बिहार में महागठबंधन में सीट बंटवारे का एलान कर दिया गया है. कांग्रेस को नौ सीटें मिली हैं. इससे एक बात तो साफ है कि महागठबंधन ने कांग्रेस को 'सीमित' कर दिया. कांग्रेस फ्रंड फुट पर खेलना चाहती थी लेकिन तेजस्वी यादव ने स्ट्राइक पर आने ही नहीं दिया. जो नौ सीटें कांग्रेस को मिली हैं उनमें कौन लड़ेगा और कौन नहीं इसका पर्दा उठना बाकी है.


औरंगाबाद के पूर्व सांसद निखिल कुमार सिंह अपनी टिकट बचा नहीं पाये. वे खुद सांसद रहे और पत्नी भी सांसद रहीं. निखिल कुमार सिंह के पिता सीएम और दादा दोनों सीएम रहे लेकिन जीतन राम मांझी की पार्टी ने बाहर से मंगाए नेता के लिए उन्हें घर बिठा दिया. उपेंद्र प्रसाद यहां से हम के उम्मीदवार बने हैं.


जनवरी महीने में लवली आनंद को कांग्रेस साथ लेकर आई थी. लवली लगातार चुनाव हार रही थीं. उनको एक सहारे की तलाश थी और बुरे दौर में चल रही कांग्रेस को बड़े नेताओं की जरूरत थी. शिवहर से टिकट दिलाने का वादा किया था लेकिन खबर ये है कि शिवहर की सीट अब आरजेडी के रामा सिंह के खाते में चली गई है.


फिलहाल किशनगंज और सुपौल कांग्रेस की सीटिंग सीट है लिहाजा इस पर उम्मीदवार तय माने जा रहे हैं. सासाराम से मीरा कुमार की उम्मीदवारी में भी खतरा नहीं है. कटिहार से तारिक अनवर ही लड़ेंगे. वहीं पूर्णिया से पप्पू सिंह और समस्तीपुर से विधायक अशोक राम मजबूत दावेदार हैं लेकिन फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता. दरभंगा से कीर्ति आजाद पर भी सब की नजरे हैं.


महागठबंधन में आरजेडी को 20 सीट (एक सीट भाकपा माले) कांग्रेस को नौ सीट, उपेंद्र कुशवाहा को पांच, जीतन राम मांझी की पार्टी हम और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को 3-3 सीटें मिली हैं. मांझी की पार्टी को जो तीन सीट मिली है उसमें गया और औरंगाबाद के पत्ते खुल गये हैं.


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मुकेश सहनी की पार्टी खगड़िया, मुजफ्फरपुर के अलावा दरभंगा से लड़ सकती है. वैसे भी दरभंगा में पेंच है इसलिए तीसरा कोई और भी हो सकता है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को काराकाट, वाल्मिकीनगर, मोतिहारी, उजियारपुर और जमुई फिक्स है. एलजेडी के शरद यादव आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से और उनकी पार्टी के अर्जुन राय सीतामढ़ी से लड़ सकते हैं. भाकपा माले के खाते में आरा की सीट जाएगी. राजू राय लड़ सकते हैं. पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने साइड कर दिया है. इन दोनों को जगह नहीं मिली है.


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शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव को आना था लेकिन वो नहीं पहुंचे. प्रेस कॉन्फ्रेंस की कमान आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और राज्यसभा सांसद मनोज झा के हाथ में रही. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा मेहमान बनकर आये थे. सीट बंटवारे का उत्साह नहीं दिख रहा था. बाकी कोई बड़ा कांग्रेसी नेता मौजूद नहीं था. हम, वीआईपी और आरएलएसपी के अध्यक्ष शामिल नहीं थे. शरद यादव की ओर से अर्जुन राय प्रतिनिधि बनकर पहुंचे थे. जिस तरीके से ये प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई है उसके बाद ये लग रहा है कि महागठबंधन में सब कुछ सामान्य नहीं है.