बिहार में सीटों कि संख्या के ऐलान के तीन महीने बाद आज सीटों के नाम भी सामने आ गए. बेसब्री से राजनीतिक जगत को इसका इंतजार था. सबसे बड़ी खबर ये निकली इसमें कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की सीट एलजेपी के खाते में चली गई है. इस अदला बदली की वजह ललन हैं. बिहार के मंत्री ललन सिंह पहले भी मुंगेर से सांसद रहे हैं. उनके लिए जेडीयू ने ये सीट एलजेपी से ली है. एलजेपी से मुंगेर में बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी सांसद हैं. बदले में एलजेपी को नवादा की सीट मिली है. अब गिरिराज सिंह को बेगूसराय से लड़ना होगा.


पिछली बार भी गिरिराज सिंह बेगूसराय सीट चाह रहे थे. लेकिन तब भोला सिंह की वजह से गिरिराज को नवादा जाना पड़ा था. इस बार गिरिराज बेगूसराय सीट नहीं चाह रहे थे. उनका मानना था कि नवादा में वो सेट हो चुके हैं. लेकिन अब लड़ना है तो बेगूसराय जाना होगा. इसके अलावा बीजेपी ने अपने पांच सांसदों को अपने टिकट से पैदल कर दिया है. इसमें वाल्मिकीनगर से बाहुबली सतीश चन्द्र दुबे, झंझारपुर से वीरेंद्र चौधरी, गया से हरि मांझी, गोपालगंज से जनक राम, सीवान से ओम प्रकाश यादव शामिल हैं. ये पांच सीट पिछली बार बीजेपी ने जीती थी.


अब इसमें से किसको नीतीश अपना सिंबल देंगे कहना मुश्किल है. सीवान के सांसद ओम प्रकाश यादव की जगह बाहुबली अजय सिंह की चर्चा है. इनकी पत्नी विधायक हैं. गया से पूर्व मंत्री अशोक चौधरी को उतारा जा सकता है. वैसे सूत्र बता रहे हैं कि जीतन राम मांझी पाला बदलते हैं तो उन्हें ये सीट जेडीयू दे सकती है. वाल्मिकीनगर से कोइरी जाति के पूर्व सांसद वैद्यनाथ महतो का नाम तय है. गोपालगंज से आलोक कुमार सुमन का नाम तय है. झंझारपुर से नीतीश मिश्रा या फिर संजय झा के नाम पर विचार होने की खबर है.


जहां तक बीजेपी का सवाल है तो बीजेपी के खाते की ज्यादातर सीट सीटिंग सांसदों को ही मिलेगी. दरभंगा से नीतीश मिश्रा, गोपालजी ठाकुर का नाम लिया जा रहा है. पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद, सासाराम से छेदी पासवान की जगह किसी और को मिलने की बात है. अररिया एक मात्र ऐसी सीट पर बीजेपी लड़ने वाली है जो उसके पास नहीं है. यहां से शाहनवाज़ हुसैन लड़े तो ठीक नहीं तो पूर्व सांसद प्रदीप सिंह का टिकट तय है. शाहनवाज़ को इसलिए भी लड़ाना होगा क्योंकि देश में वो हो सकता है बीजेपी के एक मात्र मुस्लिम उम्मीदवार हों.


एलजेपी की दो सीट पर उम्मीदवार फिक्स हैं. जमुई चिराग पासवान, समस्तीपुर से राम चन्द्र पासवान. हाजीपुर से पशुपति पारस, वैशाली से नरेंद्र सिंह, खगड़िया से सम्राट चौधरी हो सकते हैं. नरेंद्र सिंह अभी जेडीयू में तो सम्राट बीजेपी में हैं. वैशाली से नरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाकर इसका फायदा जमुई में चिराग को दिलाने की है. नरेंद्र सिंह जमुई के ही हैं. और वहां तगड़ा प्रभाव है. वैसे कुछ लोग बांका से भी जेडीयू के लिए इनका नाम ले रहे हैं. तब किसी दूसरे राजपूत को एलजेपी उतारेगी.


जेडीयू को वो तीनों सीट भी मिली है जिसपर पिछली बार आरएलएसपी जीती थी. काराकाट, जहानाबाद और सीतामढ़ी. सीतामढ़ी से यादव जाति की रंजू गीता नीतीश की पसंद हैं तो पूर्व सांसद नवल किशोर राय की पत्नी राम दुलारी देवी की दावेदारी उनकी राह में रोड़ा है. जहानाबाद से राम जतन सिन्हा तय दिख रहे हैं. काराकाट में भगवान सिंह, नागमणि और निर्मल तीन नाम चर्चा में हैं. पूर्णिया से जेडीयू सांसद संतोष कुशवाहा का नाम फिक्स है. नालंदा से कौशलेंद्र कुमार का नाम भी लगभग तय है.


भागलपुर से अजय मंडल, सुपौल से दिलेश्वर कामत, किशनगंज से नौशाद आलम, मुजाहिद आलम, महमूद अशरफ की चर्चा के बीच जेडीयू यहां से मोनाजिर हसन पर भी दांव लगा सकती है. मधेपुरा से निखिल मंडल, कटिहार से दुलाल चंद गोस्वामी लगभग तय हैं. बांका से पुतुल सिंह या नरेंद्र सिंह हो सकते हैं. दामोदर रावत को भी लड़ाया जा सकता है.


मोदी लहर में बीजेपी जो 9 सीट हारी थीं उसमें सिर्फ अररिया उसके पास है. बाकी की सभी सीट जेडीयू को मिली है. भागलपुर, बांका, मधेपुरा, किशनगंज, सुपौल, कटिहार की सीट पिछली बार कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी ने जीती थी. बाकी पूर्णिया और नालंदा की सीट जेडीयू ने जीती थी. सीमांचल और पूर्वी बिहार के इलाके में जेडीयू का फोकस अति पिछड़ा और पसमांदा मुस्लिम वोट है. इसीलिए उसके खाते में ये सीटें गईं हैं.


जेडीयू ने बीजेपी की पांच, एलजेपी की एक, आरएलएसपी की तीन जीती हुई सीट ली है. इसके अलावा उसके अपने जीते दो हैं. बाकी छह बीजेपी की पिछली बार की हारी सीट है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)


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