भारतीय जनता पार्टी की तरफ से गुरुवार को पटना में प्रदर्शन के दौरान बीजेपी कार्यकर्ता राजीव कुमार सिंह की मौत के बाद काला दिवस मनाया गया. ये काफी दुखद बात है कि देश के प्रतिष्ठित आंदोलनों में से एक जेपी मूवमेंट से निकले हुए लोगों की सरकार बनी है. जिस तरह से एक वक्त में कांग्रेस अपना प्रतिद्वंद्वी को दबाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करती थी, आज जब ये कांग्रेस के गोद में महागठबंधन की सरकार बैठी है, तब इस पूरी विचारधारा का कांग्रेसीकरण हो चुका है.


इनके काम करने की शैली पूरी तरह से दमनकारी हो चुकी है. जिस तरह से अंग्रेजों का भारत में शासन हुआ करता था, उसी दृष्टिकोण से ये लोग सरकार को चलाना चाहते हैं. ये बीजेपी के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पिछले आठ महीने से जो भी व्यक्ति या समाज अपने अधिकारों की मांग कर रहा है, सड़कों पर उतर रहे हैं, उसे ये महागठबंधन की सरकार लाठियों और डंडों से और अपने पुलिसिया गुंडों से पिटवाने का काम करती है.


कल जो घटना हुई वो नि:संदेह दुर्भाग्यपूर्ण है और ये इतने खतरनाक स्थिति में पूरी घटना को पहुंचा दिया कि जहां पर भागने के लिए भी जगह नहीं थी. चूंकि बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया था, अतिक्रमण पुलिस ने किया.



कांग्रेस की विचारधारा का कांग्रेसीकरण


जहां तक हमें जाने की इजाजत दी गई थी, हमलोग वहीं पर जाकर धरने पर बैठे थे. उसके बाद पुलिसवालों ने हमारे साइड का एनक्रोचमेंट कर लाठियां भांजी, जिसमें हमारे बहुत काबिल नेता और बहुत पहले से अपना योगदान दे रहे विजय सिंह की मौत हो गई. इसके साथ ही, हजारों की संख्या में बीजेपी के कार्यकर्ता इस वक्त अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा हैं. इनमें से कई कार्यकर्ता अभी बेहद गंभीर हेल्थ इश्यूज से जूझ रहे हैं.



जब सरकारें निकम्मी हो जाती हैं और उनके पास कहने और करने को कुछ नहीं रह जाता है तो फिर वे अनर्गल प्रलाप शुरू करते हैं. कांग्रेस ने आज तक कभी इमरजेंसी के लिए माफी मांगी है क्या? जब कांग्रेस ने माफी नहीं मांगी तो फिर किस प्रकार से बिहार के उदंडी समाजवादियों से इस प्रकार की अपेक्षा कर सकते हैं कि वो अपनी गलतियों के लिए माफी मांगेंगे. 


आज जो परिस्थिति महागठबंधन की सरकार ने पैदा कर दी है, क्या हर व्यक्ति जो अपने अधिकारों के लिए उतर रहा है वो गलत है? सरकार के या शासन-प्रशासन के काम करने का जो तरीका है, क्या सभी लोग उस पर अतिक्रमण कर रहे हैं. 


तेजस्वी यादव एक भ्रष्टाचारी का पुत्र हैं. जिस अट्टाहास के साथ तेजस्वी यादव गुरुवार को चीजों को सामने रख रहे थे, वो देखने से लग कहा था कि ये व्यक्ति जिसे बचपन से किसी प्रकार के संघर्ष का आदी नहीं है, वे जनता के संघर्ष को देखकर उसी तरह से अट्टाहास कर रहा है, जिसे रावण करते थे.


सरकार को नहीं संवेदना


इसलिए जिसने खुद जीवन में कभी संघर्ष नहीं किया, उसे संघर्ष करने वाले लोगों के लिए कोई संवेदना नहीं बची है. दुख होता है नीतीश कुमार पर, जिन्हें इतने वर्षों से बिहार की जनता ने इतने प्रेम दिया था, आज ये व्यक्ति किस प्रकार से सड़कों पर अपनी विचारधारा को लेकर उल्टी-पल्टी खा रहे हैं.


जिस तरह से महागठबंधन की सरकार ने गुरुवार को हरकत कराई है, बीजेपी उनके ऊपर हत्या का केस आरोपित करने वाली है. हमलोग आज उनका पुतला दहन करेंगे और उसके बाद नीतीश कुमार पर एफआईआर दर्ज करेंगे.


नीतीश कुमार का आज नहीं बल्कि पूर्व में भी जमीन पर कोई बड़ी हैसियत नहीं थी. उनकी पहचान बीजेपी के साथ साझेदारी में ही थी. आज वे किन परिस्थितियों में राजद के साथ बैठे हैं, ये पूरी दुनिया देख रही है. उनकी मंशा पीएम बनने से संबंधित थी. इस सपने को वे पूरा करने के लिए दिन-रात बेचैनी में जी रहे हैं. इस रास्ते में अगर भी व्यवधान दिखता है तो नीतीश कुमार का गुस्सा लाठियों के तौर पर अलग-अलग प्रकार के लोगों पर और गुरुवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं पर भी गिरी.




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