एनसीपी नेता अजित पवार के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें इस वक्त लगाई जा रही है. ऐसी चर्चा है कि एनसीपी के कई नेताओं के साथ वे बीजेपी में जा सकते हैं. इधर, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी दावा किया है कि अगले दो हफ्ते में महाराष्ट्र में बड़े सियासी विस्फोट हो सकते हैं. सवाल ये उठ रहा है कि अजीत पवार क्यों बीजेपी में जाएंगे? उन्हें वहां पर क्या मिलेगा?


दरअसल, वर्तमान में जो लोग एकनाथ शिंदे के साथ गए वे लोग भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा पाए. एक बार मंत्रिमंडल के गठन के बाद उसका विस्तार तक नहीं हो पाया है. ये स्थिति अभी वर्तमान सरकार में है.


ऐसे में अजीत पवार के बीजेपी में जाने से ऐसा नहीं है कि ये सरकार बहुमत में आ जाएगी. अभी उनके पास 162 विधायकों का आंकड़ा है. 288 सीटों वाली विधानसभा में सरकार के लिए 145 सीट चाहिए. वर्तमान में एनडीए के पास 162 विधायक हैं. ऐसे में ये जरूरी नहीं कि अजीत पवार अगर शिंदे-बीजेपी गठबंधन सरकार में जाते हैं तो उन्हें डिप्टी सीएम बनाया जाए, क्योंकि एकनाथ शिंदे के साथ जो लोग उद्धव गुट को छोड़कर गए वे सभी नाराज हो जाएंगे. वे ये सोचेंगे कि हमने विद्रोह किया लेकिन हमें तो कुछ नहीं मिला.



मेरा मानना है कि एनसीपी में फूट होते हुए दिखाई देती है. लेकिन ये बीजेपी का प्लान बी है. सुप्रीम कोर्ट के जो लगातार फैसले आ रहे हैं, वो कहीं न कहीं केंद्र सरकार के फैसले को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट से 16 विधायक अयोग्य हो जाते हैं, तो इसका मतलब है कि एकनाथ शिंदे के साथ जो 40 विधायक गए, उनमें से 16 अयोग्य हो जाते हैं तो बाकी बचे हुए 26 भी अयोग्य हो जाएंगे. फिर 40 के 40 अयोग्य होने के बाद सरकार अवैध घोषित हो सकती है.


जब सरकार गैरकानूनी घोषित हो जाएगी तब सरकार कोई फैसला भी नहीं ले सकती कि विधानसभा भंग करे या न करे. ऐसे में नए सरकार का गठन होगा. यदि ये 40 लोग अयोग्य हो जाते हैं तो सदन की क्षमता 288 से घटकर 248 हो जाएगी और फिर उस हालत में 125 में ही बहुमत का आंकड़ा बन जाता है. यदि शिंदे गुट से 40 विधायक अयोग्य हो गए तो बीजेपी के पास 162 की जगह 122 विधायक ही बचेंगे वहीं विपक्ष के पास 126 विधायक हैं तो वैसे में उनकी सरकार बन जाएगी.


ऐसे में बीजेपी का प्रयास ये चल रहा है कि किसी भी तरह से एनसीपी के 10 विधायक तोड़ लो  और जो एनसीपी छोड़ने के बाद खुद ही अयोग्य हो जाएंगे. इस परिस्थिति में महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनी रहेगी. ऐसे में सदन की क्षमता 288 से 50 कम होकर 238 हो जाएगी और बहुमत के लिए आंकड़ा 120 चाहिए होगा, जो बीजेपी के पास मौजूद रहेगा. एनसीपी के 10 विधायक जाने से विपक्ष के पास 126 के बजाय 116 विधायक ही बचेंगे.


इस तरह से महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनी रहेगी. बीजेपी कर्नाटक चुनाव से पहले किसी भी तरह से महाराष्ट्र में सरकार गिरते हुए नहीं देखना चाहती. दूसरी संभावना ये है कि अगर एकनाथ शिंदे चले गए तो क्या एकनाथ शिंदे की जगह अजित पवार लेंगे क्या. कुछ अखबार लिख रहे हैं कि अजित पवार के पास एनसीपी के 53 में से 40 विधायक हैं. ये संख्या दो तिहाई हो जाती है. दल-बदल कानून के तहत इस दो तिहाई को किसी पार्टी में विलय करना होगा. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अजित पवार बीजेपी में विलय करेंगे. बीजेपी में शामिल हुए को बीजेपी अजित पवार को कितना महत्व देगी, जबकि एनसीपी में वो अपना भविष्य आगे बना सकते हैं.


अगर वो बीजेपी में शामिल होते हैं तो उनको अपने ही चाचा शरद पवार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि शरद पवार एक बार फिर एनसीपी को मजबूत करने के लिए महाराष्ट्र में निकल पड़ेंगे. वर्तमान में ये जरूर दिखता है कि बीजेपी बहुत बुरी तरह से डरी हुई है. बीजेपी महा विकास अघाड़ी तोड़ने के चक्कर में नहीं है, बल्कि वो अपनी साख और सरकार बचाने के लिए प्लान बी पर काम कर रही है.


मुझे लगता 2019 में जो अजित पवार ने किया था वो बात शरद पवार की सहमति से हुई थी. तभी अजित पवार उस वक्त शपथ लेने के बाद मंत्रालय भी नहीं गए थे. वे अपने आवास पर ही रहे थे. वो 80 घंटे की सरकार थी. लेकिन इस बार वो वाली बात नहीं है. इस बार उनको मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो उनको किसी पार्टी में विलय करना होगा. वो अलग से एनसीपी क्लेम करेंगे. उन्हें शरद पवार के एनसीपी से ही भिड़ने के लिए चुनाव आयोग जाना पड़ेगा. शरद पवार की अभी भी जिला इकाई पर अच्छी पकड़ है.


बीजेपी को महाराष्ट्र में अपनी रणनीति को साधने के लिए अजित पवार से बेहतर कोई और आदमी नहीं मिल सकता है. जैसा कि सुप्रिया सुले ने कहा है कि अगले 15 दिन में दिल्ली और महाराष्ट्र में दो राजनीतिक विस्फोट होंगे, तो हो सकता है कि अगले दो हफ्ते में महाराष्ट्र की सरकार गिर गई तो ये भी एक विस्फोट है. यहां वैसे में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. जो अयोग्य हो सकते हैं, वे पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं और उन जगहों पर बाकी राज्यों के साथ चुनाव हो सकता है.


एक बात तय है कि ये प्लान अजित पवार का नहीं है. बीजेपी अपनी साख बचाने के लिए प्लान बी पर काम कर रही है, जिसमें अजित पवार एक मोहरा हैं. मुझे लगता है कि अजित पवार के पास बीजेपी में जाने के लिए 20 से 22 विधायक होंगे, लेकिन 10 लोग तो तुरंत तैयार है इस्तीफा देने के लिए.


(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)