी के रूप में हैं. राहुल गांधी की अभी उसी तरह की अपील है, जब कभी देश में महात्मा गांधी की हुआ करती थी. महात्मा गांधी, विनोबा भावे, चंद्रशेखर की तरह पद यात्रा करने के पश्चात राहुल गांधी राष्ट्र के लिए काम कर रहे हैं. मुझे नहीं लगता है कि राहुल गांधी में कोई कमी है. लेकिन अगर नरेंद्र मोदी को हटाना है, तो प्रियंका गांधी को आगे करना चाहिए. ऐसा लोगों का और मेरा भी यही मानना है.


कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता मुमकिन नहीं


विपक्षी एकता में जो पलीता लगाने का काम कर रहे हैं, वो ममता बनर्जी और उनके समर्थक केसीआर जैसे नेता कर रहे हैं. मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी को जो भी नेता हटाने चाहते हैं, उन्हें कांग्रेस से कोई परहेज नहीं होना चाहिए. जो नेता ये कह रहे हैं कि हम कांग्रेस को अलग-थलग करके नरेंद्र मोदी को रोकना चाहते हैं, तो मुझे लगता है कि वे सब नेता नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं. वे सभी नेता तीसरी बात नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. अगर नरेंद्र मोदी को हराना है, तो विपक्ष से प्रधानमंत्री कैंडिडेट कांग्रेस का ही होना चाहिए.


ममता बनर्जी का है बीजेपी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर


मुझे लगता है कि ममता बनर्जी का बीजेपी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर हो चुका है. ममता बनर्जी अच्छी तरह जानती हैं कि अगर कांग्रेस को अलग रखा गया तो नरेंद्र मोदी को नहीं हराया जा सकता है. वो ये बात बार-बार दोहरा रही हैं कि कांग्रेस को अलग रखना है. इसका मतलब है कि कहीं न कहीं, कुछ न कुछ ऐसा पक रहा है, जो दिखाई नहीं दे रहा है. मुझे नहीं लगता है कि कांग्रेस के बिना नरेंद्र मोदी से लड़ाई लड़ी जा सकती है.


विपक्षी एकता की जिम्मेदारी सिर्फ़ कांग्रेस की नहीं


सबसे बड़ा सवाल है कि क्या विपक्षी दलों को एक करने की जिम्मेदारी सिर्फ़ कांग्रेस की है. बाकी दलों की भी ये जिम्मेदारी है. क्या नरेंद्र मोदी सरकार से सिर्फ़ कांग्रेस दु:खी है, बाकी दल दु:खी नहीं हैं. मैं ये बात साफ कर देना चाहता हूं कि जो भी राजनीतिक दल या नेता ये कहें कि हमें बीजेपी को हराना और कांग्रेस को अलग रखना है, तो इस बात का साफ मतलब है कि वो तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. ये सब कोई जानता है कि जब तक विपक्षी एकता नहीं होगी, नरेंद्र मोदी को नहीं हराया जा सकता है और विपक्षी एकता में कोई बाधा है, तो वो अत्यंत महत्वाकांक्षाएं हैं. मैं सभी क्षेत्रीय पार्टियों के सभी बड़े नेताओं से अपील करना चाहूंगा कि वे देश हित में अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को परे रखते हुए कांग्रेस का साथ दें.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम से बातचीत पर आधारित है.]